एमपी: डरी हुई है बीजेपी, वरना गुड़गांव क्यों ले जाती अपने विधायकों को?

10:06 am Mar 11, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा कांग्रेस के 22 विधायक-मंत्रियों द्वारा इस्तीफ़ा देने के बाद बीजेपी दावा कर रही है कि वह आसानी से राज्य में सरकार बना लेगी। लेकिन क्या बीजेपी को भी अपने विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त का डर है। अगर ऐसा नहीं होता तो वह अपने विधायकों को मंगलवार रात को ही भोपाल से दिल्ली और फिर गुड़गांव क्यों लेकर आती। एक सवाल यह भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को ही बीजेपी ज्वाइन क्यों नहीं की। जबकि ख़ुद गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कराई थी और सिंधिया शाम को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले थे। 

बीजेपी ने अपने विधायकों को गुड़गांव के एक पांच सितारा होटल में रखा है। बीजेपी मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस दावे से हलकान है कि उनकी सरकार सुरक्षित है और वह अपना कार्यकाल पूरा करेगी। बीजेपी को अपने विधायकों के ‘बिक जाने’ का डर सता रहा है।

बीजेपी ने दावा किया है कि कांग्रेस के अभी कई और विधायक इस्तीफ़ा देंगे जबकि कांग्रेस का कहना है कि वह ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेलेगी। कांग्रेस ने कहा है कि सिंधिया ने कांग्रेस के मंत्री, विधायकों को गुमराह किया है और इस्तीफ़ा देने वाले विधायक जल्दी पार्टी में वापस लौटेंगे। 

बीजेपी ने मंगलवार शाम को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई थी और इसमें शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना था। माना जा रहा है कि बीजेपी की सरकार बनने पर चौहान फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। चौहान 13 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। 

स्पीकर, राज्यपाल की भूमिका अहम 

मध्य प्रदेश में अब ‘खेल’ विधानसभा स्पीकर पर आकर टिक गया है। स्पीकर चूंकि कांग्रेस के हैं और ऐसे में यह स्पीकर पर निर्भर करेगा कि वे विधायकों के इस्तीफ़ों को स्वीकार करते हैं या नहीं। कर्नाटक और उत्तराखंड में इसी तरह के ‘खेल’ में विधानसभा के स्पीकर की बेहद अहम भूमिका रही थी। बाद में दोनों राज्यों के मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और अदालत ने फ़्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। फ़्लोर टेस्ट अगर होता है तो निश्चित रूप से कमलनाथ सरकार का बचना मुश्किल है। लेकिन कांग्रेस ने सरकार को बचाने के लिये पूरी ताक़त लगा दी है। 

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का रोल भी बेहद अहम हो गया है। कांग्रेस की ओर से विधानसभा का बजट सत्र टालने का प्रयास हो सकता है। लेकिन राज्यपाल कांग्रेस की किसी भी मंशा या मांग पर विचार करें, इसकी संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं। विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरू हो रहा है। अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो राज्यपाल टंडन बीजेपी को सरकार बनाने का अवसर देंगे। मौक़ा मिलने पर बीजेपी ना केवल सरकार बना लेगी बल्कि आसानी से बहुमत भी साबित कर लेगी।