कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘गारंटी’ के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी और टीम कमलनाथ ‘एक्शन’ में आ गई है। उत्साह से लवरेज टीम कमलनाथ ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी और भोपाल में अनेक जगहों पर 2023 में सरकार बनाने की ताल ठोकने वाले पोस्टर लटका दिये हैं। उधर सत्तारूढ़ दल भाजपा चुटकी लेते हुए कह रही है, ‘कांग्रेस, मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रही है।’
भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने गत दिवस प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश को लेकर कहा था, ‘मध्य प्रदेश में कांग्रेस क्लीन स्विप करेगी और बीजेपी कहीं भी दिखाई नहीं देगी। मैं आपको गारंटी दे सकता हूं।’ राहुल गांधी ने कहा था, ‘भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हमें महाराष्ट्र में रिस्पांस मिला, जो उम्मीद नहीं थी। लेकिन मध्य प्रदेश में तो तूफ़ान ही आ गया है। वहाँ की जनता जानती है। हर व्यक्ति जानता है कि मध्य प्रदेश में चोरी का पैसा देकर सरकार बनाई गई है।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में अंडर करंट था। तूफ़ान आया हुआ है। पूरा प्रदेश ग़ुस्से में है। भाजपा कहीं भी दिखाई देने वाली नहीं है।’ बता दें कि मध्य प्रदेश सहित 10 राज्यों में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।
राहुल गांधी की गारंटी के बाद से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी और टीम कमलनाथ बेहद उत्साहित हैं। कमलनाथ की पूरी टीम की बॉडी लैंग्वेज बदली हुई है।
पीसीसी ने रविवार को राहुल गांधी की गारंटी से दो क़दम ‘आगे बढ़ते हुए’ सरकार बनाने की ताल ठोक दी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय के समक्ष और शहर के कुछ अन्य स्थानों पर पोस्टर लगाये गये हैं।
इन पोस्टरों में केवल कमलनाथ और कांग्रेस के प्रवक्ताओं के फोटो हैं। पोस्टरों पर नारे लिखे गये हैं, ‘नया साल, नई सरकार’, ‘छँटेगा अब अंधकार, आ रही है कमलनाथ सरकार’ और ‘कल को देने सुनहरा आकार, आ रही है कमलनाथ सरकार।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के पोस्टरों पर सरकार बनाने के दावों और इस पोस्टर राजनीति के बाद राजनीति गरमा गई है। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री का दायित्व संभालने वाले बीजेपी के युवा नेता विश्वास सारंग ने कहा है, ‘कांग्रेस मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रही है।’
सारंग ने दिग्विजय सिंह के अनुज और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह के उस ट्वीट का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है, जिस ट्वीट में लक्ष्मण सिंह ने कहा है, ‘जहाँ भी भारत जोड़ो यात्रा गई है, वहां कांग्रेस को नुक़सान हुआ है।’
विश्वास सारंग ने कहा है, ‘कबीलों में बंटी कांग्रेस राहुल गांधी की परवाह नहीं कर रही है। नेता अपने-अपने में लगे हुए हैं। संगठन नहीं है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस यानी कमलनाथ हैं। दिग्विजय सिंह भी कमलनाथ से दूर हैं। अन्य नेताओं के हाल भी बेहाल हैं। ऐसे में कांग्रेस कैसे और कहां से जीतेगी।’
मंत्री विश्वास सारंग ने यह भी कहा है, ‘कमलनाथ की सरकार में भ्रष्टाचार का राज आ गया था। वे केवल ख्याली पुलाव पका रहे हैं।’
बहुमत के लिए चाहिए 116 का जादुई अंक
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। बहुमत के लिए 116 का जादुई अंक ज़रूरी है। साल 2018 के चुनाव में कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। बीजेपी 109 पर थम गई थी। दो सीटें बसपा, एक सपा और 4 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती थीं। अन्य 7 की मदद से कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। कुल 121 नंबर लेकर कमलनाथ सीएम बने थे। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में हुई बगावत और डेढ़ दर्जन कांग्रेस विधायकों के कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़कर बीजेपी का भगवा गले में डाल लेने से कमलनाथ सरकार गिर गई थी। शिवराज सिंह की अगुवाई में बीजेपी फिर सत्ता में लौट आयी थी।
उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी ने पाया था प्रचंड जनमत
मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावी इतिहास में 2003 का क्लीन स्विप वाला चुनाव रहा था। उमा भारती ने दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बीजेपी का ध्वज संभाला था। कुल 230 में से 173 सीटें हासिल करके बीजेपी ने कांग्रेस का सुपड़ा साफ़ कर दिया था।
कांग्रेस महज 38 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को सात, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) को तीन, राष्ट्रीय समानता दल (आरएसएमडी) को दो सीटों पर जीत मिली थी। बीएसपी ने दो, सीपीएम, एनसीपी और जेडीयू ने एक-एक और दो निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल हुए थे।
विधानसभा 2003 के चुनाव में बीजेपी को 42.50 फ़ीसदी, जबकि कांग्रेस को 31.61 फीसदी वोट ही मिले सके थे। भाजपा ने साल 2008 में 143 और 2013 में पुनः 165 सीटें जीतकर कांग्रेस को निराश किया था। कांग्रेस 2008 में 71 और 2013 में 58 सीटों पर सीमित रही थी।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक राजेश पांडेय ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘राहुल गांधी को मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में तूफ़ान कैसे और कहाँ से नज़र आ रहा है? यह तो वही (राहुल ही) बता सकते हैं। मुझे तो फ़िलहाल तूफ़ान-आंधी सरीखी का कोई चुनावी दृश्य-मंजर नज़र नहीं आ रहा है।’
वे कहते हैं, ‘शिवराज सरकार के ख़िलाफ़ एंटी-इन्कम्बेंसी का लाभ ज़रूर कांग्रेस को मिल सकता है, लेकिन कांग्रेस यह लाभ कितना ले सकेगी वक्त बतायेगा।’
पांडेय कहते हैं, ‘कांग्रेस उसे मिलने वाले जख्मों से सबक और सीख नहीं लेती है, इसीलिए उसे घाटा होता है। राज्य में पार्टी और उसके नेता कई खेमों में बंटे हुए हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह में भी दूरियाँ नज़र आ रही हैं। ये कथित दूरियाँ भी कांग्रेस खेमे के लिए ठीक नहीं होगी।’
उन्होंने कहा, ‘कमलनाथ ने पीसीसी चीफ रहते हुए संगठन को सक्रिय बनाने के ऐसे कोई उपक्रम नहीं किये हैं जो पार्टी की नैया को पार लगायें। भोपाल से लेकर जिलों तक कांग्रेस दिखती नहीं है।’