इस तसवीर को देखिए! इस शख्स ने कर्ज के दबाव में पूरे परिवार के संग जहर खा लिया। ज़िंदगी और मौत से लड़ रहा था। आईसीसीयू में भर्ती था। सुर्खियाँ बनीं तो नेता आर्थिक सहायता के चेक देने इस तरह पहुँचे थे। बेहोशी की हालत में पड़े उस शख्स के हाथों में चेक देकर तसवीरें खिंचवाई गईं। अब उस शख्स की मौत हो गई है। यह मामला भोपाल सामूहिक सुसाइड कांड का है। उस परिवार के मुखिया संजीव जोशी की आज मौत हो गई। इनके साथ ही आईसीसीयू में 'फ़ोटो सेशन' किया गया था। इसको लेकर स्थानीय बीजेपी विधायक की तीखी आलोचना की जा रही थी।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सूदखोरों के आतंक से त्रस्त होकर सामूहिक सुसाइड कांड में मरने वालों की संख्या अब पांच हो गई है। दो दिन पहले परिवार के पांच लोगों द्वारा एक साथ ज़हर पी लेने की घटना को लेकर पहले तो पुलिस कठघरे में थी। अब ‘छपास’ की कथित भूख को लेकर भाजपाई भी लोगों और विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सालूजा ने मांग की है कि 'ICU प्रोटोकाल का उल्लंघन होने पर ज़िम्मेदार डॉक्टर्स, अस्पताल प्रबंधन, भाजपा नेताओ पर तत्काल प्रकरण दर्ज हो'।
भोपाल के पिपलानी थाना क्षेत्र में रहने वाले संजीव जोशी ने अपने परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ बीते गुरुवार एवं शुक्रवार की दरमियानी रात चूहा मारने वाली दवा पी ली थी। जोशी परिवार के सभी पांच सदस्यों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह संजीव की मां और छोटी बेटी की मौत हो गई थी और शनिवार को बड़ी बेटी ने भी दम तोड़ दिया। अब अर्चना जोशी भी चल बसीं। कल पति संजीव जोशी ने भी दम तोड़ दिया था। तब ज़िंदगी और मौत से लड़ रहे संजीव और उनकी पत्नी अर्चना जोशी को ढांढस बंधाने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बाबूलाल गौर की विधायक बहू कृष्णा गौर शनिवार को अस्पताल पहुँची थीं। भाजपा की विधायक कृष्णा गौर के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में ही संजीव जोशी का घर है।
बाबूलाल गौर गोविंदपुरा क्षेत्र से लगातार आठ बार विधायक रहे। भोपाल की अन्य सीटों से दो बार जीतकर उन्होंने कुल दस बार विधायक रहने का रिकॉर्ड कायम किया। भाजपा ने 2018 में बाबूलाल गौर का टिकट काटकर बहू कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाया था। कृष्णा चुनाव जीत गई थीं।
संजीव जोशी एवं उनके परिवार से मिलने पहुंची कृष्णा गौर करीब पन्द्रह मिनट अस्पताल में रही थीं। काफी संख्या में समर्थक भी साथ पहुंचे। कृष्णा ने आईसीसीयू में भर्ती संजीव से कुछ देर बात की थी। उन्होंने सुसाइड जैसा क़दम उठाने को अनुचित बताया और मशविरा दिया था कि जिंदगी में कितनी भी परेशानी पेश आए, लेकिन आत्महत्या जैसा क़दम कभी भी न उठाएँ।
कृष्णा गौर ने उस बातचीत में संजीव को बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो लाख रुपयों की आर्थिक मदद भिजवाई है। उन्होंने आईसीसीयू वार्ड के बेड पर लगभग बेसुध पड़े संजीव को सरकारी चेक थमाया।
संजीव को देखने और सहायता देने तक के मामले को ठीक माना गया, लेकिन चेक देते हुए पहले कृष्णा गौर द्वारा ‘फोटो क्लिक’ करवाना और बाद में अपने समर्थकों के साथ चेक में हाथ लगवाकर फोटो खिंचवाने के क्रम को दोहराना लोगों को रास नहीं आया।
दरअसल, चेक देते हुए ‘फोटो सेशन’ फुटेज क्षेत्रीय न्यूज़ चैनलों पर पूरे दिन चले। अख़बारों में छपे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए। यह सब जिसने भी देखा उसने इसे ग़लत क़रार दिया।
गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र की निवासी अनामिका कुलश्रेष्ठ ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘वे भाजपा की पक्षधर और पक्की वोटर हैं, लेकिन पार्टीजनों का नया रवैया और छपास का बढ़ता रोग बेहद शर्मसार और हलकान करता है।’
दिल दहलाने वाले संजीव जोशी परिवार के सामूहिक सुसाइड के क़दम के बाद भाजपा विधायक और उनके समर्थकों की सांत्वना को अनामिका ने दिखावा करार दिया। उन्होंने कहा, ‘डेथ बेड पर पड़े पीड़ित को सरकारी सहायता राशि प्रदान करने का फोटो खिंचवाना और वायरल करना किसी भी सूरत में ठीक नहीं मानती।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी कृष्णा गौर और भाजपा की आलोचना की। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सालूजा ने कृष्णा गौर और उनके समर्थकों द्वारा संजीव जोशी को चेक देते ‘क्लिक कराई गई’ फोटोज को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘हद है बेशर्मी की, इनकी इंसानियत मर चुकी है, इनका जमीर मर चुका है, भाजपा नेताओं को हर विषय पर बस फोटो और प्रचार चाहिए...’
सालूजा ने अपने इस ट्वीट में आगे कहा, ‘भोपाल में एक परिवार के पांच सदस्यों ने कर्ज के कारण ज़हर खाया, तीन की मौत हो गई और अस्पताल में बेसुध सदस्य को सहायता राशि चेक देने का फोटो सेशन।’
बता दें कि इस दिल दहलाने वाली घटना को लेकर भोपाल पुलिस को कठघरे में खड़ा किया गया है। ज़हर पीने के पहले संजीव की पत्नी ने 13 पेज का सुसाइड नोट लिखा। जबकि परिवार के अन्य सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या का कदम उठाने के पहले सूदखोरों के आतंक और हद की कहानियां घर की दीवारों पर लिखकर बयां की।
सवाल उठ रहे हैं कि सूदखोरी निरोधक सख्त क़ानून के होते हुए सरकार की नाक के नीचे भोपाल में जब इस तरह का खुला आतंक मचाया जा सकता है तो मध्य प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में क्या हो रहा होगा?
कहा जा रहा है कि भोपाल पुलिस संजीव और उसके परिवारजनों की शिकायतों को गंभीरता से लेकर समय पर कार्रवाई कर देती तो उनकी मौत को टाला जा सकता था।
भोपाल पुलिस ने इस बीच चार सूदखोरों के ख़िलाफ़ संजीव जोशी परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करते हुए 4 महिलाओं को हिरासत में लिया है। इनसे पूछताछ की जा रही है। उधर पुलिस वालों पर उठते सवालों का जवाब नहीं मिला है।