विश्वव्यापी कोरोना महामारी और लाॅकडाउन की वजह से मध्य प्रदेश की देवास बैंक नोट प्रेस में पिछले क़रीब छह सप्ताह से नोटों की प्रिंटिंग का काम ठप है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं इस कारण देश भर में नोट की कमी तो नहीं हो जाएगी? क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो मौजूदा संकट और भी बढ़ सकता है। ऐसे संकट का सामना तब हुआ था जब नोटबंदी के बाद देश भर में नकदी कम पड़ गई थी और बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग गई थीं। हालाँकि प्रिंटिंग प्रेस के अधिकारियों का कहना है कि नोट का स्टॉक पर्याप्त पड़ा हुआ है। इसके साथ ही 17 मई तक बढ़ाए गए ‘लाॅकडाउन-3’ में दी गई छूटों के बीच, कारखाना प्रबंधन बेपटरी हो चुके नोट छपाई के काम को फिर से पटरी पर लाने की जुगत में भी जुटा हुआ है।
देवास बैंक नोट प्रेस हर साल 450 करोड़ रुपये के आसपास के नोटों की छपाई करता है। इस कारखाने में 100 और 500 के नोट छापे जाते हैं। दस-दस घंटे वाली दो पालियों में 365 दिन काम होता है। देवास नोट प्रेस में अफ़सरों और कर्मचारियों की संख्या क़रीब 1100 है।
नोट प्रेस में कुल कार्यरत स्टाफ़ में से क़रीब 50 प्रतिशत अधिकारी और कर्मचारी देवास में ही रहते हैं। बैंक नोट प्रेस कारखाना प्रबंधन ने कारखाना परिसर के क़रीब ही अलग बस्ती बसा रखी है। अधिकांश कर्मचारियों को इस बस्ती में घर मिले हुए हैं। जबकि बचे हुए अधिकारी और कर्मचारी इंदौर और उज्जैन से आते-जाते हैं। ये दोनों शहर देवास से 35-35 किलोमीटर की दूरी पर हैं। दुर्भाग्यवश इंदौर, उज्जैन और देवास तीनों ही ज़िले कोरोना संक्रमण के रेड ज़ोन में हैं।
इस बीच देवास बैंक नोट प्रेस कारखाने के इलेक्ट्रिकल विंग के ऑपरेटर धर्मेंद्र रेनीवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया कि लाॅकडाउन शुरू होने के दूसरे ही दिन यानी 26 मार्च से कारखाने में नोट छपाई बंद है। तीस वर्ष से इस कारखाने में नौकरी कर रहे रेनीवाल ने कहा, ‘बैंक नोट प्रेस इतनी लंबी अवधि तक इसके पहले कभी भी बंद नहीं रही है।’ रेनीवाल ने यह भी बताया कि ‘काम पर लौटने संबंधी कोई निर्देश उन्हें या अन्य साथी कर्मचारियों को अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं।’
रेनीवाल के अनुसार देवास नोट प्रेस में हर दिन सुबह सात से शाम पाँच और शाम पाँच से रात ढाई बजे तक दो शिफ्टों में काम होता है। नोटबंदी के बाद चौबीस घंटे तीन पालियों में भी प्रेस के अधिकारियों और कर्मचारियों ने काम किया है।
देवास में 52 करोड़ के नोट नहीं छप पाये!
चालीस दिनों से ज़्यादा की अब तक की लाॅकडाउन अवधि और कोरोना संक्रमण की ज़बरदस्त चपेट की वजह से 52 करोड़ रुपयों से ज़्यादा की छपाई का काम देवास नोट प्रेस में नहीं हो पाया है। उधर कोरोना से देश के सबसे ज़्यादा प्रभावित महाराष्ट्र राज्य के नासिक नोट प्रेस में भी नोटों की छपाई का काम बुरी तरह प्रभावित बताया गया है।
नोटों का पर्याप्त स्टाॅक होने का प्रबंधन का दावा
देवास बैंक नोट प्रेस प्रबंधन के एक बड़े अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘सत्य हिन्दी’ से नोटों की छपाई का काम ठप होने की पुष्टि की। नोट छपाई का काम ठप होने संबंधी सवाल करने पर इस अधिकारी ने जवाब दिया, ‘देश में कहीं कोई फ़ैक्ट्री लाॅकडाउन में चली है क्या?’
अफ़सर ने दावा किया, ‘देश की आवश्यकता के मद्देनज़र फ़िलहाल पर्याप्त मात्रा में नोटों का स्टाॅक देवास नोट प्रेस के पास है। लाॅकडाउन के बीच भी नोटों की डिस्पैचिंग की गई है। आगे नोट छपाई के लिए ज़रूरत के अनुसार कागज भी है।’
अफ़सर ने कहा, ‘लाॅकडाउन-3 में कारखाना चलाने के लिए मिली छूट और कोरोना प्रोटोकाॅल का पूरी तरह से पालन करते हुए नोट छपाई का कार्य शुरू करने की तैयारियाँ चल रही हैं। सबसे पहले पूरे कारखाने को सैनेटाइज कर रहे हैं। इसके बाद केन्द्र के निर्देशानुसार अधिकारी और कर्मचारियों को ड्यूटी पर बुलाकर नोट छपाई का काम भी जल्दी शुरू कर देंगे।’
नोट कागज छपाई कारखाना भी ‘ठप’
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में नोट के कागज की छपाई करने वाला कारखाना भी कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन से प्रभावित है। यहाँ भी लाॅकडाउन वन और टू में प्रिंट की छपाई का काम लगभग ठप पड़ा रहा है। बता दें कि यह कारखाना नोट छपाई के लिए देश की नोट प्रेसों को क़रीब 25 से 30 प्रतिशत कागज की आपूर्ति करता है। यह ज़िला भी कोरोना संक्रमण के चलते रेड ज़ोन में है।
देवास नोट प्रेस हो या होशंगाबाद नोट पेपर छपाई कारखाना, बताया जा रहा है कि लाॅकडाउन-3 में मिली छूट के बीच कोरोना के खौफ से भी कर्मचारी ड्यूटी पर जाने का मन नहीं बना पा रहे हैं।
देश में नोट छपाई के कुल चार केन्द्र
भारत में देवास और नासिक के अलावा मैसूर व सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में नोट छपाई का काम किया जाता है। देवास और नासिक की करेंसी नोट प्रेस वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के नेतृत्व में काम करती है। वहीं मैसूर और सलबोनी की प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधीन काम करती हैं। नासिक और देवास से हर साल लगभग एक हजार करोड़ पीसेज नोट की आपूर्ति आरबीआई को किया जाता है।