फ़िल्मों की देशभक्ति से सनी को मिला बीजेपी का टिकट?

07:03 pm Apr 24, 2019 | अमित कुमार सिंह - सत्य हिन्दी

हिन्दी फ़िल्मों में कभी देशभक्ति के प्रतीक के तौर पर माने जाने वाले सनी देओल ने अब राजनीति में एंट्री कर ली है। अब राजनीति में उनकी देशभक्ति कैसी रहेगी, यह तो आगे चलकर पता चलेगा, लेकिन फ़िल्मों में देशभक्ति के मामले में वह काफ़ी बेबाक रहे हैं। राजनीति में आने से पहले पिछले पखवाड़े ही उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने देशभक्ति फ़िल्में सिर्फ़ इसलिये कभी नहीं की कि उसे पैसे कमाने को ध्यान में रखकर बनाया गया हो। तो क्या राजनीति में भी उनकी ऐसी 'देशभक्ति' बरक़रार रहेगी और यदि ऐसा रहा तो बीजेपी की देशभक्ति से उनका टकराव तो नहीं होगा यह सवाल इसलिए कि बीजेपी तो ख़ुद को सबसे बड़ी देशभक्त पार्टी बताती रही है, लेकिन विरोधी दल बीजेपी को 'छद्म देशभक्त' पार्टी क़रार देते रहे हैं।

राजनीति में अपना करियर शुरू करने से पहले सनी देओल का नाम देशभक्ति से ओतप्रोत कई फ़िल्मों से जुड़ा रहा है। उन्होंने 'ग़दर', 'बॉर्डर' और ‘23 मार्च 1931: शहीद’, 'हीरोज', 'मां तुझे सलाम', 'इंडियन', 'फ़र्ज़' जैसी एक से बढ़कर एक देशभक्ति का जज्बा जगाने वाली फ़िल्में की हैं।

‘ग़दर’ सनी देओल की सबसे प्रसिद्ध फ़िल्मों में से एक है। सनी ने फ़िल्म ‘ग़दर’ में तारा सिंह नाम के सिख सरदार का किरदार किया है। तारा सिंह को एक मुसलिम लड़की सकीना (अमीषा पटेल) से प्यार हो जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं। देश का विभाजन होने पर सकीना का परिवार उसे पाकिस्तान लेकर चला जाता है। तारा सिंह पाकिस्तान जाकर अपनी पत्नी सकीना को वापस लाने की कोशिश करता है, जिसे उसके परिवार ने घर में बंद किया हुआ है। फ़िल्म में सनी देओल पाकिस्तानी अधिकारियों, सैनिकों से लड़ते हैं और फिर वापस लेकर आते हैं।

सनी देओल की राष्ट्रभक्ति से जुड़ी फ़िल्मों में एक और बड़ा नाम है ‘बॉर्डर’। इस फ़िल्म में सनी देओल मेजर कुलदीप सिंह चंद्रपुरी के रोल में थे। मेजर अपनी पूरी बटालियन को देश के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी का अहसास करवाता है और अपना फ़र्ज़ निभाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

'माँ तुझे सलाम' फ़िल्म में सनी देओल ने मेजर प्रताप सिंह का रोल निभाया है जो भारतीय सेना का जवान है। इंडियन फ़िल्म में सनी ने डीसीपी राज शेखर आज़ाद का रोल निभाया था जो कि एक ईमानदार पुलिस कमिश्नर है। वह भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते हैं। हीरोज फ़िल्म में सनी देओल ने एक ऐसे एयरफोर्स पायलट विक्रम शेरगिल का रोल निभाया है जिसका छोटा भाई धनंजय सिंह (बॉबी देओल)  जो आर्मी अफ़सर था, शहीद हो जाता है। विक्रम को अपने शहीद भाई पर बहुत गर्व है। ऐसी ही कई अन्य फ़िल्में हैं जिसमें सनी देशभक्त का किरदार निभाते नज़र आए थे। 

पैसे के लिए कभी भी देशभक्ति फ़िल्में नहीं की : सनी देओल

हाल के दिनों में सनी देओल फ़िल्मी पर्दे पर काफ़ी कम दिखते रहे हैं। अपनी आने वाली फ़िल्म 'ब्लैंक' के ट्रेलर लॉन्च के मौक़े पर मुंबई में उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड में देशभक्ति फ़िल्में बनाने की होड़ मची है क्योंकि ऐसी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छा कर रही हैं। इसके साथ ही सनी ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसी फ़िल्में नहीं की जिससे सिर्फ़ पैसे बनाया जाता हो।

सनी देओल ने कहा था, 'जब मैंने देशभक्ति पर फ़िल्में कीं, लोगों ने मुझसे काफ़ी जुड़ाव महसूस किया। यह कभी भी बेचने की चीज नहीं रही है और मैंने कभी ऐसा सोचने की भी कोशिश नहीं की। अब पूरी दुनिया बदल गयी है। सबकुछ मार्केटिंग की चीज बन गयी है...।'

उन्होंने कहा था, 'सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम सभी देशभक्त हैं। क्या हम अपनी माँ और देश से प्यार करते हैं इसे बेचने की चीज नहीं बनाई जानी चाहिए। जब कभी भी मैंने कुछ किया है, मैंने सिर्फ़ कैरेक्टर (अभिनय) में विश्वास किया है। मैंने अधिकतर वैसे कैरेक्टर किये हैं जो काफ़ी मज़बूत हैं और वे किसी चीज के लिए संघर्ष करते हैं। यही मेरा स्वभाव है।'

‘देशभक्ति’ ही बीजेपी की चुनावी रणनीति

बीजेपी ख़ुद को सबसे बड़ी देशभक्त पार्टी बताती रही है। इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी देशभक्ति, पुलवामा हमले के शहीदों, बालाकोट स्ट्राइक, आतंकवाद, पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर ज़्यादा ज़ोर दे रही है। चुनावी विश्लेषक तो यहाँ तक बताते हैं कि बीजेपी इस चुनाव में सिर्फ़ इन्हीं मुद्दों पर निर्भर है। ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी अपने हर चुनावी भाषणों में भी यही मुद्दे उठाते रहे हैं। सिर्फ़ प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि पार्टी के सभी नेता इन्हीं मुद्दों को उठा रहे हैं। इसी महीने 6 अप्रैल को तो प्रधानमंत्री ने बीजेपी के स्थापना दिवस पर ट्विटर पर लिखा था कि बीजेपी ने अपने लोकतांत्रिक चरित्र और राष्ट्रभक्ति की भावना की वजह से एक अलग मुक़ाम हासिल किया है। 

बीजेपी की देशभक्ति पर सोनिया ने भी साधा था निशाना

बीजेपी की राष्ट्रभक्ति पर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियाँ हमलावर रही हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गाँधी ने तो इस पर इसी महीने मोदी सरकार पर हमला बोला था। सोनिया ने कहा था कि लोगों को देशभक्ति की एक नई परिभाषा सिखाई जा रही है, जबकि विविधता स्वीकार नहीं करने वालों को देशभक्त कहा जा रहा है। सोनिया ने कहा था कि देश की आत्मा को सुनियोजित साज़िश के ज़रिए कुचला जा रहा है जो कि चिंता की बात है। उन्होंने कहा था कि वर्तमान सरकार असहमति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब अपनी आस्था पर कायम रहने वालों पर हमले होते हैं तो ये सरकार मुँह मोड़ लेती है। सोनिया ने यह भी आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार देश में क़ानून का शासन कायम करने के अपने कर्तव्य पालन को तैयार नहीं है।