कांग्रेस ने कहा, सत्ता में आई तो ट्रिपल तलाक़ क़ानून ख़त्म करेंगे

06:28 pm Feb 07, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कांग्रेस ने कहा है कि अगर वह सत्ता में आई तो ट्रिपल तलाक़ पर बने क़ानून को ख़त्म कर देगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की मौज़ूदगी में यह बात महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कही। सुष्मिता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से नई दिल्ली में आयोजित अल्पसंख्यक सम्मेलन में बोल रही थीं।

तीन तलाक़ बिल को मुसलमान मानते हैं मज़हब में दख़लंदाज़ी 

सम्मेलन में मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा, ‘2019 में हम नरेंद्र मोदी, आरएसएस और बीजेपी को हराएँगे।’ राहुल ने कहा कि यह देश किसी जाति, भाषा, धर्म के व्यक्ति का नहीं है बल्कि हिंदुस्तान के हर एक व्यक्ति का है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 5 साल तक नरेंद्र मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर किया है।

राहुल ने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी को चुनौती देता हूँ कि वे मुझसे बहस कर लें। राहुल ने कहा कि आरएसएस देश को नागपुर से चलाना चाहता है। मोदी इसके चेहरे हैं और मोहन भागवत के पास इसका रिमोट कंट्रोल है। राहुल ने कहा कि बीजेपी देश के सभी संवैधानिक संस्थाओं पर आक्रमण कर रही है और ख़ुद को देश से ऊपर समझती है। 

तीन तलाक़ विधेयक: तीन टांग की कुर्सी 

उन्होंने कांग्रेस नेताओं के नाम गिनाते हुए कहा कि आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी के लोगों का योगदान रहा लेकिन बीजेपी का इसमें कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग कायर हैं। 

तीन तलाक़ पर बीजेपी से क्यों रूठा है जदयू?

बता दें कि तीन तलाक़ के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच लगातार वाकयुद्ध होता रहा है। मुसलिम समुदाय में तीन तलाक़ प्रथा को ख़त्‍म करने के लिए केंद्र सरकार की ओर लाया गया तीन तलाक़ विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है। तब इस विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे। 

सरकार का कहना है कि ट्रिपल तलाक़ विधेयक इंसानियत और इंसाफ़ के बारे में है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जबकि विपक्ष का कहना है कि इस बिल के प्रावधान अंसवैधानिक हैं। 

विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान क़ानून मंत्री ने कहा था कि दुनिया के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लगा दिया है तो भारत जैसे सेक्युलर देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा था कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक़ को ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक क़रार दिया था।