लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है और ‘मोदी मैजिक’ वोटरों के सिर चढ़कर बोला है। बीजेपी ने अपने दम पर इस बार 2014 से भी ज़्यादा सीटों पर जीत दर्ज की है। तब बीजेपी को 282 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार उसने 303 सीटों पर जीत दर्ज की है और एनडीए को कुल 348 सीटों पर जीत मिली है। चुनाव में मोदी के जादू के आगे सब ढेर हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अमेठी में चुनाव हार गए तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के किले में गहरी सेंध लग गई। उधर, उड़ीसा में नवीन पटनायक विधानसभा चुनाव में तो ख़ुद को बचा पाने में कामयाब रहे लेकिन लोकसभा में उनका प्रदर्शन भी ख़राब रहा।
वोटरों पर नरेंद्र मोदी का ऐसा सम्मोहन चला कि विपक्ष का गठबंधनी फ़ॉर्मूला बुरी तरह फ़्लॉप हो गया। उत्तर प्रदेश में माना जा रहा था कि सपा और बसपा का गठबंधन बीजेपी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनेगा लेकिन वह मुश्किल से बस अपनी ही नाक ही बचा सका। बीजेपी को कुल 63 सीटों पर जीत मिली है जबकि गठबंधन सिर्फ़ 16 सीटों पर सिमट गया। कांग्रेस सिर्फ़ रायबरेली में जीत हासिल कर सकी।
बिहार में तो विपक्ष के गठबंधन का बहुत ही बुरा हाल रहा, जहाँ कांग्रेस-आरजेडी-आरएलएसपी-वीआईपी-हम गठजोड़ 40 में से केवल 1 सीट पर जीत हासिल कर सका।
कर्नाटक में भी गठबंधन के जुए से कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही कांग्रेस ने जनता दल एस की सरकार बनवाने के लिए अपना दावा छोड़ दिया था। लेकिन वहाँ भी यह गठबंधन कुल 28 में से सिर्फ़ 2 सीटें जीत सका। कर्नाटक में यह कांग्रेस का एक दशक का सबसे ख़राब प्रदर्शन है। मोदी-शाह की जोड़ी के नेतृत्व में बीजेपी असम और उत्तर-पूर्व के बाद बंगाल और उड़ीसा में काफ़ी हद तक अपने पैर जमाने में कामयाब रही है।
बीजेपी को केरल में ज़रूर निराशा का सामना करना पड़ा, जहाँ सबरीमला मुद्दे के जरिये उसने हिंदुत्व की धार चमकाने की कोशिश की थी लेकिन वह कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी। रुझानों के मुताबिक़, बीजेपी को हिंदी पट्टी के राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत मिली है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात में भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है।लेकिन तमिलनाडु में बीजेपी और उसके सहयोगी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये। कांग्रेस सिर्फ़ एक राज्य पंजाब में ही आगे है और तमिलनाडु में भी उसकी सहयोगी डीएमके ने शानदार प्रदर्शन किया है।
वाराणसी में नरेन्द्र मोदी ने गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव को 4 लाख 79 हज़ार वोटों से करारी शिकस्त दी है। मोदी ने 2014 के चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 3.71 लाख वोटों से हराया था।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी में बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी से हार गए। लखनऊ से राजनाथ सिंह, सुल्तानपुर से मेनका गाँधी, पीलीभीत से वरुण गाँधी, इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी, गौतम बुद्ध नगर से डॉ. महेश शर्मा सहित कई दिग्गज नेता चुनाव जीत गए हैं। आज़मगढ़ में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को हरा दिया। मोदी की सुनामी के दौरान कई दिग्गजों का भी सूपड़ा साफ़ हो गया। बीजेपी से कांग्रेस में आए फ़िल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी उम्मीदवार रवि शंकर प्रसाद से चुनाव हार गए। बिहार की बेगूसराय सीट से मैदान में उतरे सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह के हाथों हार का मुँह देखना पड़ा।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश की गुना सीट से चुनाव हारे तो भोपाल से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बीजेपी की उम्मीदवार और मालेगाँव धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा के हाथों शिकस्त खा बैठे। बीजेपी की प्रचंड जीत से पता चलता है कि जनता ने नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर अपनी मुहर लगाई है।
बीजेपी ने यह चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे को आधार बनाकर लड़ा था। जबकि कांग्रेस ने बेरोज़गारी, किसानों की ख़राब हालत, रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस ने रफ़ाल सौदे को लेकर जोर-शोर से ‘चौकीदार चोर है’ का भी नारा दिया था और उसे उम्मीद थी कि वह इसके दम पर चुनाव जीत जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालाँकि कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं ने एग्ज़िट पोल के नतीजों को खारिज कर एकजुट होने की कोशिशें शुरू कर दी थीं, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि एनडीए बहुमत के आंकड़े से दूर रह जाएगा। इसलिए ख़बरें चल रही थीं कि अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस विपक्ष के किसी और नेता को भी प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार कर सकती है। लेकिन रुझानों ने विपक्षी नेताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया।