एलजीबीटीक्यू + समुदाय के 400 से अधिक बच्चों के माता-पिता के एक समूह ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को एक खुला पत्र लिखा है। इन पैरंट्स ने सीजेआई से मांग की है कि उन्हें विवाह की समानता का अधिकार प्रदान किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस समय समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।
स्वीकार- द रेनबो पैरेंट्स ने अपने पत्र में लिखा कि “हम अपने बच्चों और दामादों को अपने देश में विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने रिश्ते के लिए अंतिम कानूनी स्वीकृति प्राप्त करने की मांग रखते हैं। हम जानते हैं कि हमारा देश अपनी विविधता का सम्मान करता है, और दकियानूसी मूल्यों का बहिष्कार के लिए तैयार है। यह हमारे बच्चों के लिए भी विवाह की समानता का कानूनी अधिकार के रास्ते खोल देगा।
इस समूह ने अपने पत्र में कहा, “हम बूढ़े हो रहे हैं। हम में से कुछ जल्द ही 80 को छू लेंगे, हमें उम्मीद है कि हमें अपने जीवनकाल में ही अपने बच्चों के एलजीबीटीक्यू समुदाय में विवाह को कानूनी रूप से मान्यता मिल हुए देख पाएंगे।
स्वीकार-द रेनबो पैरेंट्स’ भारतीय LGBTQ समुदाय के माता-पिता द्वारा प्रत्येक का समर्थन करने के उद्देश्य से बनाया गया एक समूह है। जो अपने बच्चे की समलैंगिकता को पूरी तरह से स्वीकार करने और एक परिवार के रूप में खुश रहने के उद्देश्य से बनाया गया है। इन पैरंट्स ने पत्र में लिखा कि ‘हम आपसे विवाह की समानता पर विचार करने की अपील कर रहे हैं।”
इन्होंने पत्र में लिखा कि हम उन लोगों के साथ सहानुभूति रखते हैं जो विवाह समानता का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि पहले हम लोग इसके विरोध करने वालों में से थे। हमें अपने बच्चों को समझने के लिए धैर्य रखना पड़ा ताकि यह महसूस किया जा सके कि उनका जीवन, उनकी भावनाएं और उनकी इच्छाएं वैध हैं। इसी तरह, हम आशा करते हैं कि जो विवाह समानता का विरोध करते हैं वे भी सामने आएंगे। हमें भारत के लोगों, संविधान और हमारे देश के लोकतंत्र में विश्वास है।
इसने 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लेख किया, जिसके द्वारा इसने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। अदालत के इस निर्णय में यह सुनिश्चित किया कि LGBTQ+ लोगों के साथ सम्मान और स्वीकृति का समान व्यवहार किया जाए।