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लखीमपुर- किसानों की मौत सदमे, ज़्यादा ख़ून बहने से, गोली के घाव नहीं: ऑटोप्सी

लखीमपुर- किसानों की मौत सदमे, ज़्यादा ख़ून बहने से, गोली के घाव नहीं: ऑटोप्सी

लखीमपर खीरी में किसानों को गाड़ी से रौंदे जाने के आरोपों को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी किस आधार पर खारिज कर रहे हैं? आख़िर ऑटोप्सी रिपोर्ट में मौत का क्या कारण सामने आया? 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कार से रौंदकर मारे गए चार किसानों की ऑटोप्सी रिपोर्ट आ गई है। इसमें कहा गया है कि उनकी मौत सदमे, ज़्यादा ख़ून बहने के कारण हुई है। इसमें यह भी कहा गया है कि गोली लगने का निशान नहीं मिला है। किसान आरोप लगाते रहे हैं कि गाड़ी से कुचलने के बाद आरोपी ने गोली चलाई थी।

लखीमपुर खीरी में रविवार को 8 लोग मारे गए थे। इसमें से चार किसान थे और किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे ने उन्हें कार से कुचला। बाक़ी के चार लोग हिंसा में मारे गए। किसानों ने तो यह आरोप लगाया था कि एक किसान की मौत गोली लगने से हुई है। हालाँकि पुलिस गोली चलने की घटना से इनकार करती रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तो इससे भी इनकार करते रहे हैं कि उनके बेटे मोनू ने किसी को कुचला है। उन्होंने तो यहाँ तक दावा किया है कि उनका बेटा घटनास्थल पर था ही नहीं।

मंत्री के दावे के उलट अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह खेतों के बीच एक सड़क पर आगे बढ़ रहा है। फिर पीछे से तेज गति से आ रही एक ग्रे एसयूवी से उनको कुचल दिया जाता है। गाड़ी की तेज गति होने से एक व्यक्ति तो उछलकर बोनट के ऊपर गिरता है। सड़क के किनारे कई लोग बिखरे पड़े नज़र आते हैं। उस ग्रे एसयूवी के पीछे-पीछे दो और गाड़ियाँ निकलती हैं। 

किसानों के समूहों ने दावा किया कि चार किसानों- नक्षत्र सिंह, दलजीत सिंह, लवप्रीत सिंह और गुरविंदर सिंह की मौत हो गई थी। बहरहाल, चार किसानों की ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चला है कि 18 वर्षीय किसान लवप्रीत सिंह की मौत काफ़ी दूर घसीटे जाने से सदमे और ज़्यादा ख़ून बहने के कारण हुई।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि गुरविंदर सिंह के शरीर पर धारदार चीजों से चोट के निशान थे और उनकी मौत भी सदमे और ख़ून बहने के कारण हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दलजीत सिंह को घसीटा गया और उसके शरीर पर चोट के अन्य निशान थे।

चार किसानों के अलावा भी चार अन्य लोगों की मौत हुई है। बीजेपी के खेमे ने दावा किया है कि वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बनबीरपुर दौरे के स्वागत के लिए गए थे। समझा जाता है कि कार से 4 किसानों के कुचले जाने के बाद वे घिर गए थे और फिर गाड़ी से उतरकर भागने लगे और इसी बीच हिंसा में मारे गए। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार, शुभम मिश्रा के शरीर पर कई चोटें थीं। हरिओम मिश्रा की मौत लाठी से पीटने से हुई है और उनके शरीर पर चोट के कई निशान हैं। सदमे और ख़ून बहने के कारण उनकी भी मौत हो गई। श्यामसुंदर निषाद की भी लाठी-डंडे से पीटने और घसीटने से मौत हो गई।

बता दें कि किसानों के साथ लंबी बातचीत के बाद यूपी सरकार ने रविवार को घोषणा की है कि लखीमपुर खीरी में कार से कुचलकर मारे गए 4 किसानों के मामले में इसने किसानों की मांग मान ली है। किसान एफ़आईआर दर्ज कराएँगे। न्यायिक जाँच होगी। और किसानों को सरकारी नौकरी मिलेगी और मुआवजा दिया जाएगा। इसकी घोषणा पुलिस प्रमुख ने की है।

एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा था, 'कल लखीमपुर खीरी में मारे गए 4 किसानों के परिवारों को सरकार 45-45 लाख रुपये देगी और एक सरकारी नौकरी देगी। घायलों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज मामले की जांच करेंगे।'

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