लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार केस का मुकदमा 16 दिसंबर से शुरू होगा लेकिन उससे पहले उसके गवाहों को चुप कराने की साजिश शुरू हो गई है। इस केस के गवाह और उसके भाई पर शनिवार देर रात तलवारों से हमला किया गया।
द टेलीग्राफ और अमर उजाला के मुताबिक किसान प्रभजोत सिंह इस मुकदमे के तीसरे गवाह हैं। प्रभजोत ने पत्रकारों को बताया कि उन पर और उनके भाई सर्वजीत सिंह पर यह हमला केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव तिकुनिया में हुआ। हालांकि कुछ खबरों में बताया गया है कि हमला सर्वजीत सिंह पर हुआ।
टेलीग्राफ के मुताबिक प्रभजोत ने कहा कि उन पर और उनके भाई सर्वजीत पर 15 किमी दूर तिकुनिया से कोल्हारी घर लौटते समय हमला किया गया था, जहां वे एक दोस्त के बेटे के मुंडन में शामिल होने गए थे। प्रभजोत के मुताबिक आशीष के कुछ गुर्गों ने हमें देख लिया था और हमारे मेज़बान के घर के बाहर हमारा इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने हमारी बाइक रोक दी और मुझे गालियां देने लगे। उन्होंने पूछा कि आशीष के गांव में घुसने की मेरी हिम्मत कैसे हुई। फिर उन्होंने हम पर तलवारों से हमला किया जो उनके पास थी। मैं बाल-बाल बच गया लेकिन मेरे भाई के सिर के पिछले हिस्से में चोटें आईं। सर्वजीत के जमीन पर गिरते ही हमलावर भाग गए। प्रभजोत ने कहा कि सर्वजीत को एक निजी अस्पताल में तीन टांके लगे और सुबह छुट्टी दे दी गई। द टेलीग्राफ ने प्रभजोत को कोट करते हुए लिखा है-
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मैं रात में ही गांव वालों के साथ कोतवाली थाने गया था। थाने के अधिकारी राजू राव ने कहा कि मुझसे आशीष मिश्रा मोनू का नाम शिकायत से हटाने को कहा। उन्होंने हमसे कहा कि अगर आशीष का नाम नहीं हटाया तो पुलिस इस शिकायत को स्वीकार नहीं करेगी। लेकिन हम अपनी शिकायत उनकी मेज पर छोड़कर लौट आए। हम तीन हमलावरों में से एक की पहचान कर सकते हैं।
- प्रभजोत सिंह, गवाह सोर्सः द टेलीग्राफ
अमर उजाला अखबार की खबर के मुताबिक प्रभजोत के भाई ने जो शिकायत दी, उसमें मुख्य हमलवार का नाम विकास चावला बताते हुए उसे आशीष मिश्रा का गुर्गा बताया।
पुलिस अधिकारी राजू राव ने प्रभजोत के आरोपों को गलत बताते हुए हमले के लिए "व्यक्तिगत विवाद" को जिम्मेदार ठहराया। राजू राव ने पत्रकारों से कहा, मेरे पास कोई नहीं आया और न ही मुझे ऐसी कोई शिकायत मिली है।
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यह एक व्यक्तिगत विवाद को लेकर दो समूहों के बीच की लड़ाई लग रही है। इसका तिकुनिया कांड (लखीमपुर खीरी हत्याकांड) से कोई लेना-देना नहीं है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।
-संजीव सुमन, एसपी, लखीमपुर खीरी सोर्सः द टेलीग्राफ
स्थानीय किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि चूंकि 16 दिसंबर से इस केस की सुनवाई शुरू होने वाली है। मामला अदालत में है। इसलिए गवाहों को चुप कराने की कोशिश की जा रही है। प्रभजोत और उसका भाई सर्वजीत इस मामले के अहम गवाह हैं। इसलिए उन्हें टारगेट किया गया।
आशीष मिश्रा उर्फ मोनू किसानों की कथित हत्या के आरोप में इस समय जेल में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उस पर आरोप है कि उसने 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर में केंद्रीय मंत्री टेनी की कार से अपने पिता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इसकी ठीक से जांच हुई। पिछले हफ्ते अदालत ने आशीष मिश्रा समेत 14 आरोपियों पर हत्या, हत्या का प्रयास, हिंसा आदि समेत कई संगीन धाराओं में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था।
आशीष मिश्रा की जमानत के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जहां इस मामले की सुनवाई जारी है। इस बीच सोशल मीडिया पर लोग इस हमले की निन्दा कर रहे हैं। लोगों ने पीएम मोदी से अजय मिश्रा टेनी को मंत्री पद से हटाने की मांग की है। लोगों ने लिखा है कि अजय मिश्रा के मंत्री रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।