सनातन संस्कृति के सबसे पावन एवं पुण्यार्जक महापर्व पूर्ण कुंभ का मकर संक्रांति-14 जनवरी से शुरू होने वाला मेला उत्तराखंड की बीजेपी सरकार की कोताही से इस वर्ष आयोजित ही नहीं हो पाया! सौर मंडल में ग्रह-नक्षत्रों की पूर्ण कुंभ की युति इसी वर्ष बनने के बावजूद बीजेपी सरकार ने मकर संक्रांति को सामान्य पर्व स्नान ही प्रचारित किया है। इस बार मकर संक्रांति पर न तो अखाड़ों के नागा संन्यासियों के शाही स्नान की व्यवस्था है और न ही पेशवाई निकल पाई।
ताज्जुब यह है कि बीजेपी और उसके सरबरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह सरकार खुद को हिंदुओं का सबसे बड़ा खैरख्वाह बताते नहीं अघाती मगर उनके राज में हरिद्वार में पूर्ण कुंभ-2021 मेला मार्च-अप्रैल के बीच महज डेढ़ महीने में समेटने की तैयारी है।
यह घोषणा राज्य के कुंभ मेला प्रभारी और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने की है। उनके मुताबिक़, राज्य सरकार की ओर से इस साल पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन मकर संक्रांति से चार महीने के बजाए मार्च से महज 48 दिन तक किया जाएगा। कुंभ की अधिसूचना फरवरी के अंत तक जारी की जाएगी।
महामारी की आड़ ले रही सरकार
कुंभ मेले को ग्रह-नक्षत्र योग के बावजूद देर से शुरू करने में अपनी कोताही को छुपाने के लिये रावत सरकार महामारी की आड़ ले रही है। कौशिक ने मेले में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने पर महामारी के बेकाबू होने से समूचे उत्तर भारत के बेहाल हो जाने की आशंका जताई है। उनके अनुसार बड़े पैमाने पर इलाज की व्यवस्था हरिद्वार में करना असंभव होगा। इसलिए उत्तराखंड सरकार वैक्सीन का इंतजार कर रही है।
टीका लगवाना अनिवार्य होगा!
सूत्रों के अनुसार, मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महामारी का टीका लगवाना अनिवार्य करने की तैयारी है। जाहिर है कि बहुत से श्रद्धालु तो टीके के नाम से ही बिदक कर गंगा स्नान के पुण्य लाभ का विचार त्याग देंगे। वैसे, साल 1974 के कुंभ मेले तक गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को हैजे का टीका अनिवार्य रूप में लगवाना पड़ता था। चुंगी नाके पर टीका लगने के बाद ही श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में घुसने दिया जाता था।
सूर्य और बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तभी कुंभ मेले का आयोजन होता है। इसी आधार पर स्थान और तिथि निर्धारित की जाती है। हरिद्वार के कुंभ का संबंध मेष राशि से है। जब कुंभ राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब यह पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है।
गौरतलब है कि प्रयागराज में साल 2019 में अर्धकुंभ होने के बावजूद बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उसे महाकुंभ का मेला प्रचारित किया और पूरे चार महीने चलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संगम पर स्नान करने गए थे। हरिद्वार में अब तक लगे पूर्ण कुंभ के सभी मेलों में पहला स्नान पर्व मकर संक्रांति ही रहा है चाहे केंद्र अथवा राज्य में कांग्रेस की सरकार रही हो।
इससे पहले हरिद्वार में 2010 के पूर्ण कुंभ में केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह की कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने मकर संक्रांति से शुरू हुए मेले के आयोजन के लिए चार अरब रुपये दिए थे। तब राज्य में रमेश पोखरियाल निशंक की बीजेपी सरकार ही थी।
साल 2010 का पूर्ण कुंभ मेला मकर संक्रांति से लेकर बैसाखी और उसके बाद के पर्वों तक पूरे चार महीने चला था। उसमें तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के हरिद्वार आकर गंगा नदी में डुबकी लगाने तथा शांतिपूर्वक चले जाने का दावा राज्य सरकार ने किया था।
महज 20 फीसद बजट
इस बार कुंभ मेले के आयोजन का बजट 4000 करोड़ रुपये रखा गया था मगर राज्य सरकार ने उसे घटा कर महज 20 फीसद यानी 800 करोड़ रुपये कर दिया है। कुंभ मेले के मुहाने पर खड़े हरिद्वार नगर की तमाम सड़कें खुदी पड़ी हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग-58 को चौड़ा करने का काम तमाम दावों के बावजूद 2010 के कुंभ से अब तक पूरा नहीं हुआ।
चंडीघाट पुल के समानांतर गंगा नदी पर बन रहे पुल का निर्माण भी लटका हुआ है। कुंभ के लिए लगने वाले अखाड़ों के शिविरों के लिए अभी तक भूमि को समतल भी नहीं कराया गया जबकि कायदे से कुंभ का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी को आयोजित होता आया है।
कुंभ का मेला देश-दुनिया में सबसे अधिक लोगों की उपस्थिति दर्ज करने वाला जमावड़ा है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक़ इस साल कुंभ मेले का आयोजन राज्य सरकार की ओर से 48 दिन के लिए किया जाएगा।
प्रदेश सरकार से सवाल
कुंभ मेले के आयोजन की अधिसूचना फरवरी के अंत तक जारी करने की जानकारी देते हुए कौशिक ने सफाई दी कि यह नौबत कुंभ संबंधी निर्माण कार्यों के कोविड-19 महामारी से तीन महीने ठप रहने के कारण आई है। हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का सवाल है कि जब सौरमंडल में कुंभ की स्थिति से अमृत वर्षा का योग बन रहा है तो श्रद्धालुओं को उसका पुण्य लाभ लेने से वंचित करने वाली प्रदेश सरकार कौन होती है।
हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर पूर्ण कुंभ के लिए ग्रहों-नक्षत्रों की पावन युति अमूमन 12 वर्ष में बनती है मगर ज्यातिषियों के अनुसार इस बार ऐसा एक वर्ष पहले ही हो रहा है इसलिए 2021 में कुंभ के स्नान पर्व मकर संक्रांति से आरंभ होने थे।
गौरतलब है कि हरिद्वार के मैदानी स्वरूप के बावजूद उसे गंगा तट पर लगने वाले कुंभ एवं अन्य स्नान पर्वों के कारण ही उत्तराखंड में शामिल किया गया था। उत्तराखंड की मूल परिकल्पना में नए राज्य की सीमा ऋषिकेश से आरंभ होनी थी मगर गंगा नदी के पावन महत्व को देखते हुए हरिद्वार जिले को भी पुण्यभूमि मानकर देव भूमि उत्तराखंड में शामिल कर दिया गया।
अखाड़ों को मनाने की कोशिश
अब त्रिवेंद्र सिंह रावत की बीजेपी सरकार ने पूर्ण कुंभ जैसे महापर्व को भी टालकर हरिद्वार को उत्तराखंड में शामिल करने के औचित्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। राज्य सरकार की इस ढिलाई पर अखाड़ा परिषद ने रोष जताया तो नौ अखाड़ों को एक-एक करोड़ रुपये अपने इंतजाम के लिए देकर राज्य सरकार ने उनकी मान मनौव्वल की है।
अखाड़ा परिषद में कुल 13 अखाड़़े हैं। उनमें से महानिर्वाणी अखाड़े के महन्त रवींद्र पुरी ने महामारी में लोगों की तकलीफ का हवाला देकर यह राशि नहीं लेने की मिसाल कायम की। तीन बैरागी अखाड़ों को तकनीकी आधार पर यह राशि नहीं मिली।
कुंभ के महत्व का अनुमान हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अबुदाई कृष्ण राज एस के 14 जनवरी के स्नान के लिए तैनात किए जाने वाले पुलिसकर्मियों को दिए बयान से पता चलता है।
उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति प्रथम स्नान पर्व है। इस पर्व से काफी हद तक आगामी कुंभ मेले की दिशा-दशा और स्वरूप का अनुमान लग सकेगा। इसलिए सभी लोग इस स्नान पर्व को आगामी मुख्य स्नान पर्वों का अभ्यास मानते हुए पूरी मेहनत-सतर्कता और समर्पण के साथ अपनी ड्यूटी करें।
साधु-संतों का दबाव
कुंभ की तैयारी के सिलसिले में अखाड़ा परिषद और मुख्यमंत्री रावत के बीच अनेक बार बातचीत हो चुकी है। मुख्यमंत्री का कहना है कि महामारी अगर काबू में रही तभी मेले का आयोजन बड़े पैमाने पर हो पाएगा। हालांकि संतजन महामारी का प्रकोप घटने की दुहाई देकर कुंभ मेला हर हाल में होने का दबाव दे रहे हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ मेले में टीकाकरण की दरख्वास्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और उत्तराखंड सरकार के बीच हरिद्वार पूर्ण कुंभ मेले के दौरान गंगा नदी की सफाई पर चर्चा हुई है।
मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार में गंगा स्नान करते हैं। इसलिए नदी की सफाई जारी रख कर श्रद्धालुओं को स्वच्छ गंगा में स्नान का मौका देने के लिए 16 हजार सामुदायिक टॉयलेट बनाने की तैयारी है।
कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत के अनुसार इनके संचालन के लिए मेला प्रशासन ने स्वयंसेवी संस्थाओं को आमंत्रित किया है। उनके मुताबिक़ हरिद्वार में सड़कों की मरम्मत एवं पुल आदि को पूरा करने पर भी युद्धस्तर पर काम चल रहा है।