कौन होगा योगी कैबिनेट में नंबर दो?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने भले ही फिर से बहुमत हासिल कर लिया हो लेकिन उसके बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं। पार्टी योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री बनाएगी इसे लेकर कोई सवाल ही नहीं है लेकिन योगी कैबिनेट में नंबर दो कौन होगा यह एक बड़ा सवाल है।
केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश बीजेपी के बड़े नेता हैं। 2017 में जब वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे तब उसे प्रचंड बहुमत मिला था। मौर्य उस वक्त मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में आगे थे लेकिन पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लगाई थी।
चुनाव जीतने के बाद केशव प्रसाद मौर्य के लिए उप मुख्यमंत्री बनना आसान होता लेकिन अपनी सीट सिराथू से हार जाने के बाद उनके लिए इस पद की दावेदारी करना थोड़ा मुश्किल जरूर हो गया है।
झेलना पड़ा था विरोध
मौर्य को सिराथू सीट पर सपा गठबंधन के सहयोगी दल अपना दल (कमेरावादी) की प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने 7000 वोटों के अंतर से हराया है। मौर्य को चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा था और उनके लिए जीत हासिल करना मुश्किल माना जा रहा था। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम बड़े नेताओं ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था।
हालांकि केशव प्रसाद मौर्य आसानी से विधान परिषद जा सकते हैं लेकिन देखना होगा कि पार्टी इस बारे में क्या फैसला लेती है।
केशव प्रसाद मौर्य के अलावा योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट के 10 और मंत्री चुनाव में हारे हैं। योगी सरकार के दूसरे उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। पार्टी उन्हें फिर से उप मुख्यमंत्री बनाएगी इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है।
दो और दावेदार
उप मुख्यमंत्री पद के लिए उत्तर प्रदेश बीजेपी में दो और नए नाम सामने आए हैं। इनमें पहला नाम वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का है तो दूसरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा से आने वालीं बेबी रानी मौर्य का। बेबी रानी मौर्य दलित समाज की जाटव बिरादरी से आती हैं और बीजेपी ने उन्हें चुनाव में जाटव चेहरे के रूप में आगे रखा था।
जबकि स्वतंत्र देव सिंह को भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम करने के बाद फिर से योगी कैबिनेट में कोई अहम जगह दे सकती है।
उत्तर प्रदेश में 3 दशक के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब किसी राजनीतिक दल ने सत्ता में लगातार वापसी की है। बीजेपी को उत्तर प्रदेश में अपने दम पर 255 सीटें मिली हैं जबकि गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर उसने 273 सीटें जीती हैं।