+
मतदान से पहले, चर्चों से जुड़े संगठन क्यों दिखा रहे हैं फिल्म द केरल स्टोरी?  

मतदान से पहले, चर्चों से जुड़े संगठन क्यों दिखा रहे हैं फिल्म द केरल स्टोरी?  

लोकसभा चुनाव के दौरान केरल में मतदान 26 अप्रैल को होना है। इसमें अब करीब 15 दिन बचे हैं। इस बीच केरल में लव जिहाद का मुद्दा तेजी से उठ रहा है। इस पर चर्चाएं हो रही हैं। इसका कारण फिल्म द केरल स्टोरी है। 

लोकसभा चुनाव के दौरान केरल में मतदान 26 अप्रैल को होना है। इसमें अब करीब 15 दिन बचे हैं। इस बीच केरल में लव जिहाद का मुद्दा तेजी से उठ रहा है। इस पर चर्चाएं हो रही हैं। इसका कारण फिल्म द केरल स्टोरी है। 

इस फिल्म में कथित लव जिहाद से जुड़े मुद्दे दिखाए गए हैं। केरल के चर्चों से जुड़े सगंठनों द्वारा बीते कुछ दिनों में द केरल स्टोरी फिल्म दिखाई जा चुकी है वहीं कई अन्य चर्च से जुड़े संगठन भी अगले कुछ दिनों में इसे दिखाने की योजना बना रहे हैं। 

इनका कहना है कि इस फिल्म के जरिए वह किशोर-किशोरियों को लव जिहाद की साजिश से बचाने के लिए  जागरुक करना चाहते हैं। फिल्म द केरल स्टोरी राज्य में एक बार फिर तेजी से सुर्खिया बटोर रही हैं। 

माना जा रहा है कि केरल में चर्चों से जुड़े संगठनों द्वारा इस फिल्म को दिखाए जाने से राज्य में भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि फिल्म द केरल स्टोरी को चर्चों से जुड़े लोगों और संगठनों का मिल रहा समर्थन चौंकाने वाला है। 

केरल की सबसे बड़ी कैथोलिक इसाई संस्था सायरो मालाबार चर्च अगले दो सप्ताह में 14 से 19 वर्ष के इसाई किशोरों को यह फिल्म दिखाने जा रहा है। इस फिल्म की स्क्रीनिंग रविवार को प्रार्थना को बाद होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इस समूह के करीब 500 चर्च में इस फिल्म को दिखाया जायेगा। 

इस समूह के चर्च का मुख्यालय कोच्चि में हैं, यह भारत में ईसाईयों की सबसे बड़ी और पुरानी संस्था है। इस चर्च के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि यह चर्च 4860 शैक्षिक और 2614 स्वास्थ्य व चैरिटेबल और 262 धार्मिक संस्थान चला रही है। 

फिल्म द केरल स्टोरी की स्क्रीनिंग को लेकर चर्च से जुडे पदाधिकारियों का कहना है कि हमारा उद्देश्य लव जिहाद को रोकना है। 

इससे पहले पिछली 2 अप्रैल से 4 अप्रैल को जब इस फिल्म को दिखाया गया तब कांग्रेस और सीपीआई(एम ) इस फिल्म के विरोध में उतर आए थे। वहीं पिछले दिनों ही जब दूरदर्शन ने इस फिल्म का प्रसारण किया तब भी सीपीआईएम और कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी। 

फिल्म दिखाए जाने की टाइमिंग को लेकर उठ रहा सवाल ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जो फिल्म काफी समय पहले रिलिज हो चुकी है, अब फिर क्यों इतने बड़े पैमाने पर दिखाई जा रही है। फिल्म दिखाने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि फिल्म मुसलमानों के खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडा को बढ़वा दे रही है। 

लोकसभा चुनाव के समय इसकी इतने बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग को लेकर कहा जा रहा है कि यह फिल्म मुस्लिम समाज के प्रति नफरत को बढ़ावा दे सकती है। इससे समाज में धुव्रीकरण बढ़ेगा। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। 

इसके आलोचकों का मानना है कि यह फिल्म भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए ही दिखाई जा रही है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि चर्च से जुड़ी जो संस्थाएं कल तक भाजपा को पसंद नहीं करती थी अब भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाता क्यों नजर आ रही हैं। 

इसके बारे में राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा बीते कई वर्षों से केरल में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रही है। उसे अंदाजा हो गया है कि केरल में अगर पार्टी का जनाधार बढ़ाना है तो करीब 18 प्रतिशत आबादी वाले ईसाई समुदाय को अपनी ओर मिलाना होगा।  

इसके लिए भाजपा की ओर से लगातार प्रयास किये जाते रहे हैं। खासतौर से पिछले तीन वर्ष में भाजपा ने केरल के चर्चों को अपनी ओर करने के लिए काफी मेहनत की है। 

इसका नतीजा यह हुआ है कि जो चर्च पहले कांग्रेस को समर्थन करते थे वह अब भाजपा को समर्थन देने लगे हैं। हालांकि यह समर्थन कितना मिलेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि चर्चों से जुड़े संगठन अब भाजपा के पाले में आते जा रहे हैं। 

आलोचक कह रहे इस्लामोफोबिया को बढ़ाती है फिल्म

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालाबार कैथोलिक चर्च के इडुक्की क्षेत्र ने 2 अप्रैल से अपने क्षेत्र में आने वाले विभिन्न चर्चों में आयोजित तीन दिवसीय अवकाश प्रशिक्षण वर्ग के दौरान छात्रों को विवादास्पद 'द केरल स्टोरी' फिल्म दिखाई है। 

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित कम बजट की यह हिंदी फिल्म, केरल की तीन महिलाओं की काल्पनिक कहानी बताती है जिन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह में शामिल होने का लालच दिया जाता है।

इस फिल्म के निर्माता दावा करते हैं कि फिल्म वर्षों के शोध पर आधारित है, वहीं इसके आलोचकों का मानना है कि यह फिल्म धार्मिक असामंजस्य और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई है। 

चुनाव आयोग तक जा चुका है फिल्म से जुड़ा मामला

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि केरल में सीपीएम और कांग्रेस ने इस विवादास्पद फिल्म को प्रसारित करने के दूरदर्शन के फैसले के खिलाफ भारत के चुनाव आयोग में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थी। 

जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह संभावित रूप से धार्मिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण कर सकती है और चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने और इसकी स्क्रीनिंग रोकने का आग्रह किया था।

दूसरी तरफ भाजपा ने दावा किया कि फिल्म का विषय वास्तविक है और आश्चर्य है कि वामपंथी और कांग्रेस इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दूरदर्शन के फैसले की निंदा की थी और उसे इस विवादास्पद फिल्म की स्क्रीनिंग से हटने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनावों से पहले केवल सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाएगी।  विजयन ने दूरदर्शन से भाजपा और आरएसएस के लिए प्रचार मशीन नहीं बनने को कहा था। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें