केरल हाईकोर्ट का आदेश 9 यूनिवर्सिटीज के वीसी काम करते रहें

06:16 pm Oct 24, 2022 | सत्य ब्यूरो

केरल हाईकोर्ट ने राज्य के 9 यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों (वीसी) से कहा है कि वे अपने पदों पर बने रहें। उन्हें फिलहाल इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने कि सभी 9 वीसी तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक कि राज्यपाल उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस के बाद अंतिम आदेश जारी नहीं कर देते। इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले के महत्व को देखते हुए हाईकोर्ट ने सोमवार शाम को केस की विशेष सुनवाई की और निर्देश जारी किया।

केरल के राज्यपाल और कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य की 9 यूनिवर्सिटीज के वीसी से सोमवार सुबह तक इस्तीफा देने को कहा था। राज्यपाल खान का मानना है कि इन सभी की नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है।

केरल की जिन नौ यूनिवर्सिटीज में कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है, उनमें केरल यूनिवर्सिटी, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, कोचीन साइंस और टेक्नॉलजी यूनिवर्सिटी, केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय, कन्नूर विश्वविद्यालय, एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और थुंचथ एज़ुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय इनमें शामिल हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने पहले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (केटीयू) के कुलपति के रूप में डॉ राजश्री एमएस की नियुक्ति रद्द कर दी थी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार, सर्च कमेटी को वीसी के पद के लिए कम से कम तीन योग्य व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन राजश्री के मामले में, केवल उनके नाम की सिफारिश की गई थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया। लेकिन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस मामले की आड़ लेकर सभी 9 यूनिवर्सिटीज में वीसी की नियुक्ति पर सवाल उठा दिया और उनसे इस्तीफा देने को कहा। इस तरह यह मामला पूरी तरह राजनीतिक हो गया है। राज्य सरकार से उनका 36 आंकड़ा पहले से ही था, लेकिन यह मामला चरम पर पहुंच गया है।

इस घटनाक्रम पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार सुबह कहा था  कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आरएसएस के एक टूल (हथियार) के रूप में काम कर रहे हैं और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। पीटीआई के मुताबिक मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्यपाल का पद सरकार के खिलाफ जाने के लिए नहीं बल्कि संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए होता है। राज्यपाल का निर्देश अलोकतांत्रिक और कुलपतियों की शक्तियों का अतिक्रमण है।

राज्यपाल को कुलपतियों से इस्तीफा देने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है। नियुक्तियों में विसंगतियों की जवाबदेही अगर किसी की है तो वो राज्यपाल की ही है। सारी नियुक्तियां राज्यपाल ने की हैं।


-पिनाराई विजयन, मुख्यमंत्री केरल, 24 अक्टूबर

मुख्यमंत्री ने कहा, यह वही राज्यपाल हैं, जिन्होंने इन कुलपतियों की नियुक्ति की थी, और नियुक्ति में अगर कुछ अवैध हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। राज्यपाल के कदम को "असामान्य" बताते हुए, विजयन ने उन पर राज्य में "विश्वविद्यालयों को नष्ट करने" के इरादे से "युद्ध छेड़ने" का आरोप लगाया।