केरल में नन से बलात्कार के मामले में अभियुक्त बिशप फ्रैंको मुलक्कल को एक अदालत ने अपराध से बरी कर दिया है। अदालत के फैसले के बाद बिशप ने कहा कि वह इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। बिशप फ्रैंको भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे जिन पर बलात्कार के किसी मामले में जांच चल रही थी।
100 दिन तक जांच चलने के बाद अतिरिक्त सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि उसने बिशप फ्रैंको को इस मामले में दोषी नहीं पाया है।
नन ने आरोप लगाया था कि बिशप फ्रैंको ने 2014 से 2016 के बीच में उसके साथ कई बार बलात्कार किया था। बिशप फ्रैंको ने इन सभी आरोपों को गलत बताया था। इस मामले में विरोध प्रदर्शन हुए थे और ननों ने चर्च, केरल पुलिस और राज्य सरकार से बिशप फ्रैंको के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
ननों की ओर से इस मामले में वेटिकन को भी पत्र लिखा गया था और दखल देने की मांग की गई थी। मामले की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया था।
कोट्टयम के पुलिस प्रमुख एस. हरिशंकर ने अदालत के फैसले पर हैरानी जताई है। उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस मामले में ठोस सबूत थे और कोई भी गवाह अपने बयान से मुकरा नहीं था।
पुलिस के द्वारा इस मामले में पूछताछ के दौरान बिशप के बयानों में विरोधाभास था। बिशप ने दावा किया था कि वह कुराविलंगड़ के कॉन्वेंट में 5 मई 2014 को नहीं रुका था। जबकि नन ने कहा था कि इसी दिन बिशप ने उससे पहली बार बलात्कार किया था।
बिशप ने कहा था कि वह सिर्फ कॉन्वेंट में गया था और किसी दूसरी जगह ठहरा था। लेकिन जब पुलिस ने उसके दावे की जांच की तो पाया कि बिशप और उसका ड्राइवर कुराविलंगड़ के इसी कॉन्वेंट में उस दिन रुके थे। बिशप की मोबाइल लोकेशन से भी पता चला था कि 5 मई 2014 को बिशप उसी कॉन्वेंट में थे जहां पर बलात्कार की पीड़िता रहती थी।
पूछताछ के दौरान बिशप ने पुलिस को सबूत के तौर पर एक वीडियो दिया था जो एडिटेड था।