+
केरल: राज्यपाल की सरकार से ठनी, मंत्री को हटाने की मांग क्यों?

केरल: राज्यपाल की सरकार से ठनी, मंत्री को हटाने की मांग क्यों?

विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों के साथ राज्यपालों का ठनना कोई नयी बात नहीं है, लेकिन केरल में तो अब बात इस्तीफा मांगने तक पहुँच गई है। जानिए राज्यपाल ने क्या आरोप लगाया है। 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखकर वित्त मंत्री केएन बालगोपाल को एक विश्वविद्यालय में हालिया टिप्पणी पर बर्खास्त करने की मांग की है। राज्यपाल ने कहा है कि मंत्री की वह टिप्पणी 'राजद्रोह' वाली थी।

मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने आरोप लगाया है कि बालगोपाल ने पिछले बुधवार को तिरुवनंतपुरम के एक विश्वविद्यालय परिसर में एक भाषण दिया था, जिसमें क्षेत्रवाद और प्रांतवाद की आग भड़काने और भारत की एकता को कम करने की कोशिश की गई थी। रिपोर्टों के अनुसार, देश के अन्य हिस्सों में अधिकारियों द्वारा छात्रों पर हिंसक कार्रवाई का ज़िक्र करते हुए मंत्री केएन बालगोपाल ने उस समारोह में कहा था कि 'जो लोग यूपी जैसी जगहों से आते हैं उन्हें केरल में विश्वविद्यालयों को समझने में मुश्किल हो सकती है।' 

वैसे, विश्वविद्यालय के मुद्दे पर केरल सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी बनी हुई है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दो दिन पहले ही कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आरएसएस के एक टूल के रूप में काम कर रहे हैं और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल का पद सरकार के ख़िलाफ़ जाने के लिए नहीं बल्कि संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए होता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का निर्देश अलोकतांत्रिक और कुलपतियों की शक्तियों का अतिक्रमण है। 

विजयन ने कहा था, 'राज्यपाल को कुलपतियों से इस्तीफा देने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है। नियुक्तियों में विसंगतियों की जवाबदेही अगर किसी की है तो वो राज्यपाल की ही है। सारी नियुक्तियां राज्यपाल ने की हैं।'

बता दें कि राज्यपाल ने 9 विश्वविद्यालयों के वीसी को इस्तीफा देने का आदेश दिया था, लेकिन केरल हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उन वीसी को तब तक काम करते रहने के लिए कह दिया जब तक कि राज्यपाल उन्हें कारण बताओ नोटिस के बाद अंतिम आदेश जारी नहीं कर देते।

बहरहाल, मंत्री के बयान को लेकर राज्यपाल खान ने कहा, 'वित्त मंत्री श्री केएन बालगोपाल की टिप्पणी केरल और भारतीय संघ के अन्य राज्यों के बीच एक दरार पैदा करने की कोशिश करती है और एक ग़लत धारणा पेश करती है जैसे कि भारत के विभिन्न राज्यों में उच्च शिक्षा की अलग-अलग प्रणालियाँ हैं।'

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार पत्र में उन्होंने कहा है, 'हालाँकि शिक्षा मंत्री और क़ानून मंत्री जैसे अन्य लोग भी हैं जिन्होंने मुझ पर हमले किए हैं, मैं उन्हें अनदेखा करना चाहता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से चोट पहुँचाई है। लेकिन अगर मैं श्री केएन बालगोपाल की देशद्रोही टिप्पणी का संज्ञान नहीं लेता, तो यह मेरी ओर से कर्तव्य की एक गंभीर चूक होगी।'

राज्यपाल ने वित्त मंत्री पर नाखुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को संवैधानिक रूप से उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पीटीआई ने मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के हवाले से बताया है कि अनुरोध को तुरंत ठुकरा दिया गया। राज्यपाल के पत्र के बाद राजभवन के बाहर राज्य के सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टी के छात्र संगठन ने विरोध मार्च किया।

वैसे, समझा जाता है कि यह विवाद राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच तनातनी का एक हिस्सा है। विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच ऐसे टकराव आम हो गए हैं। चाहे वह पश्चिम बंगाल का मामला हो या फिर पंजाब, झारखंड का या फिर उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में महाराष्ट्र का।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें