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क्या केरल के गवर्नर आरिफ आरएसएस एजेंट हैं?

क्या केरल के गवर्नर आरिफ आरएसएस एजेंट हैं?

केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान जब से केरल के राज्यपाल बने हैं, उसी समय से किसी न किसी विवाद में रहते हैं। वो हर समय ऐसे कदम उठाते नजर आते हैं जो केंद्र सरकार को बहुत भाते हैं। अब उन्होंने केरल की 9 यूनिवर्सिटीज के वीसी का इस्तीफा मांगकर बड़ी हलचल मचा दी है।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल की 9 यूनिवर्सिटीज के वीसी से इस्तीफा मांगा है। यह मुद्दा तूल पकड़ गया है और मामला हाईकोर्ट में जा पहुंचा है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आरएसएस के एक टूल (हथियार) के रूप में काम कर रहे हैं और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

पीटीआई के मुताबिक मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्यपाल का पद सरकार के खिलाफ जाने के लिए नहीं बल्कि संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए होता है। राज्यपाल का निर्देश अलोकतांत्रिक और कुलपतियों की शक्तियों का अतिक्रमण है।

मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी राज्यपाल द्वारा कुलपतियों को इस्तीफा देने के निर्देश जारी करने के एक दिन बाद आई है। मुख्यमंत्री ने कुलपतियों से इस्तीफा नहीं देने को कहा है। विजयन ने कहा कि राज्यपाल को "कुलपतियों से इस्तीफा देने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है। नियुक्तियों में विसंगतियों की जवाबदेही अगर किसी की है तो वो राज्यपाल की ही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, यह वही राज्यपाल हैं, जिन्होंने इन कुलपतियों की नियुक्ति की थी, और नियुक्ति में अगर कुछ अवैध हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। राज्यपाल के कदम को "असामान्य" बताते हुए, विजयन ने उन पर राज्य में "विश्वविद्यालयों को नष्ट करने" के इरादे से "युद्ध छेड़ने" का आरोप लगाया।

केरल की जिन नौ यूनिवर्सिटीज में कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है, उनमें केरल यूनिवर्सिटी, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, कोचीन साइंस और टेक्नॉलजी यूनिवर्सिटी, केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय, कन्नूर विश्वविद्यालय, एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और थुंचथ एज़ुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय इनमें शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (केटीयू) के कुलपति के रूप में डॉ राजश्री एमएस की नियुक्ति रद्द कर दी थी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार, सर्च कमेटी को वीसी के पद के लिए कम से कम तीन योग्य व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन राजश्री के मामले में, केवल उनके नाम की सिफारिश की गई थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया। 

आरोप है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस मामले की आड़ लेकर सभी 9 यूनिवर्सिटीज में वीसी की नियुक्ति पर सवाल उठा दिया और उनसे इस्तीफा देने को कहा। इस तरह यह मामला पूरी तरह राजनीतिक हो गया है। राज्य सरकार से उनका 36 आंकड़ा पहले से ही था, लेकिन यह मामला चरम पर पहुंच गया है।

इस मामले को अब केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जो किसी भी समय इस मामले की सुनवाई कर सकता है।

इस बीच, केरल में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने राज्यपाल के कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मैं इस तथ्य का स्वागत करता हूं कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पिनाराई विजयन सरकार की अवैध नियुक्तियों में सहयोग करके अपनी गलती सुधारने के लिए तैयार हैं। राज्यपाल का निर्णय सरकार के कदम के लिए झटका है। यूजीसी के मानदंडों और प्रक्रियाओं की अवहेलना करके वीसी नियुक्त किए गए थे।

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