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दिल्ली में केजरीवाल सरकार के मंत्री का इस्तीफा

दिल्ली में केजरीवाल सरकार के मंत्री का इस्तीफा

दिल्ली में केजरीवाल सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस्तीफा दे दिया है। विजयदशमी पर दीक्षा समारोह में उनकी मौजूदगी को बीजेपी ने दिल्ली से लेकर गुजरात तक बहुत बड़ा मुद्दा बना दिया। बीजेपी के उग्र प्रदर्शन के दबाव में आकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 

दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दिल्ली में कथित धर्म परिवर्तन कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी को लेकर उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, विजय दशमी पर इस कथित धर्म परिवर्तन कार्यक्रम के बाद गुजरात में केजरीवाल को हिन्दू विरोधी ठहराते हुए बीजेपी ने पोस्टर चिपका दिए गए थे। गुजरात में शनिवार को केजरीवाल का दौरा था। केजरीवाल को वहां इस पर सफाई देनी पड़ी। गौतम का इस्तीफा बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि इससे दलितों की नाराजगी बीजेपी को झेलनी पड़ सकती है। आम आदमी पार्टी एक दलित मंत्री के इस्तीफे को मुद्दा बना सकती है। 

अपना इस्तीफा देते हुए मंत्री गौतम ने बहुत भावुक बातें कहीं और अपने इरादे भी बता दिए हैं। उन्होंने कहा कि आज (9 अक्टूबर) महर्षि वाल्मीकि जी का प्रकटोत्सव दिवस है एवं दूसरी ओर मान्यवर कांशीराम साहेब की पुण्यतिथि भी है। ऐसे संयोग में आज मैं कई बंधनों से मुक्त हुआ और आज मेरा नया जन्म हुआ है। अब मैं और अधिक मज़बूती से समाज पर होने वाले अत्याचारों व अधिकारों की लड़ाई को बिना किसी बंधन के जारी रखूँगा। 

दिल्ली के आम्बेडकर भवन में लगभग 10 हजार लोग एकत्र हुए और 5 अक्टूबर को दशहरा के अवसर पर कथित तौर पर बौद्ध धर्म अपनाने की दीक्षा में भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन आप नेता और दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, भारतीय बौद्ध महासभा और बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया ने किया था। इसमें डॉ. बी.आर. के परपोते राजरत्न आम्बेडकर के साथ कई बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया। हालांकि विजयदशमी के दिन बौद्ध लोग बाबा साहब आम्बेडकर की शपथ को दोहराते हैं। लेकिन बीजेपी का आरोप है कि इस कार्यक्रम में हजारों हिन्दुओं को बौद्ध बना दिया गया। इसमें अधिकतर दलित समुदाय के लोग हैं। 

मिशन जय भीम के संस्थापक गौतम ने ट्विटर पर इवेंट की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, 'आइए मिशन जय भीम को बुद्ध की ओर बुलाएं। आज विजयादशमी पर "मिशन जय भीम" के तत्वावधान में, डॉ आम्बेडकर भवन रानी झांसी रोड पर तथागत गौतम बुद्ध के धम्म पर घर लौटकर 10,000 से अधिक बुद्धिजीवियों ने जाति मुक्त और अछूत भारत बनाने का संकल्प लिया। बुद्ध, जय भीम!"

इस घटनाक्रम के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को हिन्दू विरोधी करार दिया। पार्टी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा - यह @AamAadmiParty का दोहरापन है। जिस राज्य में चुनाव होते हैं।@ArvindKejriwal और उनके गुर्गे जय श्री राम और जय श्री कृष्ण कहते नहीं थकते। लेकिन जहां वे सत्ता में हैं, उनके मंत्री हमारे इष्ट देवताओं का अपमान कैसे करते हैं। इसके बाद बीजेपी नेताओं ने इस कार्यक्रम के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी। हालांकि इसका जवाब भी गौतम ने दिया - 

यह कार्यक्रम भारतीय बौद्ध समाज द्वारा आयोजित किया गया था। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। एक मंत्री के रूप में, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं लेकिन बौद्ध धर्म का पालन करता हूं। हम वही 22 शपथ ले रहे हैं जो बाबा साहब ने ली थी।


-राजेंद्र पाल गौतम, 8 अक्टूबर को

बीजेपी के मुद्दे में कितना दम

बीजेपी केजरीवाल को हिन्दू विरोधी करार देकर गुजरात में भले ही तत्कालिक लाभ प्राप्त कर ले लेकिन यह मुद्दा उसे राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान भी पहुंचा सकता है। क्योंकि विजयदशमी के दिन तमाम दलित और बौद्ध संगठन बाबा साहब आम्बेडकर की 22 शपथ दिलवाते हैं। यह बहुत साफ है कि आम्बेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़कर ही बौद्ध धर्म अपनाया था। इस तरह वो सनातन धर्म की तमाम बातों के खिलाफ थे। लेकिन दलित वोट बैंक के चक्कर में बीजेपी सहित कोई भी राजनीतिक दल बाबा साहब आम्बेडकर की बातों का विरोध नहीं कर पाता है। इसीलिए बीजेपी ने इस मुद्दे में बाबा साहब की शपथ का विरोध नहीं किया, बल्कि हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ कही गई बातों का विरोध किया। जबकि ये बातें तो हर साल विजय दशमी के दिन 22 शपथ के दौरान कही जाती हैं।

14 अक्टूबर 1956 को जब बाबा साहब ने नागपुर में अपने करीब 3,65,000 अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया तो उनके पास ठोस तर्क थे। उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म की नींव का आधार असमानता है। उस असमानता के खिलाफ लड़ने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। 22 शपथ में यह शपथ भी ली जाती है कि बौद्ध धर्म अपनाने वाला जीवन भर असमानता के लिए लड़ेगा। हिन्दुओं की विभिन्न जातियों में बांटने वाली मनु स्मृति की वर्ण व्यवस्था को आम्बेडकर ने खारिज कर दिया। उनके नेतृत्व में मनु स्मृति जलाई भी गई। आम्बेडकर ने कहा था कि दलितों के लिए जाति व्यवस्था की निंदा करने और समानता हासिल करने का यही एकमात्र तरीका था। इसने न केवल उनका रास्ता बदल दिया, बल्कि बड़ी संख्या में हाशिए के लोगों के जीवन को भी बदल दिया। 

आम्बेडकर का तिलिस्म

आम्बेडकर के तिलिस्म को कोई भी पार्टी तोड़ नहीं सकती। उनके कहे और लिखे शब्द आज भी उतने ही सामयिक हैं, जितने पहले थे। दलितों के प्रति सवर्णों की नफरत में रत्ती भर कमी नहीं आई है। भारत में जब तब उनका आरक्षण खत्म करने की मांग सवर्णों का एक खास तबका करता ही रहता है। अपने धर्म परिवर्तन के दिन, आम्बेडकर ने कहा था: ... धर्म मनुष्य के लिए है, न कि मनुष्य धर्म के लिए। मानव उपचार प्राप्त करने के लिए, स्वयं को परिवर्तित करें। संगठित होने में परिवर्तित करें। शक्तिशाली बनने के लिए परिवर्तित करें। समानता हासिल करने के लिए कनवर्ट करें। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए परिवर्तित करें।

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