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कश्मीरः बाहरी लोगों को वोट का अधिकार देने पर धमकी

कश्मीरः बाहरी लोगों को वोट का अधिकार देने पर धमकी

जम्मू कश्मीर में अन्य राज्य के लोगों को मतदान का अधिकार देने पर आतंकी संगठनों ने धमकी देना शुरू कर दिया है। उन्होंने धमकी दी है कि वे ऐसा नहीं होने देंगे और अन्य राज्य के लोगों को हमारे विरोध का सामना करना होगा। राज्य के राजनीतिक दलों ने भी बाहरी राज्य के लोगों को यहां वोट का अधिकार देने का विरोध किया है।

लश्कर-ए-तैयबा समर्थित आतंकी समूह कश्मीर फाइट ने अन्य राज्य के लोगों को मतदान का अधिकार देने पर आतंकी कार्रवाई की धमकी दी है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी ने अन्य राज्यों के लोगों को मतदान का अधिकार देने का फैसला किया है। उसी के मद्देनजर गैर-स्थानीय लोगों पर हमले तेज करने की धमकी दी गई है।

जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हिरदेश कुमार ने एक बड़े फैसले में घोषणा की थी कि गैर-स्थानीय लोग, जिनमें कर्मचारी, छात्र, मजदूर या बाहर का कोई भी व्यक्ति शामिल है, जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं, वे मतदान सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और जम्मू-कश्मीर चुनाव में वोट डाल सकते हैं।

उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को मतदाता के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए डोमीसाइल की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि अन्य राज्यों के सशस्त्र बल के जवान जो जम्मू-कश्मीर में शांति केंद्रों पर तैनात हैं, वे भी अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ सकते हैं। 

 - Satya Hindi

आतंकी संगठन की धमकी का पत्र

बता दें कि कश्मीर में हाल ही में कई आतंकवादी घटनाएं हुई हैं। अभी बुधवार को एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई और उनके भाई को घायल कर दिया गया। इससे पहले बिहार के एक मुस्लिम मजदूर की हत्या आतंकियों ने कर दी थी। पिछले हफ्तों में सुरक्षा बलों के कैंपों पर दो बार हमले की कोशिश की गई। जिनमें तीन जवान शहीद हुए थे और दो आतंकी मारे गए थे। 

इस समय चुनाव कश्मीर का बड़ा मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में यहां परसीमन कराया था। बाहरी लोगों को मतदान का अधिकार देने का कश्मीर में जबरदस्त विरोध हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले का विरोध किया है।

5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था और इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया था और पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म कर दिया गया था। राज्य में जून, 2018 के बाद से ही कोई सरकार अस्तित्व में नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर के चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने का फैसला चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए लिया गया है। इसका असली मकसद स्थानीय लोगों की ताकत कम करना और जम्मू-कश्मीर पर जबरदस्ती शासन करना है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं को लेकर इस कदर असुरक्षित महसूस कर रही है कि उसे चुनाव जीतने के लिए बाहर से मतदाताओं का आयात करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों से बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा। 

 

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