कर्नाटक के अमीर मंदिरों पर टैक्सः सच क्या है, भाजपा क्या छिपा रही है

02:58 pm Feb 22, 2024 | सत्य ब्यूरो

हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक कर्नाटक सरकार द्वारा पारित एक कानून है जो 1 करोड़ रुपये से अधिक आमदनी वाले हिंदू मंदिरों से आय का 10 फीसदी टैक्स अदा करने का आदेश देता है। विधेयक का मकसद राज्य में हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती के मैनेजमेंट और फंडिंग को नियमों के तहत लाना है। सरकार जो टैक्स राज्य के अमीर मंदिरों से प्राप्त करेगी, वो उसे आर्थिक रूप से कमजोर पुजारियों, सी-ग्रेड मंदिरों के विकास और पुजारियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने पर खर्च होगा। भाजपा के लिए मंदिरों पर टैक्स मुद्दा बन गया। उसने कांग्रेस पर हिन्दू विरोधी कार्य करने का आरोप लगाया है।

सच क्या है

बीजेपी के पिछले कार्यकाल में भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की गई थी। उस समय प्रावधान था कि 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक की आय वाले मंदिरों को 5 फीसदी और 25 लाख रुपये से अधिक आय वाले मंदिरों को 10 फीसदी टैक्स लिया जाता था। तब भी उस पैसे का मकसद वही था, जो अब कांग्रेस सरकार ने रखा है। यानी कमजोर वर्ग के पुजारियों की मदद और उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा। लेकिन भाजपा अब इसे हिन्दू विरोधी बता रही है।

कर्नाटक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह इस विधेयक के माध्यम से अपने धन को फिर से भरने का प्रयास कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकार राजस्व संग्रह के लिए केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है, अन्य धार्मिक संरचनाओं की उपेक्षा क्यों कर रही है।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "लाखों श्रद्धालुओं के मन में यह सवाल है कि केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, अन्य धार्मिक स्थलों की आय को नहीं।" भाजपा नेता का इशारा किधर है, इसे समझा जा सकता है।

जवाब में, कर्नाटक के परिवहन मंत्री और कांग्रेस नेता रामलिंगा रेड्डी ने भाजपा के दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया, "सरकार पैसा नहीं ले रही है। इसका इस्तेमाल पुजारियों और उनके बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए किया जाएगा।"

उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में भी इसी तरह की प्रथा लागू थी। उस समय तो 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच आय वाले मंदिरों से 5 फीसदी और 25 लाख रुपये से अधिक आय वाले मंदिरों से 10 फीसदी टैक्स लिया जाता था। उन्होंने कहा कि भाजपा सिवाय गुमराह करने और हिन्दू-मुसलमान करने के अलावा कुछ नहीं करती।