कर्नाटक राज्यसभा: बीजेपी को 3 सीटें, कांग्रेस को 1, जेडीएस को ज़ीरो

07:11 am Jun 11, 2022 | सत्य ब्यूरो

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस को कर्नाटक में तगड़ा झटका लगा है। वहाँ चार सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने तीन सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस एक सीट जीत पाई है। जेडीएस कोई भी सीट नहीं जीत पाई। जेडीएस के एक विधायक को कांग्रेस के पक्ष में वोट करने का बयान देते हुए सुना गया। 

बीजेपी की निर्मला सीतारमण, जग्गेश और लहर सिंह सिरोया ने कर्नाटक की चार में से तीन सीटों पर कब्जा किया। कांग्रेस के जयराम रमेश ने एकमात्र सीट जीती। 

कांग्रेस की ओर से मंसूर अली खान भी उम्मीदवार थे लेकिन वह जीत नहीं सके। जेडीएस की ओर से कुपेंद्र रेड्डी चुनाव मैदान में थे और वह भी जीत दर्ज नहीं कर सके।

राज्य में 4 सीटों के लिए 6 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। 224 सीटों वाली कर्नाटक की विधानसभा में कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 120 विधायक हैं लेकिन बीएसपी के एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी बीजेपी के साथ है और इस लिहाज से बीजेपी के पास 122 विधायक हैं। जेडीएस के पास 32 विधायक हैं। गणित के अनुसार बीजेपी 2 सीटें और कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत सकती थी। लेकिन बीजेपी ने एक और सीट को मैनेज कर लिया। जेडीएस को कोई सीट नहीं मिली।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने पुष्टि की कि उनकी पार्टी ने तीन सीटें जीती हैं, जबकि एक कांग्रेस के खाते में गई। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण, सिरोया और रमेश को 46 मत मिले, जबकि जग्गेश को 44 मत मिले।

रवि ने शुक्रवार शाम संवाददाताओं से कहा, 'हम पहले से ही कर्नाटक में दो सीटें आसानी से जीत रहे थे। लेकिन हमें बोनस के रूप में एक और सीट मिली। मैं इसके लिए सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं।'

रवि ने कहा, 'अन्य पार्टियों में ऐसे लोग हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम को पसंद करते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। उन्होंने हमारी मदद की है। मैं उन्हें भी धन्यवाद देना चाहता हूं।'

बता दें कि राज्यसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस के तीनों नेता- मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी जीत गए हैं। कांग्रेस की ओर से ये तीन ही उम्मीदवार थे। बीजेपी की ओर से घनश्याम तिवारी और बीजेपी समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव मैदान में थे। घनश्याम तिवारी भी चुनाव जीत गए हैं, जबकि सुभाष चंद्रा को हार का सामना करना पड़ा।