कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिराने के लिए क्या विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई थी? इस पर विवाद फिर से बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए कि इस बार खुद बीजेपी विधायक ने ही इस बारे में एक बड़ा दावा किया है। बीजेपी विधायक श्रीमंत बालासाहेब पाटिल ने रविवार को कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने से पहले उन्हें कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के लिए पैसे की पेशकश की गई थी। तब वह कांग्रेस के नेता थे।
कांग्रेस के कई विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद जुलाई 2019 में कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई थी। इससे पहले विधानसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने में नाकामयाब रही थी। कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार का गठन किया था। सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ भी चलाया था और कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। जब कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई थी तब बीजेपी की ओर से येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे।
अब उस घटनाक्रम को हुए दो साल हो गए हैं और मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को भी हटा दिया गया है और नया मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को नियुक्त किया गया है। इसी बीच श्रीमंत बालासाहेब पाटिल का यह बयान आया है। पाटिल ने यह बयान मीडियाकर्मियों के सामने दिया है। पाटिल ने कहा, 'मैं बिना किसी पैसे के बीजेपी में शामिल हुआ। मुझे पार्टी में शामिल होने के लिए पैसे की पेशकश की गई थी। मैं जितना चाहता था उतना मांग सकता था। मैंने पैसे नहीं मांगे, मैंने लोगों की सेवा करने के लिए उनसे मंत्री पद मांगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे नहीं पता कि मुझे वर्तमान सरकार में मंत्री पद क्यों नहीं दिया गया। लेकिन मुझसे वादा किया गया है कि मुझे अगले विस्तार में एक मंत्री का पद मिलेगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के साथ मेरी बात हुई है।'
पाटिल कर्नाटक के कागवाड़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह कांग्रेस के साथ लंबे समय से जुड़े रहे थे। लेकिन जुलाई 2019 में उन्होंने पार्टी बदल ली। वह उन 16 विधायकों में से एक थे, जो कांग्रेस और जेडीएस से बीजेपी में शामिल हुए थे।
पाटिल कर्नाटक की मौजूदा बोम्मई सरकार में शामिल नहीं हैं। राज्य में येदियुरप्पा सरकार बनने के बाद उन्हें मंत्री पद दिया गया था। हालांकि, बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफा देने और बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था।
अब पाटिल के इस बयान पर मामले के तूल पकड़ने के आसार हैं। आज ही शुरू हुए कर्नाटक विधानसभा के मानसून सत्र में इस पर घमासान हो सकता है। क्योंकि दो साल पहले जब कांग्रेस और जेडीएस की सरकार से कई विधायक अलग हो गए थे तब इन दोनों दलों ने बीजेपी के ख़िलाफ़ राजनीतिक कदाचार के आरोप लगाए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा था कि अगर एक-दो सदस्यों की ख़रीद-फरोख़्त होती तो कोई समस्या नहीं थी लेकिन होलसेल व्यापार एक समस्या है। उन्होंने कहा था कि जो विधायक गए हैं, वे होलसेल व्यापार में शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि 25 करोड़, 30 करोड़, 50 करोड़, ये पैसे कहाँ से आ रहे हैं?