कर्नाटक में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में भाजपा शासन के दौरान कोविड के लिए करोड़ों रुपये के धन का कथित दुरुपयोग सामने आया है। इस मामले पर जस्टिस जॉन माइकल डी'कुन्हा की एक प्रारंभिक रिपोर्ट पर गुरुवार को कैबिनेट ने चर्चा की, जिसमें स्पष्ट रूप से कई अन्य अनियमितताओं का उल्लेख किया गया।
सूत्रों ने कहा कि इनमें से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बैठक में तीन महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि जज ने सैकड़ों करोड़ रुपये की हेराफेरी को लेकर बेहद गंभीर टिप्पणी की है। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई फाइलें गायब हैं जिन्हें उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद उनके सामने नहीं पेश किया गया।
रिपोर्ट को अगले छह महीनों के भीतर अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है और इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी पेश किया जा सकता है। सरकार ने समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ा दिया है, ताकि वह अंतिम रिपोर्ट पेश कर सके। राज्य में कोविड के दौरान कुल खर्च 13,000 करोड़ रुपये था। हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई आंकड़ा नहीं बताया गया, लेकिन सूत्रों ने बताया कि लगभग 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई।
सूत्रों ने कहा कि 1000 पेज की कई खंडों वाली अंतरिम रिपोर्ट का अब अधिकारियों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा और एक महीने से भी कम समय में सरकार को सौंप दिया जाएगा। घोटाले बनाम घोटाले के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि यह "दुर्भाग्यपूर्ण" है कि जब भी कोई महत्वपूर्ण रिपोर्ट आती है तो उसे इस नजरिये से देखा जाता है। भाजपा को अपने पाप का हिसाब तो देना ही होगा।
कोविड को लेकर भाजपा शासित केंद्र और राज्य सरकारें संगीन आरोपों से घिरी रही हैं। कोविड से मरने वालों की संख्या पर मोदी सरकार अड़ गई। उसने इस संबंध में उन अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार सही तरीके से कोविड के हालात को संभाल नहीं पाई। लाखों लोग मरे। कई कोविड मरीजों की मौत अस्पतालों में बेड न मिलने से हुई।
कुन्हा रिपोर्ट को कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए वरदान के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि भाजपा MUDA घोटाले पर मुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश कर रही है। सिद्धारमैया इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने के लिए अदालत गए हैं।
कथित घोटाला मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण या MUDA द्वारा भूमि आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा है। ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को जमीन का आवंटन भूमि के मूल्य से कहीं अधिक है।