कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ट्वीट कर अपने समर्थकों से अपील की है कि वे उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की ख़बरों को लेकर किसी तरह का प्रदर्शन न करें। बुधवार को किए गए इस ट्वीट में येदियुरप्पा ने ख़ुद को पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता बताया है।
बता दें कि येदियुरप्पा को हटाए जाने की चर्चाओं के बीच ही कांग्रेस के नेताओं सहित लिंगायत समुदाय के संतों ने भी बीजेपी को चेताया है और कहा है कि अगर मुख्यमंत्री को उनके पद से हटाया जाता है तो बीजेपी को इसके नतीजे भुगतने होंगे। मंगलवार को लिंगायत संतों का एक प्रतिनिधिमंडल येदियुरप्पा से मिला था।
लिंगायत समुदाय ने चेताया
लिंगायत समुदाय के संतों ने यह भी कहा है कि येदियुरप्पा के कारण ही बीजेपी दक्षिण भारत में चुनाव जीत सकी और कर्नाटक में सरकार बना सकी। येदियुरप्पा से मिलने वाले संतों में बालेहोन्नूर की रम्भापुरी पीठ के श्री वीर सोमेश्वर शिवाचार्य स्वामी और श्रीसैला जगद्गुरु चन्ना सिद्धराम पंडिताराध्या भी शामिल रहे।
इस बीच, एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसे कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कतील का बताया जा रहा है। हालांकि कतील ने इसे फ़र्जी बताया है। ऑडियो में कतील किसी शख़्स से कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन तय होने की बात कह रहे हैं।
दिल्ली आए थे येदियुरप्पा
बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। इसके बाद येदियुरप्पा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले थे।
इन मुलाक़ातों के बाद मीडिया में ऐसी चर्चा है कि येदियुरप्पा अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे और बीजेपी हाईकमान नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने में जुटा है। कुछ दिन पहले पार्टी ने उत्तराखंड में भी नेतृत्व परिवर्तन किया था। हालांकि येदियुरप्पा ने नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं से पूरी तरह इनकार किया था और कहा था कि इस तरह की ख़बरों में कोई सच्चाई नहीं है।
दक्षिण के इस दमदार नेता ने ट्वीट में कहा है कि उन्हें उच्च नैतिकता के मानदंडों वाली पार्टी की सेवा करने का मौक़ा मिला और यह उनके लिए बेहद सम्मान की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह सभी से अपील करते हैं कि लोग पार्टी की मर्यादा के अनुसार काम करें और किसी भी तरह के ऐसे प्रदर्शन या अनुशासनहीनता में शामिल न हों जो पार्टी के लिए अपमानजनक हो।
2023 में होंगे चुनाव
जुलाई, 2019 में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। कर्नाटक में 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और पार्टी हाईकमान राज्य में नया नेतृत्व उभारना चाहता है क्योंकि येदियुरप्पा की उम्र 78 साल हो चुकी है।
लेकिन वह उन्हें जबरन हटाने का जोख़िम नहीं ले सकता क्योंकि येदियुरप्पा 2013 में अपनी ताक़त का अहसास हाईकमान को करा चुके हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए येदियुरप्पा की कुछ शर्तें हैं जिन पर पार्टी हाईकमान विचार कर रहा है।
लिंगायत समुदाय के प्रभावी नेता
येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय का सबसे प्रभावशाली नेता माना जाता है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 17 फ़ीसदी है। 224 सीटों वाले कर्नाटक में इस समुदाय का असर 90-100 विधानसभा सीटों पर है। कहा जाता है कि येदियुरप्पा की वजह से ही लिंगायत समुदाय के ज़्यादातर लोग बीजेपी का समर्थन करते हैं। लिंगायत समुदाय के सभी प्रमुख मठाधीश और धार्मिक-आध्यात्मिक गुरु भी येदियुरप्पा का खुलकर समर्थन करते हैं।
बग़ावती सुर
येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ पिछले एक साल से बग़ावती सुर सुने जा रहे हैं और बीते कुछ दिनों में ये और तेज़ हुए हैं। हालात को संभालने के लिए कुछ दिन पहले हाईकमान ने पार्टी के महासचिव अरूण सिंह को राज्य में भेजा था। वरिष्ठ बीजेपी नेता बसनगौड़ा आर. पाटिल, एएच विश्वनाथ, सतीश रेड्डी, शिवनगौड़ा नायक, अरविंद बल्लाड को येदियुरप्पा का विरोधी माना जाता है।
येदियुरप्पा को कर्नाटक की राजनीति में सबसे दमदार नेता माना जाता है। येदियुरप्पा ने बीजेपी में सामान्य कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। वह प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।