कर्नाटक में बीजेपी विधायक मदल विरुपक्षप्पा के घर से 8 करोड़ रुपये के कैश की बरामदगी होने के बाद कांग्रेस ने विधायक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर राज्य में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सरकारी आवास को घेर लिया है। यह मामला 40 लाख रुपये की घूस से शुरू हुआ था लेकिन अब 8 करोड़ की बरामदगी तक जा पहुंचा है। कल शुक्रवार तक 6 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे लेकिन नोटों की गिनती के बाद यह पैसा 8 करोड़ तक जा पहुंचा। इस बीच इस विधायक के बारे में तमाम बातें सामने आ रही हैं।
विरुपक्षप्पा दावणगेरे जिले के चन्नागिरी से विधायक हैं।अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि विधायक के घर की तलाशी के बाद लगभग 8 करोड़ रुपये का कैश मिला है। नोट गिनने के लिए मशीन मंगानी पड़ी।
कांग्रेस आज शनिवार को बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन कर रही है। बेंगलुरु में पूर्व सीएम सिद्धरमैया को पुलिस ने सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ले लिया। दिल्ली में कर्नाटक राजभवन से रेसकोर्स रोड पर स्थित बोम्मई के आवास तक रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व में कांग्रेस विरोध प्रदर्शन निकालने जा रही है।
लोकायुक्त पुलिस ने चन्नागिरी के बीजेपी विधायक के फार्महाउस और स्टोन क्रशिंग यूनिट पर छापा मारा है। दावणगेरे लोकायुक्त एसपी एमएस कोवलापुरे और 22 अधिकारियों की एक टीम ने विधायक के पैतृक घर, मविनकट्टे के पास जोलादल रोड पर स्थित फार्महाउस और मवीनाहोल गांव में स्टोन क्रशिंग यूनिट पर एक साथ छापेमारी की।
कौन है यह बीजेपी विधायक
दो बार के विधायक विरुपाक्षप्पा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वह 2004 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। लेकिन 2008 में वह पहली बार बीजेपी टिकट पर जीते।
विरुपाक्षप्पा ने बाद में बीएस येदियुरप्पा से हाथ मिलाया और उनकी कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) पार्टी में शामिल हो गए। 2014 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने येदियुरप्पा के साथ बीजेपी में वापसी की। उन्होंने 2018 में बीजेपी के टिकट पर चन्नागिरी सीट से जीत हासिल की थी।
विरुपाक्षप्पा के तीन बेटे हैं: मदल मल्लिकार्जुन, प्रशांत मदल और राजू मदल। दिल की बीमारियों से जूझने के बाद, विरुपाक्षप्पा ने अपने बेटे मदल मल्लिकार्जुन को आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में उतारने का फैसला किया था। मल्लिकार्जुन दावणगेरे विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य भी हैं। उन्होंने कथित तौर पर अपने पिता की ओर से विधानसभा क्षेत्र में सार्वजनिक शिकायतों को सुनना शुरू कर दिया और खुद को अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया।
विरुपक्षप्पा सरकारी कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट लिमिटेड (केएसडीएल) के अध्यक्ष भी थे, जो प्रसिद्ध साबुन ब्रांड 'मैसूर सैंडल साबुन' बनाती है। यह स्कैंडल सामने आने के बाद बीजेपी विधायक को पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ साजिश रची जा रही है।
जो एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें विरूपक्षप्पा आरोपी नंबर एक है और उसका बेटा दूसरा आरोपी है।
कौन है प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार ने बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB) के मुख्य लेखाकार के रूप में काम किया है। 2008 बैच के कर्नाटक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रशांत कुमार को कथित तौर पर साबुन और अन्य डिटर्जेंट बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की खरीद के लिए एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। आरोप है कि प्रशांत ने कथित तौर पर एक टेंडर प्रक्रिया के संबंध में 80 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी और अपने कार्यालय में 40 लाख रुपये स्वीकार करते हुए पकड़ा गया था। लोकायुक्त सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत कथित तौर पर अपने पिता की ओर से रिश्वत की 'पहली किस्त' प्राप्त कर रहे थे।कर्नाटक लोकायुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) बी एस पाटिल ने आज शनिवार को कहा कि तलाशी के दौरान केएसडीएल कार्यालय से 2.02 करोड़ रुपये और प्रशांत के घर से कुल 6.1 करोड़ रुपये बरामद किए गए।
राजनीतिक असर क्या होगा
यह स्कैंडल ऐसे समय सामने आया है जब अगले कुछ महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है।
कांग्रेस का पे सीएम अभियान कर्नाटक में बहुत मशहूर हुआ था।
इसे गिरफ्तारी ने राज्य में भ्रष्टाचार के बढ़ते आरोपों को लेकर बीजेपी पर हमला करने के लिए कांग्रेस को हथियार दे दिया है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के "40 प्रतिशत कमीशन सरकार" के आरोपों को दोहराया और कहा कि गिरफ्तारी इसका सबूत है। कर्नाटक कांग्रेस इससे पहले पे सीएम जैसा अभियान चला चुकी है। जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार के मंत्री और विधायक हर सरकारी ठेका देने के पहले 40 फीसदी कमीशन मांगती है। एक ठेकेदार ने खुदकुशी से पहले बीजेपी नेता और तत्कालीन मंत्री ईश्वरप्पा पर अपने खुदकुशी नोट में आरोप भी लगाए थे।