एक और राज्य में कांग्रेस ने अपनी राहें सहयोगी दल से जुदा कर ली हैं। यह राज्य है कर्नाटक। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि जेडीएस के साथ कांग्रेस का गठबंधन का चैप्टर बंद हो गया है। इससे साफ है कि दोनों ही दल अब अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। राज्य में मई, 2023 में चुनाव होने हैं।
कुछ वक़्त पहले कांग्रेस ने असम में अपने सहयोगी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद बिहार में भी उसने दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में आरजेडी के सामने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
कुछ दिन पहले ही जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार के गिरने के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जिम्मेदार थे।
कुमारस्वामी ने यह भी कहा था कि सिद्धारमैया विपक्ष के नेता बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार को गिरा दिया था।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार ने कहा कि वे बंद हो चुके इस चैप्टर पर बात नहीं करना चाहते। शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस लोगों की सेवा करना चाहती है और वह इस बारे में इतना ही कह सकते हैं।
कांग्रेस में ‘जंग’
ताज़ा हालात के मुताबिक़, अगर कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग चुनाव लड़े तो जेडीएस में कुमारस्वामी सर्वमान्य चेहरे हैं। जबकि कांग्रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनने को लेकर ‘जंग’ जारी है।
शिवकुमार की भी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। लेकिन सिद्धारमैया भी एक और बार मुख्यमंत्री बनने के लिए जोर लगा रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शिवकुमार पूरे राज्य का दौरा करते रहे हैं और अवाम से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी सरकार को घेरते रहे हैं। कर्नाटक कांग्रेस में जो ताज़ा हालात हैं उसमें पार्टी के नेता और समर्थक सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार के गुटों में बंटे दिखते हैं।
‘ऑपरेशन लोटस’ से गिरी थी सरकार
2018 के विधानसभा चुनाव में ज़्यादा सीटें आने के बाद भी बीजेपी सरकार नहीं बना सकी थी और कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस को 80 सीटें मिली थीं जबकि जेडीएस को 37। लेकिन बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को मुख्यमंत्री की कुर्सी से समझौता करना पड़ा था।
लेकिन सरकार बनने के बाद से ही इसकी उलटी ग़िनती शुरू हो गई थी क्योंकि बीजेपी की नज़र राज्य की सत्ता पर थी और 14 महीने बाद कांग्रेस-जेडीएस के कुछ विधायकों की बग़ावत के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे। तब बीजेपी पर आरोप लगा था कि उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिये यह सरकार गिराई है।