बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री के केएस ईश्वरप्पा को पुलिस ने एक ठेकेदार की आत्महत्या के मामले में क्लीनचिट दी है। आत्महत्या के मामले में विवाद के बाद ईश्वरप्पा को मंत्री पद से हटना पड़ा था। इस मामले में पूर्व मंत्री का नाम पुलिस केस में था। ठेकेदार ने अपने आखिरी संदेश में अपनी मौत के लिए ईश्वरप्पा को 'पूरी तरह से ज़िम्मेदार' होने का आरोप लगाया था और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने ठेकेदार की आत्महत्या के मामले में पब्लिक रिप्रजेंटेटिव कोर्ट में एक रिपोर्ट दायर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईश्वरप्पा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
पुलिस ने कहा कि ठेकेदार संतोष पाटिल ने 12 अप्रैल को आत्महत्या कर ली थी। उनका शव उड्डुपी के एक होटल से बरामद हुआ था। साथ ही उनका सुसाइड नोट भी मिला था। उसमें पाटिल ने अपनी मौत के लिए मंत्री ईश्वरप्पा को ज़िम्मेदार ठहराया था। उन्होंने लिखा था कि मंत्री ईश्वरप्पा उनसे 40 फीसदी कमीशन मांग रहे थे। उन्होंने उनके कहने पर सड़क भी बना दी थी लेकिन अब उसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। सुसाइड नोट के बाद पुलिस ने मंत्री ईश्वरप्पा और उनके दो खास लोगों बासवराज और रमेश के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज की थी।
रिपोर्टों के अनुसार ठेकेदार को कथित तौर पर मंत्री द्वारा 4 करोड़ रुपये की एक परियोजना के लिए मौखिक निर्देश दिया गया था। ठेकेदार ने दावा किया कि उन्होंने पैसे उधार लेकर और अपनी पत्नी के गहने बेचकर इसे पूरा किया, लेकिन 18 महीने बाद भी कोई भुगतान नहीं मिला। तब ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया था कि 4 करोड़ के बिल को मंजूरी देने के लिए 40 प्रतिशत कट मनी की मांग की गई थी।
हालाँकि ईश्वरप्पा ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। उन्होंने कहा था, 'अगर इस मामले में एक प्रतिशत भी अपराध है, तो मेरे परिवार की देवी मुझे दंड देगी'। उन्होंने यह भी कहा कि कोई कार्य आदेश जारी नहीं किया गया था और इसलिए 'कट मनी का कोई सवाल ही नहीं था'।
आत्महत्या के बाद कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डी. केएमपन्ना और अन्य पदाधिकारियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बसवराज बोम्मई की सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच चुका है और पूरी सरकार यहाँ तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय भी कमीशनखोरी के इस रैकेट में शामिल है। उन्होंने कहा था कि मंत्री और विधायक सरकारी कामों के टेंडर के लिए सीधे 40 फीसदी कमीशन मांगते हैं।
इस मामले में जब काफी दबाव बना तो ईश्वरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था।
बता दें कि ईश्वरप्पा हाल में अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रहे थे। उन्होंने दावा किया था कि भगवा झंडा भविष्य में देश का राष्ट्रीय ध्वज बन सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा था कि भगवा झंडा बलिदान का प्रतीक है।
ईश्वरप्पा ने कहा था, 'इस देश में भगवा ध्वज का लंबे समय से सम्मान किया जाता रहा है। इसका हजारों साल पुराना इतिहास है। भगवा ध्वज बलिदान का प्रतीक है। आरएसएस में हम भगवा ध्वज के सामने प्रार्थना करते हैं, उस पर विश्वास करते हैं। भगवा झंडा आज या किसी दिन इस देश में राष्ट्रीय ध्वज बन सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है।'