ईडी ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी एमयूडीए भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनपर आरोप लगाया गया है। हाल ही में राज्य लोकायुक्त की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट यानी ईसीआईआर दायर की है। यह पुलिस एफआईआर के बराबर है।
जांच एजेंसी ने सिद्धारमैया के खिलाफ ईसीआईआर में मामला दर्ज करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं को लागू किया है। प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाने का अधिकार है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।
कर्नाटक सरकार ने चार दिन पहले ही सीबीआई को जांच के लिए राज्य में दी गई आम सहमति वापस ली और अब ईडी की कार्रवाई हो गई। सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का नाम पिछले सप्ताह लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास एफआईआर और संबंधित मामले की जानकारी है। अपराध धन शोधन निवारण अधिनियम की अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। ज़रूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जल्द ही मामला दर्ज किया जाएगा।' ईडी का मामला दर्ज होने से सीएम और उनके परिवार की संपत्तियों की कुर्की के अलावा और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज होने के साथ ही वह इस साल तीसरे मुख्यमंत्री हैं जिनके कार्यकाल के दौरान ही ईडी ने केस दर्ज किया।
इस साल की शुरुआत में दो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों - झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी द्वारा दर्ज मामलों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। कई महीनों तक जेल में रहने के बाद हाल ही में दोनों को जमानत मिली है। सोरेन ने गिरफ़्तारी से पहले इस्तीफ़ा दिया था तो केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद इस्तीफा दिया है। सोरेन जेल से बाहर आने के बाद फिर से सीएम बने हैं, जबकि दिल्ली में आतिशी को सीएम बनाया गया है।
कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सिद्धारमैया और तीन अन्य पर 2021 में सीएम की पत्नी को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के 14 आवास स्थलों के कथित आवंटन के संबंध में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया था।
लोकायुक्त पुलिस की मैसूर इकाई ने आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की निजी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की। इसे 25 सितंबर को निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक विशेष अदालत द्वारा एजेंसी को भेजा गया था।
यह कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा 24 सितंबर को राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा तीन निजी व्यक्तियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत सीएम के खिलाफ मामला दर्ज करने की मंजूरी दिए जाने के बाद आया है। लोकायुक्त एफआईआर दर्ज होने के बाद मामले में शिकायतकर्ता ने आगे की कार्रवाई के लिए ईडी से भी संपर्क किया था। हालांकि, एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी पहले से ही मामले पर काम कर रही है।
कर्नाटक ने ली सीबीआई जाँच की आम सहमति वापस
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को यह कहते हुए राज्य में मुक़दमों की जाँच करने देने वाली आम सहमति वापस ले ली कि सीबीआई पक्षपाती है। सीबीआई को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए संबंधित उन राज्य सरकारों की सहमति की ज़रूरत होती है।
राज्य के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि राज्य सीबीआई की पक्षपातपूर्ण कार्रवाइयों को उजागर करना चाहता है। इसके बारे में विपक्ष का दावा है कि एजेंसी को भारतीय जनता पार्टी द्वारा उसके नेताओं को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है, खासकर चुनावों से पहले। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लगे भूमि घोटाले के आरोपों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।