+
कर्नाटकः OBC कोटे पर जंग, पंचमसली समुदाय नाराज क्यों

कर्नाटकः OBC कोटे पर जंग, पंचमसली समुदाय नाराज क्यों

कर्नाटक में भी यूपी की तरह ओबीसी आरक्षण की राजनीति शुरू हो गई है। कर्नाटक में चार महीने के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस राजनीति का मकसद समझा जा सकता है। राज्य की बीजेपी सरकार ने 29 दिसंबर को पंचमसली समुदाय का कोटा बढ़ाने का ऐलान किया था, लेकिन कन्फ्यूजन इतना हो गया है कि कि खुद पंचमसली समुदाय सरकार की घोषणा से संतुष्ट नहीं है। जानिए क्या चल रहा है कर्नाटक मेंः 

कर्नाटक की बीजेपी सरकार ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर फंस गई है। उसने 29 दिसंबर को पंचमसली लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय का रिजर्वेशन बढ़ाने की घोषणा की थी। लेकिन कई उपजातियां इसमें शामिल होने से रह गई हैं। आरक्षण की घोषणा को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति ज्यादा है। यही वजह है कि पंचमसली समुदाय से आने वाले विजयापुर सिटी के बीजेपी विधायक बसानागौड़ा पाटिल यतनाल ने इसकी आलोचना कर दी। उस पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आज 31 दिसंबर को उन्हें कड़ी चेतावनी जारी कर दी। 

दूसरी तरफ पंचमसली समुदाय के गुरु बसावा जय मृत्युंजय स्वामी ने भी कहा कि पंचमसली समुदाय को राजनीतिक आरक्षण नहीं चाहिए, हमें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण चाहिए। बीजेपी सांसद अब्बैय्याह नारायणस्वामी ने सवाल उठाया है कि स्वामी लोग क्यों आरक्षण के मुद्दे पर बयान देते हैं। इससे कर्नाटक की छवि खराब हो रही है। 

लिंगायत समुदाय, जो राज्य की करीब 6 करोड़ आबादी में एक करोड़ से अधिक है, शिक्षा और रोजगार कोटा बढ़ाने की मांग कर रहा है। चूंकि अगले चार महीने में कर्नाटक में चुनाव हैं तो इस मुद्दे को और हवा मिली। लेकिन इसमें दिक्कत ये है कि लिंगायत समुदाय में कई उपजातियां हैं जिनके नेता और गुरु भी आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इनमें एक समुदाय पंचमसली समुदाय कहलाता है, जिसकी विश्वरैय्या उपजाति महत्वपूर्ण है। विजयापुर सिटी से बीजेपी विधायक बसानागौड़ा पाटिल यतनाल 2021 से ही आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। 

यहां पर गौर कीजिए, राज्य में बीजेपी सरकार है और उसका ही विधायक सरकार के खिलाफ आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन चला रहा था। 10 मार्च 2021 को विधायक यतनाल ने कहा कि सरकार अगर पंचमसली समुदाय के आरक्षण की श्रेणी नहीं बदलती है तो मैं धरना दूंगा। वो धरने पर तो नहीं बैठे लेकिन मुद्दे को गरमाते रहे। इसके बाद सरकार ने संकेत दिया कि वो लिंगायत का आरक्षण बढ़ाएगी। इसके लिए 29 दिसंबर 2022 की तारीख तय कर दी गई।

पंचमसली समुदाय की मांग है कि उन्हें ओबीसी आरक्षण के तहत 2ए का लाभ मिलना चाहिए। अभी इस समुदाय को 3 बी का लाभ मिल रहा है।

29 तारीख को क्या घोषणा हुई

बीजेपी सरकार ने 29 दिसंबर को जो घोषणा की, उसने सारा कन्फ्यूजन बढ़ा दिया। बोम्मई सरकार ने कहा कि पंचमसली समुदाय को 3 बी श्रेणी से उठाकर 2 डी श्रेणी के रिजर्वेशन कोटा में शामिल किया जा रहा है। इसी तरह वोक्कलिंगा समुदाय को 3 ए श्रेणी से अब 2 सी श्रेणी में डाल दिया गया है।

इन दोनों घोषणाओं को करके बोम्मई सरकार ने पीठ थपथपाई कि हमने लिंगायत के पंचमसली और वोक्कालिंगा समुदाय का आरक्षण बढ़ा दिया है। तो फिर कन्फ्यूजन क्यों हुआ? आखिर इस घोषणा के बाद भी पंचमसली असंतुष्ट क्यों हैं?

दरअसल, पहली बात तो यह है कि सरकार ने ओबीसी कोटे में एक नई श्रेणी निकाली जिसे 2 डी नाम दिया। पहली बात तो यह राज्य के कानून के मुताबिक सरकार इस तरह नई श्रेणी ओबीसी कोटे में नहीं निकाल सकती। इस तरह अब 2 में ए, बी, सी, डी यानी चार श्रेणियां हो गईं। पंचमसली समुदाय की मूल मांग थी कि उन्हें 2 ए श्रेणी में डाला जाए, ताकि जॉब और शिक्षा में फायदा मिल सके। लेकिन सरकार ने पंचमसली को 2 सी श्रेणी में डाला है। जबकि 2 सी और 2 डी में यह साफ ही नहीं है कि इसमें क्या रिजर्वेशन इस समुदाय को मिलेगा। इस संबंध में खुद कर्नाटक के आला अफसर और बीजेपी नेता तक नहीं बता पा रहे हैं कि 2 सी और 2 डी में कितने फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

इसी कन्फ्यूजन की स्थिति ने विजयापुर सिटी के बीजेपी विधायक को सरकार की आलोचना पर मजबूर किया और इसी वजह से पंचमसली समुदाय के गुरु ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, कि हमें राजनीतिक आरक्षण नहीं चाहिए। मृत्युंजय स्वामी ने कहा कि सरकार ने पंचमसली के लिए जो नई श्रेणी घोषित की है, हम उसका अभी स्वागत नहीं कर सकते और न खुशी मना सकते हैं। अभी हम अपने वकीलों से इस पर सलाह मशविरा करेंगे। तब पूरी प्रतिक्रिया देंगे।

इस संबंध में कर्नाटक का मीडिया जो बता रहा है, उसके मुताबिक 2 सी श्रेणी में 6 फीसदी और 2 डी श्रेणी में 7 फीसदी आरक्षण का लाभ उन श्रेणियों में शामिल समुदायों को मिल सकता है। ओबीसी फेडरेशन इसका विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि अगर राज्य सरकार इसी तरह श्रेणियां बनाती रही तो ओबीसी के बाकी समुदायों के कोटे पर असर पड़ेगा, उनके अवसर कम हो जाएंगे। पंचमसाली समुदाय के आरक्षण से संबंधित याचिका पर कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। कुल मिलाकर यह मामला चुनाव से जुड़ा इसलिए लगता है कि अगर किसी ने ओबीसी के अंदर बनाई गई श्रेणियों को अदालत में चुनौती दे दी तो अदालत फौरन उस पर रोक लगा देगी, क्योंकि नई श्रेणियां बनाने में कानून और प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं किया गया है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें