येदियुरप्पा अगली सुनवाई तक पोक्सो केस में गिरफ्तार नहीं होंगे: हाईकोर्ट
पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा फिलहाल गिरफ़्तार नहीं हो पाएँगे। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सीआईडी को नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया। येदियुरप्पा ने 17 जून को जांच के लिए पेश होने की इच्छा जताई है। एक दिन पहले बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो मामले में गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वरिष्ठ भाजपा नेता ने बुधवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस साल मार्च में उनके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण यानी पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगली सुनवाई की तारीख़ तक गिरफ्तारी पर रोक है। उच्च न्यायालय ने कहा कि येदियुरप्पा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं और बीमार हैं।
इसी साल 14 मार्च को बेंगलुरु पुलिस ने 17 वर्षीय पीड़िता की मां की शिकायत के आधार पर येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ 17 वर्षीय एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। 80 वर्षीय येदियुरप्पा को सीआईडी ने 12 जून को तलब किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए 18 जून तक पेश होने का समय मांगा कि वह नई दिल्ली में हैं।
मामले की जांच में धीमी प्रगति को लेकर नाबालिग लड़की के भाई द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाने के तुरंत बाद येदियुरप्पा ने उच्च न्यायालय का रुख किया। येदियुरप्पा और नाबालिग लड़की के भाई द्वारा दायर उच्च न्यायालय की याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।
एफआईआर के मुताबिक पीड़िता 2 फरवरी 2024 को अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के एक मामले में बीएस येदियुरप्पा से मदद मांगने के लिए उनके पास गई थी। आरोप है कि यहां उन्होंने उसका यौन उत्पीड़न किया। घटना के बाद पीड़िता कमरे से बाहर भागी और उसने अपनी मां को इस कथित छेड़छाड़ के बारे में बताया।
इन आरोपों को बीएस येदियुरप्पा ने झूठा और बेबुनियाद बताया है। यह मामला सामने आने के बाद बीएस येदियुरप्पा के कार्यालय ने कई दस्तावेज जारी कर कहा था कि एफआईआर करने वाली महिला अब तक अलग-अलग लोगों पर 53 केस कर चुकी है।
बहरहाल, पीड़िता के भाई ने 26 मई को अपनी मां की मौत के बाद 10 जून को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी माँ येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो मामले में शिकायतकर्ता थीं।
पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने लड़की का यौन उत्पीड़न किया, जब शिकायतकर्ता 2015 में एक रिश्तेदार द्वारा नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में मदद के लिए उनसे मिलने गई थी। याचिका में कहा गया है, 'आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया और 41 (ए) नोटिस भी नहीं दिया गया। इसलिए यह याचिका दायर की गई है, क्योंकि इस माननीय न्यायालय से संपर्क करने के अलावा कोई कारगर उपाय नहीं है, ताकि इसके असाधारण रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया जा सके।' याचिका में संकेत दिया गया है कि लड़की की मां ने मामले में सीबीआई जांच के लिए कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था।
येदियुरप्पा ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ मामला झूठा है और इसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि मामला राजनीति से प्रेरित है और इसे दायर करने में एक महीने से अधिक की देरी हुई है।
इधर इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि जांच के दौरान सीआईडी ने कथित घटना के घटित होने के प्रथम दृष्टया साक्ष्य जुटा लिए हैं। कथित घटना 2 फरवरी, 2024 को हुई थी, जब लड़की की मां उसे 2015 के मामले में अपनी बेटी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास में पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने ले गई थी। 54 वर्षीय महिला ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी बेटी का बयान दर्ज कराया था। सीआईडी ने 12 अप्रैल को येदियुरप्पा को तलब किया और वे पूछताछ के लिए पेश हुए तथा जांच के लिए अपनी आवाज के नमूने भी दिए। कथित घटना के दिन लड़की की मां द्वारा मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो की आवाजों से तुलना के लिए नमूने एकत्र किए गए थे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि आवाज के नमूनों की फोरेंसिक जांच में मिलान पाया गया है। मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के कई सहयोगियों से भी पूछताछ की गई है। 25 अप्रैल को सीआईडी ने एक व्यक्ति का बयान भी लिया है, जिसने लड़की और उसकी मां को येदियुरप्पा के घर जाते देखा था। जांच अधिकारी के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट की अदालत ने इस बयान को पोक्सो अदालत को भेज दिया।
करीब आठ साल पहले फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही पीड़िता की माँ की 26 मई को मौत हो गई। वह अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई में मदद के लिए इधर-उधर भाग रही थी, जब उसके पति के एक करीबी रिश्तेदार ने 2015 में नाबालिग लड़की का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था।
महिला ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई पुलिस और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की कि मामले में अपराधी को न्याय के कटघरे में लाया जाए। उसने 2015 से इस मामले में पुलिस अधिकारियों सहित राज्य के अधिकारियों के खिलाफ 53 शिकायतें भी दर्ज कराईं।