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येदियुरप्पा को हटाने के बाद भी नहीं थमे नाराज़गी के सुर

येदियुरप्पा को हटाने के बाद भी नहीं थमे नाराज़गी के सुर

बीजेपी हाईकमान ने कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन तो कर दिया लेकिन सरकार चलाने में जिस तरह की दिक्क़तें येदियुरप्पा के सामने आ रही थीं, वैसी ही नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सामने आ रही हैं। 

एक लंबी कवायद के बाद बीजेपी हाईकमान ने कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन तो कर दिया लेकिन सरकार चलाने में जिस तरह की दिक्क़तें येदियुरप्पा के सामने आ रही थीं, वैसी ही नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सामने आ रही हैं। 

बीजेपी के ही नहीं, बल्कि 2019 में कांग्रेस-जेडीएस से बग़ावत कर पार्टी में आए विधायकों में से जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है, वे भी नाराज़ हैं। ऐसे मंत्रियों में आनंद सिंह का नाम शामिल है। आनंद सिंह का कहना है कि उन्होंने जो मांगा था, वह उन्हें नहीं मिला है और वह मुख्यमंत्री से मिलकर इस बारे में बात करेंगे। 

इसी तरह एमटीबी नागराज भी उन्हें मिले विभागों से संतुष्ट नहीं हैं। वह भी कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। इन दोनों मंत्रियों का कहना है कि येदियुरप्पा और बोम्मई, दोनों ने ही अपना वादा नहीं निभाया। 

कर्नाटक में 4 अगस्त को विभागों का बंटवारा हुआ था और उसके तुरंत बाद नाराज़गी के सुर सुनाई दिए थे। तब बोम्मई ने कहा था कि हर किसी को वे विभाग नहीं मिल सकते, जिनकी उन्हें ख़्वाहिश है। 

लिंगायत समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि वह इन दोनों मंत्रियों से बात करेंगे। बोम्मई को येदियुरप्पा का भरोसेमंद माना जाता है। उनके पिता एसआर बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद जब बीजेपी की सरकार बनी थी, तो यहां तीन उप मुख्यमंत्री बनाए गए थे जबकि इस बार किसी भी नेता को उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है। 

बीजेपी के ‘अपने’ विधायक नाराज़

इस बात की भी ख़बरें हैं कि बीजेपी के कुछ वरिष्ठ विधायक कैबिनेट के विस्तार के बाद नाराज़ हैं। इन नेताओं का कहना है कि बाहर से आए लोगों को अहमियत दी गई है जबकि उन्हें बाहर ही रखा गया है। उनका साफ इशारा कांग्रेस-जेडीएस से आए विधायकों की ओर है। 

जिन वरिष्ठ बीजेपी विधायकों के नाराज़ होने की बात कही जा रही है, उनमें एम. सतीश रेड्डी, एसआर विश्वनाथ, एम. कृष्णप्पा, एसए रामदास, अरविंद बेलाड और विजयपुरा के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल शामिल हैं। 

येदियुरप्पा को भी मुख्यमंत्री रहते हुए इन नेताओं से लगातार जूझना पड़ा था और ऐसा लग रहा है कि बोम्मई की राह भी आसान नहीं रहेगी। 

येदियुरप्पा के इस्तीफ़े के बाद लिंगायत संतों की नाराज़गी को देखते हुए कहा जा रहा था कि बीजेपी येदियुरप्पा की पसंद को नज़रअंदाज नहीं करेगी और ऐसा करके वह बेवजह लिंगायत समुदाय की नाराज़गी मोल नहीं लेगी। और आख़िरकार उसने ऐसा ही किया। 

ये नेता भी थे दौड़ में 

बोम्मई के अलावा राज्य के खनन मंत्री मुरूगेश निरानी, लिंगायत समुदाय से आने वाले विधायक अरविंद बेल्लाड और उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार, ब्राह्मण समुदाय से आने वाले नेताओं में पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, विधानसभा के स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कगेरी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में चल रहा था। 

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