कानपुरः अतिक्रमण विरोधी अभियान में मां-बेटी की मौत का जिम्मेदार कौन
सोमवार की शाम कानपुर देहात के रूरा थानाक्षेत्र में आग लगने के कारण मां-बेटी की मौत का मामला सामने आया है। रूरा थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मड़ौली गांव के गोपालकृष्ण दीक्षित ने गांव के बाहर ग्राम समाज की जमीन पर एक कमरे का पक्का घर बनाकर रह रहे थे। घर के पास ही एक शिव मंदिर भी बनाया गया था। गोपाल मजदूरी और पशुपालन करके परिवार का गुजारा कर रहे थे। बीते जनवरी को उनका एक कमरे का पक्का मकान प्रशासन द्वारा गिरा दिया गया था। घर गिराये जाने के खिलाफ गोपाल अपने परिवार और अपने मवेशियों को लेकर डीएम के पास शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। जहां से उन्हें वापस भेज दिया गया था और बाद में उनके खिलाफ मुकद्द्मा भी दर्ज किया गया था।
पक्का घर गिराए जाने के बाद गोपाल कृष्ण वहीं पर एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे थे। गांव के लोगों से आपसी रंजिश के चलते उनके ग्राम समाज की जमीन पर बनाए घर की शिकायत बार बार प्रशासन से की जा रही थी। इन्हीं शिकायतों के आधार पर सोमवार की शाम पुलिस गोपाल कृष्ण के घर कब्जा हटाने के लिए गई हुई थी।
सोमवार की दोपहर करीब एक बजे तहसील के एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम फिर मड़ौली गांव पहुंची और और गोपाल का घर गिराने की कार्रवाई की। इस कार्रवाई में पुलिस ने सबसे पहले घर के बाहर लगा हैंडपंप तोड़ा उसके बाद शिव मंदिर और सबसे आखिर में घर को गिराया।
घटना स्थल पर मौजूद लोगों कें अनुसार, प्रशासन की कार्रवाई के दौरान घर के अंदर गोपाल कृष्ण के अलावा उनका बेटा शिवम, पत्नी प्रमिला (45) और बेटी नेहा (22) थीं। उस समय घर में चूल्हा भी जल रहा था। इसकी आग की चपेट में आकर सभी झुलस गए। गोपाल और शिवम किसी तरह घर से बाहर निकलने में कामयाब हो गये लेकिन गायत्री और नेहा वहीं फंस गईं, आग में झुलसने से दोनों की मौत हो गई।
जबकि इस घटना के बारे में गोपाल कृष्ण और शिवम का आरोप है कि अशोक, अनिल, पुतन, बड़े, गेंदन उनके घर में आग लगा कर वहां से भाग गये। पीड़ित परिवार का कहना है अवैध कब्जे की बार बार शिकायत कर तहसील प्रशासन से सांठ-गांठकर उनका घर गिरवा दिया। घर तोड़ने के पहले उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। डीएम और एसपी ने भी उनकी शिकायत नहीं सुनी थी।
सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो वायरल हैं। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान एक महिला गुस्से में बाहर से दौड़ती हुई घर के अंदर जाती है और खुद को आग लगा लेती है। इस दौरान मौके पर पुलिस भी मौके पर मौजूद थी उसके बाद भी मां और बेटी को नहीं बचाया जा सका।
उक्त घटना के संबंध में मामला एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। मामले में 302, 307,436,429,323,34 धाराओं में 11 नामजद और 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा कर लिया गया है। एसडीएम मैंथा, थाना प्रभारी रूरा, लेखपाल, कानूनगो अशोक दीक्षित, अनिल दिक्षित,निर्मल दिक्षित, विशाल, जीसीबी ड्राइवर समेत 39 लोगों पर मुकद्दमा दर्ज किया गया है। एसडीएम पर कार्रवाई करते हुए उनको तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।
खबर लिखे जाने तक गांव के बाहर हंगामा जारी है, कानपुर रेंज के आईजी, एडीजी सहित कमिश्नर राज शेखर भी मौके पर पहुंचे लोगों को किसी तरह समझा-बुझाकर शांत किया। पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने के बावजूद पीड़ित परिवार अंतिम संस्कार आदि के लिए राजी नहीं था। मंडलायुक्त ने कहा कि पीड़ित परिवार से बात कर घटना के कारण जानने की कोशिश की गई। विस्तृत जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी। परिवार को हरसम्भव मदद दी जाएगी।
पीड़ित परिवार की तरफ से 5 करोड़ के मुआवजा, घर के दो सदस्यों की सरकारी नौकरी, परिवार को आजीवन पेंशन, मृतक के दोनों बेटों को सरकार की तरफ से आवास की मांग की गई है। घटना के संबंध में मुख्यमंत्री योगी से तत्काल न्याय दिलाने के लिए मुलाकात का समय मांगा गया है।
मामले में सबसे ज्यादा प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी कौन सी आवश्यकता थी कि केवल घर को गिराने के लिए एसडीएम लेवल का अधिकारी मौके पर पहुंच गया? दूसरा आग की वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन आग लग गई थी तो किसी ने आग में जल रही महिलाओं को बचाने की कोशिश क्यों नहीं की। इस तरह की कार्रवाइयों में अक्सर हंगामा होता है तो पुलिस कार्रवाई रोक देती है, यहां तो दो महिलाएं जल रही थीं और बचाने की कोशिश तक नहीं की गई। पीडित का बेटा शिवम के बजरंग दल से जुड़े होने की खबर भी सामने आ रही है।
मामले में राजनीति भी शुरु हो गई है। समाजवादी पार्टी ने इस मसले पर सरकार पर हमला बोला है। शिवपाल यादव ने ट्विट कर लिखा की कानपुर में “अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही। अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है। क्या ' महिला सशक्तिकरण' व 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की बात केवल कागजी नीति है?” समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेई को घटना स्थल पर जाने से रोक दिया गया। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दोषियों पर कड़ी कारर्वाई का भरोसा दिलाया है।