कंगना के ‘भीख में आज़ादी’ वाले बयान पर चुप क्यों हैं बीजेपी के बड़े नेता?
सिने अदाकारा कंगना रनौत के ‘भीख में मिली आज़ादी’ के बयान पर देश भर में चर्चा हो रही है। सामाजिक चिंतक, बुद्धिजीवी वर्ग कंगना के बयान को देश की आज़ादी के लिए जान देने वाले दीवानों का अपमान बता रहा है। बीजेपी और मोदी सरकार भी लोगों के निशाने पर है। लेकिन बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व इस पर पूरी तरह चुप है। हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंदक्रांत पाटिल ने इस ख़ामोशी को तोड़ा है।
पाटिल ने कहा है कि कंगना का बयान पूरी तरह ग़लत है। उन्होंने कहा कि किसी को भी यह हक़ नहीं है कि वह आज़ादी के आंदोलन को लेकर कोई नकारात्मक बात कहे।
पाटिल ने आगे कहा कि कंगना रनौत पिछले सात साल में किए गए कामों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ कर सकती हैं लेकिन उन्हें आज़ादी के आंदोलन की आलोचना करने का कोई हक़ नहीं है।
कंगना के इस बयान को कई लोग संघ परिवार की साज़िश भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह की बातों के पीछे आज़ादी के लिए लड़ने वाले महानायकों का अपमान करने की मंशा है और यह संघ परिवार का ही कोई एजेंडा है। संघ परिवार पर यह आरोप भी लगते हैं कि वह आज़ादी के आंदोलन में कभी शामिल नहीं रहा।
कंगना ने ‘भीख में मिली आज़ादी’ वाला बयान टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल के एक कार्यक्रम में दिया था। बीजेपी सांसद वरुण गांधी के द्वारा कड़ी आलोचना के बाद भी कंगना नहीं रुकी थीं और उन्होंने इससे भी बेहूदा बयान दिया था। उन्होंने वरुण गांधी को जवाब देते हुए एक इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा था, “मैं इस बात को कह चुकी हूं कि 1857 की लड़ाई पहली क्रांति थी, जिसे कुचल दिया गया, इसके बाद अंग्रेजों की ओर से और अत्याचार हुए और लगभग एक सदी बाद हमें गांधी के भीख के कटोरे में आज़ादी दी गई...जा और रो अब।”
देखिए, कंगना के बयान पर चर्चा-
सोशल मीडिया पर हंगामा
कंगना को कुछ दिन पहले ही पद्मश्री अवार्ड मिला था। इस बयान को लेकर कंगना का सोशल मीडिया पर भी जोरदार विरोध हो रहा है और लोगों ने ट्विटर पर #कंगना_पद्मश्री_वापस_करो ट्रेंड करा दिया है। ट्रेंड कराने वाले लोगों का कहना है कि भीख में पुरस्कार मिल सकते हैं लेकिन आज़ादी नहीं। फ़ेसबुक पर भी कंगना के बयान को लेकर उन्हें जमकर घेरा जा रहा है।
सवाल यहां यही है कि एक ओर तो मोदी सरकार ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रही है। इसके तहत बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक ऐसी अदाकारा जो देश की आज़ादी के लिए कहती है कि यह भीख में मिली है, उसे विशेष सुरक्षा दी गई है, उसे पद्मश्री दिया जा रहा है। बीजेपी के नेता उस अभिनेत्री का समर्थन करते रहे हैं।
ऐसे में मोदी सरकार के इस ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाने का क्या मतलब है क्योंकि जब आप आज़ादी के महानायकों का अपमान करने वालों, महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ वाहियात किस्म की बातें करने वालों को पद्मश्री देंगे, उन्हें विशेष सुरक्षा देंगे, तो फिर ऐसे आयोजन को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होंगे ही।
बीजेपी और मोदी सरकार से लगातार यह सवाल पूछा जा रहा है कि आख़िर कंगना के बयान उनका क्या कहना है, वह कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते। या फिर कंगना को दिया गया पद्मश्री क्यों नहीं वापस ले लिया जाता। कंगना ने यह बयान देकर देश के साथ ही दुनिया भर में रह रहे हर आम हिंदुस्तानी का सिर शर्म से झुका दिया है।
कंगना ने उनके मुंबई स्थित ऑफ़िस में तोड़फोड़ करने पहुंची बीएमसी की टीम को बाबर, मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान भी कहा था।