एग्ज़िट पोल के नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को विपक्षी दल बीजेपी ने निशाने पर ले लिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने बिना देर किए मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र बुलाये जाने की माँग राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से की है। इस हेतु उन्होंने सोमवार को बाकायदा राज्यपाल को खत लिखा है। बीजेपी के इस राजनीतिक क़दम के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य प्रदेश कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है। कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अपने सभी उम्मीदवारों के अलावा कांग्रेस विधायकों को भी मंगलवार को भोपाल तलब कर लिया है।
बता दें कि एग्ज़िट पोल के नतीजों में मध्य प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने की संभावनाएँ जताई गई हैं। एग्ज़िट पोल के नतीजों की संभावनाओं के अनुसार मध्य प्रदेश में बीजेपी राज्य की कुल 29 में से 24 से 28 सीटें हासिल कर सकती है। साल 2014 के चुनाव में बीजेपी को 27 सीटें मिली थीं। उधर, केन्द्र में भी मोदी के नेतृत्व में एक बार पुन: बहुमत के साथ सरकार बनने की संभावनाएँ एग्ज़िट पोल में बताई गई हैं।
विधानसभा का सत्र बुलाने की माँग
एग्ज़िट पोल के नतीजों के बाद ही मध्य प्रदेश में बीजेपी की सक्रियता ने सरगर्मियाँ बढ़ा दी हैं। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को खत लिखकर कहा है कि मध्य प्रदेश में जबरदस्त पेयजल का संकट है, कानून व्यवस्था की स्थिति भी ख़राब है। ऐसे अनेक मुद्दे हैं जिनके मद्देनजर अविलंब विधानसभा का सत्र आहुत किया जाना चाहिए। सरकार ने फरवरी में महज दो दिनों का सत्र बुलाया था। पत्र में भार्गव ने कहा है कि राज्य के तमाम प्रतिकूल हालातों को देखते हुए सत्र बुलाया जाना आवश्यक हो गया है।भार्गव ने राज्यपाल को लिखे खत में मुद्दे भले ही अलग गिनाए हैं, लेकिन विपक्ष की मंशा सदन के फ़्लोर पर नंबर गेम के हालात पैदा करने की है। हालाँकि 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के अपने 114 विधायक हैं। उसने चार निर्दलीय विधायकों, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक की मदद से सरकार बना रखी है। इस हिसाब से कांग्रेस के पास फिलहाल 121 विधायक हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत है।
बीजेपी के पास 109 विधायक हैं। कमलनाथ ने चार निर्दलीय विधायकों में से एक को मंत्री बनाया हुआ है। बचे हुए तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ विधायकों में मंत्री बनने की छटपटाहट है।
बीएसपी और एसपी के विधायक भी मंत्री पद चाह रहे थे। हालाँकि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का बीएसपी एवं एसपी के साथ गठबंधन नहीं हो पाने तथा गुना-शिवपुरी में बीएसपी के उम्मीदवार का कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में चुनाव से ऐन वक़्त पर हट जाना, ऐसे कारण रहे हैं, जिससे ये दोनों ही दल (एसपी और बीएसपी) कांग्रेस से नाखुश हैं।
मध्य प्रदेश में जो राजनीतिक परिदृश्य बन रहा है उसके मद्देनजर ही बीजेपी सक्रिय हुई है। चुनाव नतीजे 23 मई को आने हैं।
नतीजे आने से पहले ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा विधानसभा का सत्र बुलाये जाने की माँग को दबाव की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। जानकार कह रहे हैं कि मध्य प्रदेश बीजेपी और नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने माकूल वक़्त देखकर दाँव खेला है।
इधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस के रणनीतिकार बीजेपी के दाँव पर चुटकियाँ ले रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणक अग्रवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘एग्ज़िट पोल से बीजेपी को दो-तीन दिन खुश हो लेने दीजिये। मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक दर्जन के लगभग सीटें जीतेगी। केन्द्र में भी यूपीए और बीजेपी-एनडीए को नापसंद करने वाले तमाम दल मिलकर सरकार बनायेंगे। बीजेपी के सभी मंसूबे धरे रह जायेंगे।’
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सरकार विधानसभा के फ़्लोर पर बहुमत साबित कर चुकी है। सरकार को किसी तरह का कोई ख़तरा नहीं है। सरकार बनाने के समय 121 विधायकों का जो नंबर कांग्रेस के पास था, वह आज भी है और पूरे पांच वर्ष रहेगा। बीजेपी और भार्गव लाख छाती पीटें, वे - कांग्रेस की सरकार को डिगाने में सफल नहीं हो पायेंगे।
माणक अग्रवाल, वरिष्ठ नेता, मध्य प्रदेश कांग्रेस
कमलनाथ ने बुलाई बैठक
उधर, केन्द्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी विरोधी दलों से बातचीत के लिए अधिकृत किए गए मुख्यमंत्री कमलनाथ सोमवार को कुछ देर दिल्ली रुकने के बाद भोपाल वापस लौट आये। सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में प्रतिपक्ष के सक्रिय होने की भनक के चलते कमलनाथ का कार्यक्रम बदला है।कमलनाथ ने पार्टी के सभी लोकसभा उम्मीदवारों की एक बैठक मंगलवार को पूर्वान्ह भोपाल में बुलाई है। कांग्रेस के सभी विधायकों को भी उन्होंने मंगलवार को ही भोपाल तलब किया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवारों की बैठक के बाद वे कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक करेंगे।