जेपी सेंटर विवादः अखिलेश ने घर के बाहर प्रतिमा को माला पहनाई, नीतीश से ये कहा
लखनऊ में भाजपा की योगी सरकार और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच चल रही रस्साकशी का पटापेक्ष शुक्रवार दोपहर को हो गया। योगी सरकार की पुलिस ने अखिलेश यादव के घर बाहर बैरिकेडिंग करके उन्हें जेपी सेंटर जाने से रोक दिया तो दोपहर में सैकड़ों सपा कार्यकर्ता जेपी की प्रतिमा लेकर अखिलेश के आवास के बाहर आये। वहां अखिलेश ने माल्यार्पण किया और कहा कि भाजपा जेपी के विचार फैलने को रोक नहीं सकती।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को अपने घर के बाहर एक वाहन के ऊपर लगी समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। सपा प्रमुख और कई कार्यकर्ता बैरिकेड पर चढ़ गए, पार्टी के झंडे लहराए। कार्यकर्ताओं के हाथ में जयप्रकाश नारायण के पोस्टर लिए हुए थे।
इससे पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए कहा क्योंकि "एक समाजवादी" को जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माला चढ़ाने से रोका गया।
लखनऊ में अधिकारियों ने गुरुवार को उन्हें प्रतिमा तक जाने से रोक दिया था, जिसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। यूपी के अधिकारियों ने कहा कि वहां जीव-जन्तु घूम रहे हैं। अखिलेश को वहां खतरा हो सकता है। इसलिए अखिलेश को वहां नहीं जाना चाहिए। यूपी सरकार के इस पत्र की आड़ में अखिलेश ने योगी की पुलिस ने जेपी सेंटर जाने से रोक दिया।
अखिलेश को जाने से रोकने का बहाना सचमुच मजेदार है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सपा को लिखा है कि जेपी नारायण कन्वेंशन सेंटर परियोजना निर्माणाधीन है। पत्र में लिखा गया है- ''निर्माण सामग्री अव्यवस्थित तरीके से रखी गई है और बरसात का मौसम होने के कारण अवांछित जीव-जंतुओं की मौजूदगी की आशंका है। सुरक्षा की दृष्टि से यह स्थल पूर्व सीएम अखिलेश यादव के दर्शन/मालार्पण के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया है।'' बता दें कि अखिलेश के पास जेड-प्लस सुरक्षा है।
बहरहाल, अखिलेश ने शुक्रवार 11 अक्टूबर को कहा- "कई समाजवादी लोग सरकार में हैं और सरकार को जारी रखने में मदद कर रहे हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार उनके (जय प्रकाश नारायण) आंदोलन से उभरे हैं, यह नीतीश कुमार के लिए उस सरकार से समर्थन वापस लेने का मौका है जो एक समाजवादी को जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिएअनुमति नहीं दे रही है।"
भाजपाई लोग हों या इनकी सरकार, इनका हर काम नकारात्मक का प्रतीक है। पिछली बार की तरह समाजवादी लोग कहीं ‘जय प्रकाश नारायण जी’ की जयंती पर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने न चले जाएं, इसीलिए उन्हें रोकने के लिए हमारे निजी आवास के आसपास बैरिकेडिंग कर दी गयी है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 11, 2024
- भाजपा ने श्रद्धांजलि… pic.twitter.com/oqAO6g8Qu8
अखिलेश ने शुक्रवार को कहा- "हम उनकी जयंती मनाते हैं...यह सरकार हमें उन्हें माला पहनाने से रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमने सड़क पर ऐसा किया। वे इस संग्रहालय को बेचने की साजिश कर रहे हैं और इसलिए उन्होंने जेपीएनआईसी को कवर किया है। जरा सोचिए कि सरकार, जो है जय प्रकाश नारायण के सम्मान में बनाए गए संग्रहालय को बेचने की कोशिश की जा रही है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे संविधान की रक्षा करेंगे?"
नीतीश कुमार की जेडीयू बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है। जयप्रकाश नारायण या जेपी एक गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने आपातकाल से पहले और उसके दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अभियान चलाया था। इसे संपूर्ण क्रांति या जेपी मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन के नेताओं में नीतीश कुमार और लालू यादव प्रमुख हैं।
गुरुवार देर रात भी जेपी सेंटर में अखिलेश को रोका गया। अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर जेपी सेंटर के गेट के सामने टिन की चादरें खड़ी करके कुछ छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यह जेपी सेंटर समाजवादियों का संग्रहालय है और इसमें जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है। हम समाजवाद को कैसे समझ सकते हैं, इसके अंदर चीजें हैं। टिन शेड खड़ा करके सरकार क्या छुपाना चाह रही है? क्या ऐसा संभव है कि वे इसे बेचने की तैयारी कर रहे हैं, या किसी को देना चाहते हैं?"
इस बीच बीजेपी नेता शाजिया इल्मी ने कहा कि अखिलेश यादव को ऐसे राजनीतिक स्टंट से बचना चाहिए। शाजिया ने कहा- “अगर वह जय प्रकाश नारायण को ईमानदार श्रद्धांजलि देना चाहते हैं, तो वह उन पार्टियों के साथ अपना गठबंधन तोड़ देंगे, जिनके खिलाफ जय प्रकाश जी ने आपातकाल के दौरान आवाज उठाई और जेल गए… उन्हें यह भी पता है कि काम चल रहा है और सम्मान देने के और भी तरीके हैं।''