जोशीमठ: प्रशासन ने ख़तरे वाले भवनों पर लगाना शुरू किया लाल निशान
जोशीमठ में जमीन धँसने, घरों की दीवारों में दरारें पड़ने और कई जगहों से पानी निकलने के संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने ख़तरे के संकेत दिए हैं। भू-धंसाव के कारण संभावित ख़तरे का सामना कर रहे भवनों पर रेड क्रॉस के निशान लगाने शुरू कर दिए हैं।
चमोली डीएम हिमांशु खुराना ने कहा है कि सिंहधर, गांधीनगर, मनोहरबाग, सुनील वार्ड असुरक्षित घोषित कर इन वार्डों में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसमें जमीन धंसती जा रही और दरारें बढ़ रही हैं।
जिला अधिकारी ने सोमवार सुबह कहा था कि दो केंद्रीय दल पवित्र शहर में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रभावित लोगों को सूखे राशन किट वितरित किए जा रहे हैं।
जोशीमठ के लोगों ने बीती रात एसडीएम के सामने कड़ी नाराज़गी जताई थी और राहत शिविरों का निरीक्षण करने जा रहे डीएम के वाहन को रोक दिया था। लोगों ने एसडीएम पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि जमीन धँसने का कारण एनटीपीसी सुरंग और चारधाम के लिए अन्य निर्माण परियोजनाएँ हैं, उन्हें रोका जाना चाहिए और इस स्थिति को प्राकृतिक आपदा के रूप में माना जाना चाहिए। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि प्रभावित निवासियों को बद्रीनाथ और केदारनाथ की तरह राहत सहायता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, 'जोशीमठ में स्थिति चिंताजनक है, पूरा ढाँचा कभी भी गिर सकता है। प्रकृति चेतावनी देती रही है और सरकार इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं ले रही है। जोशीमठ को स्थानांतरित करना ही एकमात्र रास्ता है, मौजूदा जोशीमठ की मरम्मत की जानी चाहिए।'
जोशीमठ बद्रीनाथ, औली और वैली ऑफ फ्लावर्स तक पहुंचने का प्रवेश द्वार भी है और इस वजह से यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं और जन दबाव रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार चल रही निर्माण गतिविधियों और नदियों के कटाव ने हालात को और बदतर बना दिया है। चमोली जिला पड़ोसी मुल्क चीन की सीमा से भी लगता है।
इधर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है। एक याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से मंगलवार को जनहित याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए ज़िक्र करने को कहा है।
बता दें कि जोशीमठ में जमीन धंसने, घरों की दीवारों में दरारें पड़ने के संकट पर केंद्र सक्रिय हो गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय रविवार को बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में फ़ैसला लिया गया कि विशेषज्ञों की टीम जोशीमठ भेजी जाए। बैठक के दौरान केंद्र सरकार, केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकार की सहायता करने वाले विशेषज्ञों को संकट से निपटने के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करने के लिए कहा गया।
जोशीमठ के लोग पिछले साल नवंबर से लगातार घरों में दरारें आने की शिकायत कर रहे हैं और अब हालात ये हैं कि जिन घरों में दरारें आई हैं वहाँ से पानी निकलना शुरू हो गया है। एहतियात के तौर पर दो होटलों को बंद कर दिया गया है।
जमीन धंसने की वजह से क़रीब 570 घरों में दरारें आ गई हैं। कई परिवारों ने जोशीमठ छोड़ दिया है। लेकिन अभी भी 500 से ज्यादा परिवारों के 3000 लोगों का जीवन ख़तरे में है। उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात लगातार खराब हो रहे हैं।