एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड की एक टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो अब उन्होंने माफी मांगी है और अपने बयान पर खेद जताया है। आव्हाड ने कह दिया था कि 'भगवान राम मांसाहारी थे'। राम मंदिर की होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के माहौल के बीच उनके इस बयान से विवाद बढ़ गया था और अजित पवार खेमे के एनसीपी नेताओं ने आव्हाड के घर के बाहर प्रदर्शन किया था।
दरअसल, एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने शिरडी में पार्टी के अध्ययन शिविर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ को संबोधित करते हुए यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि 'भगवान राम बहुजनों के राजा थे और मांसाहारी थे'। उन्होंने कहा था, 'हम इतिहास नहीं पढ़ते और राजनीति में सब कुछ भूल जाते हैं। राम हमारे हैं। हम बहुजनों का। जो खाने के लिए शिकार करते थे... राम कभी शाकाहारी नहीं थे। वह मांसाहारी थे। उन्होंने पूछा, 'जो आदमी 14 साल तक जंगल में रहा वह शाकाहारी कैसे रह सकता है।'
आव्हाड का बयान उस दिन आया जब सत्तारूढ़ बीजेपी विधायक राम कदम ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दिन यानी 22 जनवरी को ड्राई डे घोषित करने और एक दिन के लिए मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। बीजेपी ने आव्हाड पर निशाना साधते हुए उन्हें करोड़ों राम भक्तों की भावनाओं का अनादर करने वाला करार दिया।
राम कदम ने कहा, 'जितेंद्र आव्हाड के पास यह दिखाने के लिए क्या सबूत है कि भगवान राम ने मांसाहारी भोजन खाया था? क्या वह देखने गये थे? ऐसे समय में जब मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है, उन्होंने भगवान राम के करोड़ों भक्तों की भावनाओं का अनादर किया है।'
सत्तारूढ़ एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने आव्हाड पर तंज कसते हुए कहा, 'वह आव्हाड के ज्ञान की बराबरी करने में सक्षम नहीं हैं और इस बारे में बात न करना ही बेहतर है।' जितेंद्र आव्हाड के बयान को लेकर बुधवार देर शाम जमकर हंगामा हुआ। अजित गुट के एनसीपी कार्यकर्ताओं ने ठाणे स्थित आव्हाड के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने 'जय श्री राम' और 'जितेंद्र आव्हाड मुर्दाबाद' के नारे भी लगाए।
इस घटना के बाद जितेंद्र आव्हाड के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस तैनात की गई। हालांकि, विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ। जैसे ही प्रदर्शनकारी वहां से गए, जितेंद्र आव्हाड के लोगों ने उस जगह को गोमूत्र से साफ किया।
आव्हाड ने कहा कि उन्होंने कुछ भी विवादास्पद नहीं कहा। उन्होंने कहा, 'मेरे बयान तथ्यात्मक थे। राम को शाकाहारी बनाने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है। इस देश के 80% से अधिक लोग मांसाहारी हैं और वे भगवान राम के भक्त हैं।'
इस पर जब काफी ज्यादा विवाद हो गया तो आव्हाड ने मीडिया से कहा- 'अगर किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। वे चुनाव के लिए श्रीराम को ला रहे हैं, लेकिन हमारे राम हमारे दिलों में हैं।' उन्होंने कहा, 'इतिहास को विकृत करना मेरा काम नहीं है। लेकिन मैंने कल जो कहा वह बार-बार दोहराया गया। राम, भगवान श्रीराम, जिन्हें हम महाराष्ट्र में पांडुरंग हरि कहते हैं। उस राम के बारे में बात करते हुए मैंने कहा कि वह मांसाहारी थे। जो लोग इसके विरोध में खड़े हैं उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि वाल्मिकी रामायण में 6 कांड हैं। मैं अयोध्या कांड के 52वें श्लोक 102 का सर्ग आप खुद ही पढ़िएगा, मैं नहीं पढूंगा, क्योंकि मैं विवाद नहीं बढ़ाना चाहता।'
उन्होंने दावा किया कि, 'मैंने बिना अध्ययन के कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मैं कहता हूं, आजकल पढ़ाई नहीं, भावनाएं महत्वपूर्ण हैं। इस पर मैं कहूंगा- अगर कल के मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो मुझे खेद है।'
बता दें कि आव्हाड ने बुधवार को अपने भाषण में उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर भी निशाना साधा और कहा था कि 2019 में भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस के साथ सुबह-सुबह शपथ ग्रहण समारोह के बावजूद उन्हें एमवीए सरकार में डिप्टी सीएम बनाना एक गलती थी। इधर, तटकरे ने आव्हाड पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर अजित पवार एमवीए सरकार में डिप्टी सीएम नहीं बने होते तो यह सरकार तुरंत गिर गई होती।