झारखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर विपक्षी महागठबंधन का स्वरूप बनता नहीं दिखाई पड़ रहा है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सीटों को लेकर तालमेल कर लिया है। विपक्षी दलों में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) और वाम दलों को इस गठबंधन से बाहर रखा गया है। समझौते में जेएमएम को 43, कांग्रेस को 31 और आरजेडी को सात सीटें दी गई है। यह भी तय कर लिया गया है कि जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन गठबंधन की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं।
आरजेडी के नेता रहे नदारद
विपक्षी दलों के इस फ़ॉर्मूले की घोषणा के समय आरजेडी की तरफ़ से कोई भी नेता उपस्थित नहीं हुआ। फ़ॉर्मूले की घोषणा से पहले हेमंत सोरेन के आवास पर आरजेडी की तरफ़ से तेजस्वी यादव और अभय सिंह बैठक में शामिल हुए थे। लेकिन सीटों के बंटवारे के फ़ॉर्मूले की घोषणा के समय आरजेडी की तरफ़ से किसी प्रतिनिधि का नहीं रहना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
2014 में अलग-अलग लड़े थे तीनों दल
पिछले विधानसभा चुनाव में तीनों विपक्षी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। जेएमएम 79 सीटों पर लड़ी थी जिसमें उसे 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस ने 62 सीटों पर दाँव खेला था और उसे 6 सीटों पर जीत मिली थी जबकि आरजेडी ने भी 19 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
वोट प्रतिशत की बात करें तो 2014 में बीजेपी को 31.8%, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को 3.7% वोट मिले थे। दोनों को कुल मिलाकर 35.5% बीजेपी ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया था और आजसू को 5 सीटें मिली थीं। दोनों ही दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी।
2014 में अलग-अलग लड़कर जेएमएम ने 20.4%, कांग्रेस ने 13.9% और आरजेडी ने 3.2% वोट हासिल किये थे। तीनों को जोड़ा जाए तो 37.5% वोट हो जाते हैं। ऐसे में इन तीनों का कुल वोट एनडीए से लगभग 2 प्रतिशत ज्यादा है। तीनों पार्टियों ने इस आंकड़े पर गंभीरता से विचार किया और मिलकर चुनाव लड़ने का मन बनाया।
पूरे राज्य में चुनाव लड़ेगी जेवीएम
जेवीएम ने राज्य की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। 30 नवंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव को लेकर 13 में से नौ सीटों पर प्रत्याशियों की भी घोषणा कर दी गई है। बची 4 सीटों - गुमला, लातेहार, सिमरिया, मनिका के उम्मीदवारों की घोषणा बाद में की जाएगी।
एनडीए में भी सब कुछ ठीक नहीं
दूसरी ओर, एनडीए ख़ेमे में भी बीजेपी और आजसू के बीच सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है। हालांकि दिल्ली में सीटों के बंटवारे के साथ-साथ कई मुद्दों पर चर्चा चल रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ दिल्ली में कैंप कर शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं, आजसू के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। आजसू ने 26 विधानसभा सीटों की सूची बीजेपी के नेताओं को दी है। इसमें कई सीट ऐसी हैं, जहां पेच फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि दिल्ली में बैठक के बाद सीटों को लेकर असमंजस को ख़त्म कर लिया जाएगा।
आजसू की तरफ़ से जिन सीटों पर तैयारी की जा रही है, उनमें ईचागढ़ की सीट बीजेपी के पास है। इस सीट पर आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो भी अपना भाग्य आजमाने के मूड में हैं। आजसू की पारंपरिक सीट लोहरदगा सीट पर कांग्रेस के विधायक सुखदेव भगत बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इस सीट पर भी तकरार हो सकती है। मांडर सीट पर बीजेपी से गंगोत्री कुजूर विधायक हैं लेकिन आजसू ने भी यहां चुनाव लड़ने की तैयारी की है।
चंदनकियारी सीट पर आजसू लगातार अपना प्रत्याशी उतारती रही है, लेकिन इस बार जेवीएम छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायक अमर बावरी को टिकट मिल सकता है। सिंदरी विधानसभा सीट पर भी आजसू ने तैयारी की है लेकिन इस सीट पर भी बीजेपी से जीतकर फूलचंद मंडल विधायक बने हैं। इसके अलावा सिल्ली, तमाड़, मनोहरपुर, मंझगांव, बड़कागांव, मांडू, सिमरिया, रामगढ़, गोमिया डुमरी टुंडी और जुगसलाई से आजसू ने प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। लेकिन इनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर अभी सहमति नहीं बनी है। दिल्ली जाते वक़्त सुदेश कुमार महतो ने कहा कि पार्टी इस बार किसी से ऐसा समझौता नहीं करेगी, जिससे उनकी पार्टी और कार्यकर्ताओं को खामियाजा भुगतना पड़े।
झारखंड में पाँच चरणों में विधानसभा के चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा। 7 दिसंबर को दूसरे, 12 दिसंबर को तीसरे चरण के तहत वोटिंग होगी। वहीं, चौथे चरण की वोटिंग 16 दिसंबर को जबकि 20 दिसंबर को पाँचवें चरण की वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर को आएँगे।