झारखंड में एनडीए कैसे हारा? जानें एक-दूसरे पर क्या लगा रहे आरोप

03:30 pm Nov 29, 2024 | सत्य ब्यूरो

झारखंड में एनडीए की हार की वजह क्या रही? इस पर मंथन एनडीए के आलाकमान भले ही फुर्सत में करे, लेकिन राज्य में गठबंधन के दल एक दूसरे पर उंगलियाँ उठा रहे हैं। एनडीए की हार के लिए जेडीयू ने तो सीधे तौर पर बीजेपी की रणनीति को ही ज़िम्मेदार ठहरा दिया है। बीजेपी ने हार का ठीकरा आजसू पर फोड़ दिया है।

एनडीए दलों ने हार की ज़िम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने के लिए क्या तर्क दिए हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहा है। भाजपा को भरोसा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे दिग्गजों को चुनाव प्रचार में उतारने के बाद वह चुनाव जीत जाएगी। लेकिन यह तब हैरान रह गयी जब 81 सदस्यीय विधानसभा में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 56 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को केवल 24 सीटें मिलीं। भाजपा की अपनी सीटें 2019 में 25 से घटकर अब 21 हो गईं।

राज्य में हार के लिए जेडीयू नेता मुख्य रूप से भाजपा की रणनीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका तर्क है कि चुनाव से पहले सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और राज्य के बाहर के नेताओं द्वारा बांग्लादेशी 'घुसपैठ' और डेमोग्राफी बदलाव पर आधारित अभियान से एनडीए को नुक़सान हुआ। 

जदयू नेताओं ने कहा है कि सीएम सोरेन को गिरफ्तार करना एक बड़ी गलती थी क्योंकि इससे लोग अलग-थलग पड़ गए और आदिवासी समुदाय उनके पक्ष में एकजुट हो गए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भाजपा का अभियान जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाया और बांग्लादेश से घुसपैठ वाले अभियान को स्थानीय नेताओं से समर्थन नहीं मिला। जदयू के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम से जीतने वाले सरयू रॉय ने दिप्रिंट से कहा, 'हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने का फैसला एक गलत फैसला था। संदेश अच्छा नहीं गया। उस समय भी मैंने कहा था कि ऐसे छोटे मुद्दों को नहीं उठाया जाना चाहिए, क्योंकि इन मामलों को उठाने से अतीत के अन्य मामले सामने आ सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'लेकिन भाजपा नेताओं ने मेरी बात नहीं सुनी। जब सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई, तो मैंने चेतावनी दी थी कि यह उल्टा पड़ सकता है, जिससे लोगों को यह विश्वास हो जाएगा कि भाजपा किसी भी कीमत पर सरकार को अस्थिर करना चाहती है।'

रॉय ने कहा कि जेल से रिहा होने के बाद सोरेन ने अपने पत्ते अच्छी तरह से खेले। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सरकार की कल्याणकारी योजना ने भी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

जेडीयू नेता ने कहा कि भाजपा नेताओं ने 'घुसपैठियों' के मुद्दे पर समर्थन जुटाने की कोशिश करके एक और रणनीतिक गलती की।

रॉय ने बताया कि जब उन्होंने झारखंड अभियान के प्रभारी असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात की, तो उन्होंने सुझाव दिया था कि घुसपैठ के मुद्दे पर आवाज प्रभावित समुदाय से आनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यदि आप असम से बोलते हैं या भाजपा नेता रांची से बोलते हैं, तो मामले की गंभीरता तब तक नहीं जाएगी जब तक कि प्रभावित लोगों की आवाज नहीं आती। लेकिन इस बिंदु पर ध्यान नहीं दिया गया।' उन्होंने कहा कि भाजपा को इस बात पर 'गंभीर आत्मचिंतन' करने की जरूरत है कि उसने राज्य में अपना बड़ा वोट बैंक क्यों खो दिया और आदिवासी बेल्ट और अन्य क्षेत्रों में उसे क्यों हार का सामना करना पड़ा।

लेकिन बीजेपी ने महिलाओं के लिए जेएमएम के नेतृत्व वाली सरकार की मंईयां सम्मान योजना और आजसू को हार का कारण बताया है। इसने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेकेएलएम) के जयराम महतो के खिलाफ कुड़मी समुदाय से समर्थन हासिल करने में विफल रहने के लिए अपने सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू को भी दोषी ठहराया। आजसू ने अभी तक भाजपा के आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने दिप्रिंट से कहा, 'पार्टी हार के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए विचार-विमर्श करेगी। लेकिन मुख्य रूप से दो कारण सामने आए। पहला, सरकार की मंईयां सम्मान योजना, जिसका महिला मतदाताओं पर असर दिखा। दूसरा कारण युवा नेता जयराम महतो का आना था, जिन्होंने कुड़मी वोट हासिल किए। आजसू कुड़मी वोट बैंक को बचा पाने में विफल रही, जिसके कारण विधानसभा में उसे एक दर्जन से अधिक सीटों का भारी नुकसान उठाना पड़ा।' 

भाजपा ने हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए समीक्षा बैठक बुलाई है। इसने राज्य के नेताओं से 3 दिसंबर को होने वाली केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में उम्मीदवारों से बात करने के बाद हार पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष राज्य में हार के कारणों पर गौर करेंगे। वरिष्ठ नेताओं शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व सरमा को भी बैठक से पहले फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। केंद्रीय बैठक से पहले राज्य भाजपा नेतृत्व ने चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा के लिए 30 नवंबर और 1 दिसंबर को सभी जिला अध्यक्षों और उम्मीदवारों को राज्य स्तरीय पार्टी बैठक के लिए बुलाया है।