झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत के बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। वह 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राजभवन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सोरेन ने पुष्टि की कि शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार 28 नवंबर को होगा।
इंडिया गठबंधन ने सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए रविवार शाम करीब 4 बजे रांची में राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात की। सोरेन ने कहा, 'आज हमने नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हमने अपने वर्तमान पदों से इस्तीफा दे दिया है और नई सरकार बनाने का अनुरोध और दावा पेश किया है। राज्यपाल ने मुझे अंतरिम सीएम की जिम्मेदारी सौंपी है और हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है।'
सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने चुनावों में जीत हासिल की, जिससे उनके मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की संभावना बनी। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना करने के बावजूद जेएमएम 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें हासिल करने में सफल रहा।
49 वर्षीय हेमंत सोरेन ने बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है, जहां उन्होंने भाजपा के गमलील हेम्ब्रोम को 39,791 मतों के अंतर से हराया।
इस बार जेएमएम का वोट शेयर काफी बढ़ा है। 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 18.73 वोट शेयर के साथ 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार जेएमएम ने 23.44 प्रतिशत वोटों के साथ 34 सीटों पर जीत हासिल की है। 2019 में ही कांग्रेस ने 13. 87 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार कांग्रेस ने 15.56 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटों पर जीत हासिल की। आरजेडी चार सीटों पर जीत के साथ झारखंड में खोयी जमीन वापस पाने में सफल रहा है। आरजेडी का वोट शेयर भी 3.44 प्रतिशत है। सीपीआई-एमएल को दो सीटों पर जीत मिली है। बगोदर की सीट माले हार गई, लेकिन सिंदरी और निरसा की सीट उसने बीजेपी से छीन ली।
बीजेपी पूरे चुनाव में घुसपैठिये और संथालपरगना में डेमोग्राफी बदलने के मुद्दे को आदिवासियों की अस्मिता से जोड़कर उन्हें उद्वेलित करने की मुहिम में जुटी रही। लेकिन यह मुद्दा नहीं चला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सभी केंद्रीय नेता इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दलों पर जमकर निशाने साधते रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने तो जैसे इस मुद्दे के अलावा किसी मुद्दे की बात ही नहीं की!
दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक ने जनगणना में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड लागू करने, पेसा कानून, जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा, अबुआ सरकार (अपनी सरकार), ओबीसी, एसटी, एससी के आरक्षण बढ़ाने को धार देने की कोशिशें की। सत्तारूढ़ दलों ने कोयला कंपनियों पर राज्य सरकार का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपए के बकाये के मामले को भी प्रमुखता से उछाला। इसके साथ ही घुसपैठिये के मुद्दे को लेकर जेएमएम के नेता लगातार बीजेपी पर सत्ता हासिल करने के लिए समाज को बांटने और नफरत फैलाने के आरोप लगाते रहे हैं।