झांसी हादसाः गोरखपुर के बाद योगी सरकार की लापरवाही का एक और नमूना
झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मौत योगी आदित्यनाथ सरकार की लचर प्रशासनिक व्यवस्था का उदाहरण है। इंडिया टुडे की टीम ने घटनास्थल से जो वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों से बात कर जो रिपोर्ट दी है, वो दहलाने वाली है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज की एनआईसीयू वार्ड में एक्सपायर्ड अग्निशामक यंत्र पाए गए। सुरक्षा अलार्म ने भी काम नहीं किया, जिससे मेडिकल कॉलेज को खाली कराने में देरी हुई।
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आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट को फिलहाल बताया गया। लेकिन शुक्रवार दोपहर को जब शॉर्ट सर्किट हुआ तो उसे नजरअंदाज कर दिया गया। वार्ड के अंदर बच्चों के तीमारदारों ने 10.45 बजे रात को आग को भड़कते देखा। यानी दोपहर में जब शॉर्ट सर्किट हुआ तो उससे आग ने रात को जोर पकड़ा। फायर अलार्म क्यों नहीं बजा और समय रहते वहां मेडिकल कॉलेज की फायर फाइटिंग व्यवस्था क्या कर रही थी।
मीडिया टीम ने शुरुआती जांच में पाया है कि अग्निशामक सिलेंडर पर फिलिंग की तारीख 2019 और एक्सपायरी 2020 अंकित थी। आग लगने के बाद फायर अलार्म भी नहीं बजा।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी है, ने कहा, पहली नजर में आग ऑक्सीजन उपकरण के अंदर शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। हालांकि, एक प्रत्यक्षदर्शी ने इंडिया टुडे को बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को ठीक करने के लिए एक नर्स ने वार्ड के अंदर माचिस की तीली जलाई जिसके बाद आग लग गई।
शुक्रवार रात करीब 10.45 बजे वार्ड में आग लगने से अस्पताल में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। आग बुझाने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। विजुअल्स से पता चला कि जिस वार्ड में नवजात शिशुओं को रखा गया था, वहां के उपकरण पूरी तरह जल गए थे। पत्रकार सचिन गुप्ता ने कुलदीप नामक शख्स का वीडियो शेयर किया है। कुलदीप का बयान इस दर्दनाक घटना का एक पहलू बताता है। कुलदीप को धमकी दी गई कि अगर उल्टा सीधा बयान दिया तो तुम्हें मार देंगे। कुलदीप का बयान सुनियेः
ये हैं कुलदीप। झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड में इनका नवजात बच्चा भी था। आग लगती देख ये अंदर घुस गए। कई बच्चों को बाहर निकालकर लाए। लेकिन अपने बच्चे के बारे में कोई खबर नहीं है।
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) November 16, 2024
इन्होंने मीडिया में बयान दिया तो मेडिकल कॉलेज स्टाफ ने धमकाया। सुनिए...#JhansiFire #Up pic.twitter.com/GM1vVO11sm
कुलदीप के बयान से साफ है कि मेडिकल कॉलेज के अधिकारी तमाम तथ्यों को छिपाना चाहते हैं। इसीलिए बच्चों के मां-बाप और तीमारदारों को धमकाया जा रहा है।
घटिया ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर, प्रशासनिक लापरवाहीः अखिलेशसमाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि गोरखपुर न दोहराया जाए। अखिलेश ने एक्स पर लिखा-आग का कारण ‘ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवारवाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है।
अखिलेश ने अपने बयान में आगे कहा- आशा है चुनावी राजनीति करनेवाले पारिवारिक विपदा की इस घड़ी में इसकी सच्ची जाँच करवाएंगे और अपने तथाकथित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय में ऊपर-से-नीचे तक आमूलचूल परिवर्तन करेंगे। रही बात उप्र के ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ की तो उनसे कुछ नहीं कहना है क्योंकि उन्हीं के कारण आज उप्र में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की इतनी बदहाली हुई है। संकीर्ण-साम्प्रदायिक राजनीति की निम्न स्तरीय टिप्पणियाँ करने में उलझे मंत्री जी को तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि वो ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ हैं। न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख़्ती है।
राजनीतिक टीवी व्यंग्य और भोजपुरी बचाओ आंदोलन चलाने वाली नेहा सिंह राठौर ने सवाल किया है कि क्या झांसी की घटना के लिए किसी मुस्लिम डॉक्टर को बलि का बकरा बनाया जाएगा। नेहा ने एक्स पर लिखा है- झाँसी मेडिकल कॉलेज में दस नवजात बच्चे ज़िंदा जल गये. क्या लिखूँ इस पर..! भक्क! गला फाड़-फाड़ के चिल्लाती रहती हूँ कि स्वास्थ्य-सेवाएँ सुधारों…और बदले में गालियाँ दी जाती हैं. हिंदू बचाने आये हैं ये! नीच कहीं के! एक अन्य ट्वीट में नेहा सिंह राठौर ने लिखा है- चार जनवरी को झाँसी मेडिकल कॉलेज के नाम पर तालियाँ बटोरी जा रही थीं और आज बच्चे जलकर मर रहे हैं. कथनी और करनी का फ़र्क़ देख लीजिए. बेहयाई की भी एक सीमा होती है. एक और ट्वीट में नेहा ने लिखा- इस ख़बर को दबाने के लिए किसी मुस्लिम डॉक्टर को बलि का बकरा बनाया जाएगा या कहीं दंगा भड़काया जाएगा? सरकार ऐसी घटनाओं की नैतिक ज़िम्मेदारी क्यों नहीं लेती?
झाँसी मेडिकल कॉलेज में दस नवजात बच्चे ज़िंदा जल गये.
— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) November 16, 2024
इस ख़बर को दबाने के लिए किसी मुस्लिम डॉक्टर को बलि का बकरा बनाया जाएगा या कहीं दंगा भड़काया जाएगा?
सरकार ऐसी घटनाओं की नैतिक ज़िम्मेदारी क्यों नहीं लेती?#JhansiFire #JhansiHospital pic.twitter.com/N7PGnXNrX6
क्या हुआ था गोरखपुर में
अगस्त 2017 के गोरखपुर अस्पताल संकट को छह साल हो गए हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर में सरकार द्वारा संचालित बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मुख्य रूप से नवजात और एन्सेफलाइटिस वार्डों में तरल ऑक्सीजन खत्म हो गई है। लंबित बकाया का भुगतान न करने पर ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी गई। ऑक्सीजन खत्म होने से बच्चों की मौत होने लगी। इस अस्पताल के डॉक्टर कफील खान ने शहर में घूम-घूम कर ऑक्सीजन सिलेंडर तलाशे और मेडिकल कॉलेज ले आए। कफील खान के इस काम की बच्चों के माता-पिता ने तारीफ की। अखबारों में डॉ कफील खान की सुर्खियां बन गईं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज निरीक्षण के लिए गए तो डॉ कफील खान को निलंबित करने का आदेश दिया। आरोप लगाया गया कि डॉ खान की वजह से बच्चों की मौत हुई। डॉ खान को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। वो लंबे समय तक जेल में रहे। मामला अदालत में पहुंचा। तारीख पर तारीख मिलने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ खान को बाइज्जत बरी किया और यूपी सरकार पर सख्त टिप्पणियां की। डॉ कफील खान ने उसके बाद गोरखपुर छोड़ दिया। इस समय वो गरीब बच्चों का इलाज करते हैं और कैंप आयोजित करते रहते हैं। और हां, वो गरीब बच्चों का इलाज करते हुए उनके माता पिता का धर्म और जाति नहीं देखते और न ही कपड़ों से उनकी पहचान करते हैं।
झाँसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मृत्यु एवं कई बच्चों के घायल हो गये है 😞
— Arvind Yadav (@Arvind_Yad) November 16, 2024
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज वाली वो घटना तो याद ही होगी, जो योगी जी के कार्यकाल में हुयी थी 😞 pic.twitter.com/iWhH7IlTib
गोरखपुर मुख्यमंत्री का अपना जिला है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना अब दब चुकी है। यूपी सरकार ने आज तक जिम्मेदारी नहीं ली कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का भुगतान रोका गया तो ऑक्सीजन सिलिंडर की स्पलाई रोक दी गई। उसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। इसके लिए पिछली सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की गई। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी ने झांसी की घटना पर दुख जताया, मदद की घोषणा की और उसके बाद चुनाव में व्यस्त हो गए। पीएम मोदी के पास न तो मणिपुर जाने का समय है और न ही झांसी जाने का समय है।