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जदयू छोड़कर नहीं जाऊँगा, पार्टी में मेरा भी हिस्सा: उपेंद्र कुशवाहा

जदयू छोड़कर नहीं जाऊँगा, पार्टी में मेरा भी हिस्सा: उपेंद्र कुशवाहा

बिहार में क्या कुछ बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल होने वाला है? उपेंद्र कुशवाहा ने क्यों कहा कि जेडीयू में उनका भी हिस्सा है? जानिए उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में क्या कहा।

जदयू में घमासान के बीच आज उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि वह पार्टी छोड़कर नहीं जाएँगे क्योंकि उनका भी पार्टी में हिस्सा है। इस सवाल पर कि मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि जहां जाना है चले जाएं, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, 'मैं इस पार्टी को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। छोटा भाई बिना हिस्सा लिए चला जाए ताकि सब बड़े भाई को मिल जाए। मैं किसी के कहने पर पार्टी नहीं छोड़ूंगा। पार्टी में मेरी हिस्सेदारी है। पार्टी को बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ूंगा।'

मीडिया में बयान देने को लेकर उन्होंने कहा, 'मैं नीतीश जी से पूछना चाहता हूं कि इसकी शुरुआत किसने की। मीडिया से बात करने का संदेश भेजना मुख्यमंत्री जी ने खुद ही शुरू किया है। शुरुआत उन्होंने की, मैंने नहीं।' पार्टी में बात रखने को लेकर कुशवाहा बोले, 'मैं पार्टी के किस मंच पर बात करूं। पार्टी की बैठक ही नहीं हो रही है। पार्टी का मंच तो दीजिए जहां मैं अपनी बात रख सकूं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आज भी बुलाएँ तो मैं बात करने जाऊंगा।

कुशवाहा की प्रेस कॉन्फ़्रेंस तब हुई है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पार्टी सहयोगी और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को कथित तौर पर जदयू छोड़ने के लिए कह दिया है। उस रिपोर्ट के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी में अपनी हिस्सेदारी भी मांग ली थी। 

उपेंद्र कुशवाहा ने दो दिन पहले कहा था कि वह 'पैतृक संपत्ति' में अपने हिस्से के बिना पार्टी नहीं छोड़ सकते। उन्होंने कहा, 'अगर बड़े भाइयों के कहने पर छोटे भाई इसी तरह घर से बाहर निकलते रहेंगे तो सभी बड़े भाई छोटे को भगाकर बाप-दादा की सारी संपत्ति हड़प लेंगे।' भाइयों, मैं पूरी संपत्ति में अपना हिस्सा छोड़कर (पार्टी से) कैसे जा सकता हूं...?' 

कुशवाहा के ट्वीट के बाद नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा था कि जिसको जितना जल्दी जाना हो वो उतना ज़्यादा बोलता है। उन्होंने कहा कि 'पार्टी की बात पार्टी के अंदर होनी चाहिए। जो पार्टी में रहते हैं वो ट्वीट करके बोलते हैं क्या? पार्टी में रहें तो भी अच्छा, कहीं जाएँ तो भी अच्छा।'

उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के कयास के बीच सियासत तेज हो गई है। उनके बीजेपी में जाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। इससे पहले रविवार को उपेंद्र कुशवाहा ने उनके बीजेपी में शामिल होने को अफवाह बताकर खंडन किया था। उपेंद्र कुशवाहा के बार-बार पार्टी छोड़ने के इशारे के बीच नीतीश कुमार ने कुशवाहा को अपनी समस्याओं को लेकर पार्टी के मंच पर उठाने की बात कही। 

पार्टी में हिस्सेदारी मांगने के सवालों के बीच ही जदयू ने उनको क़रारा जवाब दिया था। जदयू नेता उमेश कुशवाहा ने पार्टी नेता उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साधा।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जदयू नेता उमेश कुशवाहा ने कल ही कहा था, 'उपेंद्र कुशवाहा को अपने आचरण पर शर्म आनी चाहिए। नीतीश कुमार ने उन्हें बहुत कुछ दिया है लेकिन वह जदयू को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए।'

उन्होंने कहा कि अब तक उन्होंने सदस्यता अभियान के लिए फॉर्म जमा नहीं किया है। अगर उनमें कोई नैतिकता है, तो उन्हें खुद पार्टी छोड़ देनी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार उमेश कुशवाहा ने दावा किया, 'नीतीश जी ने उन्हें उपेंद्र सिंह से उपेंद्र कुशवाहा बनाया। उन्होंने उन्हें संसद और परिषद में भेजा।' उन्होंने आगे कहा कि पार्टी अपने दम पर मजबूत हुई लेकिन जब उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में शामिल हुए, तो उन्होंने इसे कमजोर करने का काम किया।

कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा और जदयू के बीच अजनबी बनने की शुरुआत तभी से हो गई थी जब नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल और तेजस्वी यादव से हाथ मिलाने का फैसला किया। इसकी वजह यह नहीं थे कि वे इस गठबंधन के सैद्धांतिक तौर पर खिलाफ थे बल्कि वह यह समझ रहे थे कि नए गठबंधन से उनके राजनैतिक महत्वाकांक्षा को नुकसान पहुंचेगा।

जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन की ओर से 2025 का चुनाव तेजस्वी यादव के गठबंधन में लड़ने की बात कही तब कुशवाहा के लिए यह झटका से कम नहीं था। एक तरह से उपेंद्र कुशवाहा के लिए तब तक किसी बड़े पद की उम्मीद पर पानी फिर गया। हालांकि राजद से जनता दल के हाथ मिलाने के बाद भी जातीय गणना के मुद्दे पर उपेंद्र कुशवाहा खुलकर नीतीश कुमार के साथ थे लेकिन ऐसा लगता है कि वह महज एक विधान पार्षद होकर रहना नहीं चाहते थे और पार्टी या सरकार में कोई बड़ा पद चाहते थे। पार्टी में लगातार दूसरी बार राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद यह संभावना भी समाप्त हो गई थी।

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