रक्षा सौदे में 'भ्रष्टाचार' के 19 साल पुराने मामले में जया जेटली सहित 3 दोषी क़रार
रक्षा सौदे में कथित भ्रष्टाचार के एक 19 साल पुराने मामले में दिल्ली की अदालत ने समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली और दो अन्य को दोषी क़रार दिया है। 2001 में भ्रष्टाचार का यह मामला एक स्टिंग ऑपरेशन 'ऑपरेशन वेस्ट एंड' के आधार पर दर्ज किया गया था। तहलका डॉट कॉम ने यह स्टिंग ऑपरेशन 2000-2001 में किया था। सीबीआई इस मामले की जाँच कर रही है।
केंद्रीय जाँच ब्यूरो के न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने जया जेटली, उनके तत्कालीन पार्टी सहयोगी गोपाल पचेरवाल और सेवानिवृत्त मेजर जनरल एसपी मुर्गई को दोषी ठहराया।
न्यायाधीश ने तीनों- जेटली, मुर्गई और पचेरवाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी अधिनियम) की संबंधित धाराओं के साथ आपराधिक साज़िश के लिए दोषी ठहराया। अदालत अब इस मामले में कितनी सज़ा हो, इस पर 29 जुलाई को दलीलें सुनेगी। दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनने के बाद अदालत या तो उसी दिन सज़ा सुना सकती है या फिर अगली तारीख़ तय कर सकती है।
हालाँकि इस केस में इन तीन दोषियों के अलावा एक अन्य आरोपी सुरेंद्र कुमार सुरेखा के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में वह सीबीआई यानी केंद्रीय जाँच ब्यूरो के लिए अप्रूवर बन गए थे। इस मामले में सीबीआई को आरोप पत्र दायर करने में क़रीब 6 साल लग गए।
सीबीआई ने 2006 में जेटली और अन्य के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि जया जेटली, मुर्गई, पचेरवाल और सुरेखा के साथ साज़िश में शामिल हुई थीं। इसके लिए उन्होंने या तो ख़ुद के लिए किसी अन्य के लिए फ़र्ज़ी फ़र्म मेसर्स वेस्टेंड इंटरनेशनल लंदन के प्रतिनिधि मैथ्यू सैमुएल से 2 लाख रुपये घूस के तौर पर लिये थे। आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ये रुपये सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए लिये थे।
आरोप यह भी है कि इस संबंध में मुर्गई को उनकी सेवा के लिए कई बार भुगतान किए गए थे और मामले में सहायता के लिए सुरेखा को 1 लाख रुपये का भुगतान किया गया था।
बता दें कि तहलका टीम ने अपने छह महीने की मेहनत के बाद खोजी मुहिम 'ऑपरेशन वेस्ट एंड' को अंजाम दिया था। इसमें तहलका के दो पत्रकारों को हथियारों के सौदागर के रूप में कई बड़े राजनेताओं और सेना के कुछ आला अफ़सरों को घूस देते हुए और रक्षा मंत्रालय के कई ख़ुफ़िया रहस्यों के बारे में खुल्लमखुल्ला बातचीत करते दिखाया गया था।
इस ऑपरेशन में कई शिकार हुए थे। इसकी आँच बीजेपी नेता बंगारू लक्ष्मण तक पहुँची। तहलका के एक फ़ुटेज में उन्हें एक लाख रुपए की घूस लेते दिखाया गया था और इस कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। तब बंगारू लक्ष्मण ने तहलका के फ़ुटेज को अपने और पार्टी और सरकार के ख़िलाफ़ एक राजनीतिक साज़िश क़रार दिया था।
तहलका के इस ऑपरेशन में तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के एक प्रमुख घटक दल समता पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष जया जेटली को हथियारों के सौदागर बने पत्रकारों से बात करते दिखाया गया था। तहलका के पत्रकारों ने सेना के कुछ बड़े अफ़सरों के कारनामे भी उजागर किए। इसके बाद सरकार ने एक मेजर जनरल समेत चार वरिष्ठ सेना अधिकारियों को निलंबित कर दिया था।