नागरिकता संशोधन विधेयक पर क्या रुख अपनाया जाए?, इसे लेकर जनता दल (यूनाइटेड) बुरी तरह पसोपेश में है। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि जेडीयू इस विधेयक का विरोध करेगी। क्योंकि तीन तलाक़ और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर उसने अपना विरोध दर्ज कराया था। माना यह जा रहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर भी जेडीयू का रुख अलग रहेगा। लेकिन हैरानी तब हुई जब उसने लोकसभा में विधेयक का समर्थन कर दिया। इसके बाद से ही जेडीयू में खलबली मची हुई है।
जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने जेडीयू के विधेयक का समर्थन करने को लेकर जोरदार विरोध दर्ज कराया है। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा है कि जेडीयू को धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करने वाले विधेयक का समर्थन करते देखकर निराशा हुई है। प्रशांत किशोर जाने-माने चुनावी रणनीतिकार हैं और उनके इस मुद्दे पर विरोध दर्ज कराने से माना यह जा रहा है कि उन्होंने नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
किशोर ने आगे कहा, ‘ऐसा करना पार्टी के संविधान के साथ ख़िलाफ़ है जिसके पहले ही पेज पर तीन बार धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा हुआ है और यह कहा जाता है कि पार्टी का नेतृत्व गाँधीवादी आदर्शों पर काम करता है।’
लोकसभा में भारी हंगामे के बीच सोमवार रात को नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर वोटिंग हुई। इसमें विधेयक के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि इसके विरोध में 80 वोट पड़े। इस तरह यह विधेयक लोकसभा से पास हो गया है और अब बुधवार को दिन में 2 बजे से राज्यसभा में इस पर चर्चा होगी। विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है।
प्रशांत किशोर के बाद पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने विधेयक के विरोध में आवाज़ बुलंद की है। पवन वर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सौहार्द्र के ख़िलाफ़ है। पूर्व राजनयिक वर्मा ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह जेडीयू के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि गाँधी जी इसे पूरी तरह खारिज कर देते। वर्मा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं श्री नीतीश कुमार से राज्यसभा में इस विधेयक को समर्थन देने के बारे में फिर से विचार करने की अपील करता हूँ।’
दूसरी ओर, शिवसेना भी इसे लेकर असमंजस में है। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर हुई सियासी तकरार के बाद बीजेपी और एनडीए से नाता तोड़ने वाली शिवसेना ने लोकसभा में तो नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। लेकिन बताया जा रहा है कि राज्यसभा में इसका समर्थन करने को लेकर पार्टी ने रुख बदल लिया है। ख़बरों के मुताबिक़, शिवसेना लोकसभा में बिल का समर्थन करने के बावजूद भी राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अलग रुख अपना सकती है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर मोदी सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी। क्योंकि अगर जेडीयू अपना रुख बदल लेती है और शिवसेना भी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी तो निश्चित रूप से इस विधेयक के पास होने में मुश्किल आएगी। राज्यसभा में जेडीयू के 6 और शिवसेना के 3 सांसद हैं। दूसरी ओर, विपक्षी दल विधेयक का विरोध करने के लिए पूरी तरह एकजुट हैं।