जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये एक महीना होने वाला है लेकिन वहाँ वास्तव में क्या हालात हैं, कोई नहीं जानता। क्योंकि हर हफ़्ते राज्यपाल सत्यपाल मलिक प्रेस के सामने आते हैं और दावा करते हैं कि हालात सामान्य हैं और मीडिया का एक वर्ग उनकी बातों को इस तरह दिखाता है कि देश के बाक़ी हिस्सों के लोगों को भी इस बात का भरोसा हो जाता है कि हाँ कश्मीर के हालात सामान्य हैं।
लेकिन अगर कश्मीर का कोई नागरिक कहे कि राज्यपाल का दावा झूठा है तो क्या होगा और अगर वह व्यक्ति कश्मीर की राजधानी का मेयर हो तो क्या तब भी हालात सामान्य होने की बात को रटा जाएगा। श्रीनगर के मेयर ने हालात सामान्य होने के राज्यपाल के दावों को हवा में उड़ा दिया है।
इस बीच कई अख़बारों ने बताया कि 370 को हटाये जाने के बाद से कश्मीर पूरी तरह निर्जीव है, लोग केंद्र सरकार के इस फ़ैसले से बेहद नाराज़ हैं और कर्फ़्यू में ढील दिये जाने के बावजूद वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।
श्रीनगर के मेयर और जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ़्रेंस (जेकेपीसी) के प्रवक्ता जुनैद अज़ीम मट्टू ने एनडीटीवी के साथ बातचीत की है। मट्टू ने कहा है कि अगर कश्मीर में लाशें नहीं मिल रही हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हालात सामान्य हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हालात सामान्य होने का दावा करना पूरी तरह हक़ीक़त से परे है। मट्टू ने कहा, ‘किसी की भावनाओं को अपने फ़ैसले से और जोर-जबरदस्ती कर क़ैद कर देने का यह मतलब नहीं है कि हालात सामान्य हैं। बीजेपी सरकार की हिरासत में लेने की नीति पूरी तरह यही है।’
मेयर के बयान के बाद सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने का फ़ैसला तो ले लिया लेकिन क्या वह लगभग एक महीने बाद भी हालात को सामान्य कर पाई है। क्योंकि घाटी में फ़ोन लगातार बंद हैं, दवाइयाँ नहीं पहुँच रही हैं और इस वजह से मरीजों को बहुत ज़्यादा परेशानी हो रही है लेकिन इस पर भी राज्यपाल का दावा है कि प्रशासन लोगों तक दवाइयाँ पहुँचा रहा है।
हालात को लेकर असमंजस
मेयर का बयान जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अफ़सर के बयान के बिलकुट उलट तसवीर पेश करता है। कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर के पुलिस अफ़सर इम्तियाज़ हुसैन ने घाटी में लोगों के मारे जाने और प्रदर्शन की ख़बरों को पूरी तरह झूठ बताया था। कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने कहा था कि घाटी में प्रतिबंधों में ढील दिये जाने के बाद श्रीनगर सहित कुछ इलाक़ों में लोग सड़कों पर उतरे हैं और उन्होंने प्रदर्शन भी किये हैं। लेकिन हुसैन ने विदेशी मीडिया के दावों को पूरी तरह नकारते हुए ट्वीट किया था कि घाटी में किसी भी तरह की कथित रोकटोक या बंदी की स्थिति नहीं है। लोग घूमने-फिरने के लिए स्वतंत्र हैं और सड़कों पर काफ़ी भीड़ है।मट्टू ने कश्मीर के नेताओं को हिरासत में लेने के केंद्र के क़दम की कड़ी निंदा की। पुलिस ने जेकेपीसी के प्रमुख सज्जाद लोन को भी हिरासत में लिया हुआ है। अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू और श्रीनगर के मेयर को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया था।
मट्टू ने कहा कि इतने सालों में राजनीतिक दलों से जुड़े लोग मुख्यधारा में बने रहने के लिए आतंकवादियों का सामना करते रहे लेकिन आज उन्हें ही शिकार बनाया जा रहा है और उन्हीं का पीछा किया जा रहा है।
मट्टू ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में जबरन शिकंजा कसने को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की। मट्टू ने कहा कि अभी भी कश्मीर में कई परिवार ऐसे हैं जो अपने परिजनों से बात नहीं कर सके हैं।
मेयर मट्टू ने बातचीत में दावा किया कि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही राज्य के लोगों की पहचान और अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा ही हिंसा को महसूस किया है। यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन हमारे मूलभूत अधिकारों को वापस लेने को सही ठहराना ही कश्मीर में अलगाववाद का प्रमुख आधार है।’
कश्मीर में लगाये गए प्रतिबंधों को लेकर सवाल उठने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रतिबंध लगाने को जायज ठहराया था और कहा था कि आतंकवादियों को रोकने के लिए ऐसा करना ज़रूरी था।
पिछले एक महीने में कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच से निकलकर दुनिया तक पहुँच गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर बंद कमरे में चर्चा हो चुकी है। कुछ दिन पहले ही कश्मीर में बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिए जाने और पाबंदी जारी रहने को लेकर अमेरिका ने चिंता जताई थी। अमेरिका ने कहा था कि वह स्थिति पर नज़र रखे हुए है। इसके साथ ही ईरान ने भी कश्मीर के हालात पर चिंता जताई थी। लेकिन एक ओर राज्यपाल के द्वारा हालात सामान्य होने का दावा और दूसरी ओर कश्मीर से हालात सामान्य न होने की ख़बरों ने लोगों को असमंजस में डाल दिया है कि आख़िर कश्मीर के हालात कैसे हैं।