कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि घाटी से अगर एक भी कश्मीरी पंडित कर्मचारी को पलायन करना पड़ता है तो यह उनकी व्यक्तिगत नाकामी होगी। यह बात उन्होंने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कही।
बता दें कि बीते कुछ महीनों से कश्मीर घाटी में एक बार फिर कश्मीरी पंडित आतंकियों के निशाने पर हैं।
बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने बीते कुछ दिनों में घाटी से पलायन किया है और केंद्र सरकार से उन्हें घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग को लेकर भी वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
उमर का कहना है कि कश्मीरी पंडितों के लिए लाए गए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज योजना का फेल होना भी उनकी व्यक्तिगत नाकामी है।
यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज योजना का एलान किया गया था। इसके तहत राहुल भट को भी राजस्व विभाग में नौकरी मिली थी लेकिन 11 मई को आतंकियों ने राहुल की गोली मारकर हत्या कर दी।
बीते कुछ दिनों में राजस्थान के रहने वाले बैंक मैनेजर विजय कुमार से लेकर सरकारी स्कूल की टीचर रजनीबाला सहित बिहार के मजदूर दिलखुश कुमार और बडगाम जिले की सोशल मीडिया पर सक्रिय कलाकार अमरीन भट्ट की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या की है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दावा किया गया था कि आतंक, हिंसा और अलगाववाद के लिए अनुच्छेद 370 मुख्य वजह है और जम्मू-कश्मीर में हालात को सामान्य बनाने के लिए इसे हटाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उस वक्त कई लोगों ने इस बात को मान भी लिया लेकिन 3 साल बाद भी ऐसा नहीं लगता कि जमीन पर कहीं ऐसा कुछ है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकी निहत्थे नागरिकों को निशाना बना रहे हैं और इसमें वह बच्चों को भी नहीं बख्श रहे हैं। उन्होंने कहा कि निहत्थे लोगों की हत्या करना कतई जायज नहीं है।
उमर ने कहा कि जो गलत है, हमें उसे गलत कहने की हिम्मत होनी चाहिए और ऐसी ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहना चाहिए जो जम्मू-कश्मीर और विशेष रूप से कश्मीर के विचार को ध्वस्त कर रही हैं।
उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बहुसंख्यक समुदाय की यह अहम जिम्मेदारी है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय को यहां खुद को असुरक्षित महसूस ना होने दे।
कश्मीरी पंडितों के लगातार प्रदर्शन किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने बीते दिनों 177 कश्मीरी पंडितों को घाटी में ही एक से दूसरी जगह ट्रांसफर किया है। लेकिन कश्मीरी पंडितों का कहना है कि वह यहां और नहीं रह सकते और उन्हें यहां से बाहर भेजा जाए।
जल्द हो सकते हैं चुनाव
माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। बीते महीने परिसीमन आयोग की भी रिपोर्ट आ चुकी है। लेकिन इसे गुप्कार गठबंधन की ओर से खारिज कर दिया गया था जबकि बीजेपी ने इसका स्वागत किया था।