‘बीजेपी को कौन लाया’ पर भिड़े उमर-महबूबा, अलग-अलग रखे गए

12:10 pm Aug 12, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती आपस में भिड़ गए। भिड़ने की वजह यह थी कि दोनों एक-दूसरे पर इस बात का आरोप लगा रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को कौन लेकर आया। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही नेता अपने-अपने दलों के साथ बीजेपी के साथ मिलकर केंद्र या राज्य में सरकार चला चुके हैं या सरकार में सहयोगी रहे हैं।

बता दें कि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उमर और महबूबा को पहले नज़रबंद किया गया और बाद में हिरासत में ले लिया गया था। दोनों को ही हरि निवास पैलेस में रखा गया था लेकिन दोनों के बीच बहस बहुत ज़्यादा बढ़ जाने के कारण अब उन्हें अलग रखने का फ़ैसला किया गया है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़, एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि दोनों एक-दूसरे पर बीजेपी को राज्य में लाने का आरोप लगा रहे थे। एक बार उमर महबूबा पर चिल्लाये भी और उनके पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद पर राज्य में बीजेपी से गठबंधन करने पर तंज कसा। बता दें कि बीजेपी और पीडीपी ने 2015 से 2018 तक राज्य में मिलकर सरकार चलाई थी। ख़बर के मुताबिक़, दोनों नेताओं के बीच जमकर कहासुनी हुई जिसे हरि निवास पैलेस के स्टाफ़ ने भी सुना। हरि निवास पैलेस एक सरकारी गेस्ट हाउस है और यहाँ अक़सर आतंकवादियों से पूछताछ की जाती है।

अधिकारी ने कहा, उमर की टिप्पणी पर पीडीपी की प्रमुख महबूबा ने उमर को याद दिलाया कि उनके पिता फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के साथ गठबंधन किया था। महबूबा ने उमर पर चिल्लाते हुए कहा कि वह वाजपेयी सरकार में जूनियर विदेश मंत्री थे। महबूबा ने उमर के दादा शेख़ अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। 

अधिकारी ने बताया कि, उमर को महादेव पहाड़ी के पास चेश्माशाही में वन विभाग के भवन में रखा गया है जबकि महबूबा हरि निवास पैलेस में ही हैं। इससे पहले उमर को हरि निवास के ग्राउंड फ़्लोर पर जबकि महबूबा को फ़र्स्ट फ़्लोर पर रखा गया था। टीओआई के मुताबिक़, अधिकारी ने कहा कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के 100 कार्यकर्ताओं के साथ अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के संबंध में संसद में प्रस्ताव रखे जाने के साथ ही हिरासत में ले लिया गया था। दोनों ही नेताओं को जेल के नियमों और उनके ओहदों के हिसाब से खाना दिया जा रहा है। प्रोटोकॉल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि महबूबा ने ब्राउन ब्रेड खाने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन जेल के मेन्यू में यह न होने के कारण उन्हें यह नहीं दी गई।

बता दें कि राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने को लेकर कश्मीर में उथल-पुथल का माहौल है। केंद्र सरकार ने बड़ी संख्या में राज्य में सुरक्षा बलों की तैनाती की है। ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़, अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठन बौखला गए हैं और कश्मीर में आतंकवादी हमला करने की फिराक में हैं। पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने इस हमले की ज़िम्मेदारी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को दी है और उसके 7 आतंकवादियों के एक दस्ते ने कश्मीर में घुसपैठ की है। इसे लेकर सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट हैं।