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जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़, हिज़बुल कमान्डर समेत दो आतंकवादी मारे गए

जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़, हिज़बुल कमान्डर समेत दो आतंकवादी मारे गए

जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए।

जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए। इनमें से एक पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी गुट हिज़बुल मुजाहिदीन का भारत का सरगना था। 

हिज़बुल कमान्डर

श्रीनगर के नवाकदल में हुई इस मुठभेड़ में हिज़बुल का जुनैद सहराई मारा गया। वह भारत में हिज़बुल मुजाहिदीन प्रमुख रियाज़ नायकू के बाद उस गुट का सबसे बड़ा आतंकवादी था। सुरक्षा बल के लोग लंबे समय से उसकी तलाश कर रहे थे। 

जम्मू-कश्मीर के पुलिस उप महानिदेशक दिलबाग सिंह ने एनडीटीवी से कहा,  ‘कल रात चली कार्रवाई में दो आतंकवादी मारे गए। उनकी पहचान श्रीनगर के ज़ुैनद अशरफ़ ख़ान (ज़ुनैद सहराई) और पुलवामा के तारिक अहमद शेख के रूप में की गई है। पुलिस कई मामलों में उसकी तलाश कर रही थी।’ 

कौन था ज़ुनैद

श्रीनगर में अक्टूबर, 2018, के बाद की यह पहली मुठभेड़ है। उस मुठभेड़ में पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो लोग मारे गए थे। उसमें लश्कर का कमांडर मेहराजउद्दीन बांगडू भी शामिल था। उसके अलावा एक नागरिक भी मारा गया था। 

ज़ुनैद दो साल पहले हिज़बुल में शामिल हुआ था। वह श्रीनगर के बगहत बरज़ला का रहने वाला था। वह अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के नेता मुहम्मद अशरफ़ सहराई का बेटा था। 

संयुक्त कार्रवाई

जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ़ ने सोमवार को इन आतंकवादियों के ख़िलाफ़ साझा अभियान चलाया था। उसके ठिकाने का पता लगा कर संयुक्त कार्रवाई की गई, उस ठिकाने के पास पहुँचने के बाद आतंकवादियों ने ही पहले गोलीबारी की। थोड़ी देर बाद गोलीबारी थम गई। 

आतंकवादियों ने सुबह फिर गोलीबारी शुरू की, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने फ़ायरिंग की। उसके बाद सुरक्षा बलों ने भारी गोलाबारी कर उस घर को उड़ा दिया। इसमें दोनों आतंकवादी मारे गए। इस कार्रवाई में सुरक्षा बलों के दो जवान घायल हुए। 

इस मुठभेड़ की भी खूबी यह रही कि इसमें मारे गए दोनों आतंकवादी स्थानीय नागरिक थे। एक श्रीनगर तो दूसरा पुलवामा का रहने वाला था।

बीते कुछ समय से पाकिस्तान की यह कोशिश रही है कि वह अपने लोगों को भेजने के बजाय स्थानीय स्तर पर ही लोगों की भर्ती कर पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण देकर वापस भेज दे। इससे पाकिस्तान का नाम खुल कर सामने नहीं आएगा। यह कहा जा सकेगा कि यह स्थानीय प्रतिरोध है। पुलवामा में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर एक स्थानीय युवक ने ही हमला किया था।  

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