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जम्मू कश्मीरः भाजपा के 44 प्रत्याशी घोषित, लिस्ट डिलीट, फिर 15 नामों की सूची आई

जम्मू कश्मीरः भाजपा के 44 प्रत्याशी घोषित, लिस्ट डिलीट, फिर 15 नामों की सूची आई

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सोमवार को 44 नामों की सूची जारी की और कुछ देर बाद उसे वापस ले लिया। फिर 15 नामों की नई सूची जारी की। कांग्रेस, सपा, आरजेडी को दिन रात परिवारवाद के लिए कोसने वाली भाजपा ने खुद केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के भाई को टिकट दिया था। जितेंद्र सिंह की हैसियत ये है कि वो पीएमओ में मंत्री हैं। 

भाजपा ने सोमवार 26 अगस्त को जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरण के चुनाव के लिए 44 उम्मीदवारों की सूची जारी की, लेकिन तुरंत बाद इसे हटा दिया। कुछ घंटों बाद, भाजपा ने नई सूची जारी की, लेकिन इसमें चुनाव के पहले चरण के लिए चुने गए केवल 15 उम्मीदवारों के नाम थे। कहा गया है कि जल्दी ही दूसरी सूची आएगी।

हटाई गई सूची में तीन प्रमुख नाम गायब थे - जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना, और पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह और कविंदर गुप्ता। इस सूची में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के भाई देवेंद्र राणा का नाम था, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस से भाजपा में आए हैं। परिवारवाद का विरोध करने वाली पार्टी की सूची में देवेंद्र राणा का नाम देखकर लोग हैरान थे। खैर, अब तो सूची ही रद्द हो गई है। कुल मिलाकर इस घटनाक्रम से यह बात सामने आ गई कि भाजपा प्रत्याशियों को लेकर खासी उठापटक चल रही है, लेकिन मीडिया में खबरें नहीं हैं। 

पहली सूची में दो कश्मीरी पंडित 14 मुस्लिम उम्मीदवारों के भी नाम थे। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और पैंथर्स पार्टी के कई पूर्व नेता, जो पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे, उन्हें भी इस सूची में शामिल किया गया था। ऐसा समझा जाता है कि पहली सूची जारी होने के बाद कुछ प्रमुख चूकों के कारण पार्टी के अंदर गुस्सा भड़क गया। ऐसा लगता है कि विवाद के कारण पार्टी को तीन चरण की सूची वापस लेने और केवल पहले चरण के उम्मीदवारों के नाम फिर से जारी करने के लिए मजबूर किया है।

जम्मू और कश्मीर में 19, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान होगा। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी। जम्मू कश्मीर द्वारा 2019 में अपनी विशेष स्थिति खोने और दो भागों में विभाजित होने के बाद यह जम्मू और कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव है। लेकिन अब वो केंद्र शासित प्रदेश है, उसका राज्य का दर्जा छिन चुका है।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने आगामी चुनाव के लिए पार्टी की पसंद को अंतिम रूप देने के बाद सोमवार सुबह उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कल दिल्ली में इस पर अहम बैठक की थी।

जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। 2014 के चुनाव में, भाजपा ने 25 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया और पीडीपी 28 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। निवर्तमान नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 सीटें जीतीं और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। चुनाव के बाद, भाजपा और पीडीपी ने एक आश्चर्यजनक गठबंधन कर सरकार बनाई, जिसका नेतृत्व मुफ्ती मोहम्मद सईद ने किया और फिर 2016 में उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने किया।

इस बार, जम्मू-कश्मीर में भाजपा, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के बीच त्रिपक्षीय मुकाबला है। हालाँकि, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी तक सीट-बंटवारे पर मतभेदों को दूर नहीं कर पाए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व के बीच बातचीत में बाधाएं दूर करने के लिए शीर्ष कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और सलमान खुर्शीद श्रीनगर जा रहे है।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की और अपने गठबंधन की घोषणा हाल ही में की थी। इस गठबंधन का मजाक उड़ाते हुए, भाजपा महासचिव और पार्टी के जम्मू-कश्मीर अभियान के प्रभारी तरुण चुघ ने कहा कि कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा और अपमानजनक हार का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल भाजपा की पहली सूची ही ताश की पत्तों की तरह ढह गई है।

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