ज़ोमैटो: धार्मिक आधार पर नफ़रत फ़ैलाने वालों को मिल रहा सपोर्ट
लेकिन ओला, ज़ोमैटो सिर्फ़ एक-दो प्रकरण नहीं हैं। धर्म के आधार पर नफ़रत फैलाने के ऐसे मामले मॉब लिन्चिंग में तब्दील हो चुके हैं। ऐसी कई घटनाएँ हो चुकी हैं जिनमें मुसलमानों को धर्म आधारित नफ़रत का शिकार बनाकर उनकी हत्या तक कर दी गई है। कभी गोरक्षा के नाम पर तो कभी गो मांस घर पर रखे होने या पकाने के शक में। अख़लाक से लेकर रक़बर ख़ान और तबरेज़ अंसारी तक कई नाम इस नफ़रत का शिकार हो चुके हैं।
दुनिया भर में हुई किरकिरी
पिछले ही महीने अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट ‘एनुअल 2018 इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम’ आई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भड़काऊ बयान देते रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बयानों से प्रेरित होकर अतिवादी हिंदू संगठन, जिनको सरकार और पुलिस का समर्थन मिलता है, कभी ‘जय श्री राम’ के नाम पर तो कभी गाय के नाम पर खुलेआम अल्पसंख्यकों से मारपीट करते हैं और हत्या भी कर देते हैं। हालाँकि अंतरराष्ट्रीय जगत में किरकिरी होने के बाद सरकार ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज़ कर दिया था और कहा था कि हम धर्मनिरपेक्षता का पूरी तरह से पालन करते हैं। सरकार ने यह भी कहा था कि हम सभी वर्गों को सुरक्षित रखने का काम करते हैं और हमारे आंतरिक मामलों में अमेरिका को दख़ल नहीं देना चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का नारा दिया है। दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा था कि भारत में आज तक अल्पसंख्यकों के साथ छल हुआ है और अब उनकी सरकार अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतेगी। लेकिन जिस तरह का समर्थन नफ़रत फैलाने वालों को मिलता दिख रहा है, उससे पता चलता है कि धर्म विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वालों की एक लंबी जमात इस देश में तैयार हो चुकी है। हालाँकि कुछ लोग पुरजोर ढंग से इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय जगत में किरकिरी होने के बाद भी हालात सुधर नहीं रहे हैं।